शिक्षक कल्याण योजना अब तक शुरू नहीं
विवि में दिव्यांगों के लिए स्वचालित तीन पहिया ई-साइकिलें खा रही धूल, दोपहिया साइकिलों की दयनीय स्थिति
* शैक्षिक महासंघ का आक्रोश, सौंपा ज्ञापन
अमरावती/दि.9– विश्वविद्यालय प्रशासन की अक्षम्य लापरवाही और धीमी कार्यशैली के कारण विश्वविद्यालय में दिव्यांगो के लिए रखी गई स्वचालित तीन पहिया ई-साइकिलें धूल खा रही है. वही दो पहिया साइकिलों की भी हालत दयनीय हो जाने सहित शिक्षक कल्याण योजना अब तक शुरु नहीं किए जाने से आक्रोशित शैक्षिक महासंघ आक्रोशित होकर महासंघ के प्रतिनिधि मंडल ने कुलगुरु डॉ. मिलिंद बारहाते से मुलाकात करते हुए उन्हें अपनी मांगो का ज्ञापन सौंपा.
ज्ञापन में बताया गया कि संत गाडगे बाबा अमरावती विश्वविद्यालय के लक्ष्यों में संत गाडगे बाबा के विचारों का पालन और उनका कार्यान्वयन महत्वपूर्ण है. इसी उद्देश्य के अंतर्गत, 2017 से 2022 की अवधि में महासंघ की प्रेरणा और व्यवस्थापन सदस्य प्रो. प्रदीप खेडकर के मार्गदर्शन में व्यवस्थापन परिषद सदस्य डॉ. प्रफुल्ल गवई ने दिव्यांगों के लिए स्वचालित तीन पहिया साइकिल उपलब्ध कराने का प्रस्ताव रखा था. इस प्रस्ताव को सर्वसम्मति से मंजूर कर लगभग ढाई साल पहले 3 लाख रुपये खर्च कर ई-साइकिलें खरीदी गई थीं. विश्वविद्यालय में ये साइकिलें अब तक उपयोग में नहीं लाई गईं और दिव्यांगों के लिए उपलब्ध नहीं कराई गईं. कंपनी से प्राप्त पैकेजिंग के साथ ये साइकिलें वनस्पति विज्ञान विभाग में धूल खा रही हैं, जिसकी जानकारी महासंघ ने कुलगुरु के ध्यान में लाई. इस लापरवाही पर महासंघ ने नाराजगी जताई, जिस पर कुलपति ने तत्काल इस स्थिति का निरीक्षण करने का निर्णय लिया. महासंघ के प्रतिनिधिमंडल ने इस अक्षम्य लापरवाही के लिए जिम्मेदार कर्मियों पर कार्रवाई की मांग की. इसके साथ ही, संत गाडगे बाबा अमरावती विश्वविद्यालय को पूर्व कुलपति डॉ. मुरलीधर चांदेकर के विशेष प्रयासों से पी. वी. इंडस्ट्रीज, जाम, वर्धा से सीएसआर फंड मिला था. इस फंड के माध्यम से कुल 55 साइकिलें खरीदी गई थीं. संत गाडगे बाबा साइकिल योजना के तहत साइकिलों के उपयोग के लिए 10/2019 में नियमावली तैयार कर इस योजना की जिम्मेदारी विद्यार्थी विकास मंडल को सौंपी गई थी. वर्तमान में अधिकांश साइकिलें खराब हालत में पड़ी हुई हैं, जो महासंघ ने कुलपति के संज्ञान में लाया. इन साइकिलों की मरम्मत के लिए वार्षिक फंड सुरक्षित रखा गया था, इसके बावजूद आज यह स्थिति क्यों है? इस पर महासंघ ने सवाल उठाया. कुलगुरू ने उचित कार्रवाई का आश्वासन प्रतिनिधि मंडल को दिया. महासंघ व्दारा विश्वविद्यालय में मूल्यांकन कार्य करने वाले शिक्षकों के दान से बड़ी राशि शिक्षक कल्याण निधि के रूप में हर वर्ष जमा होती है. इस निधि से विश्वविद्यालय परिसर में और उससे जुड़े कॉलेजों में कार्यरत तथा प्रशासनिक कार्य हेतु आए प्राध्यापकों की आकस्मिक मृत्यु या गंभीर बीमारी के इलाज के लिए अथवा किसी आपातकालीन स्थिति में सहायता मिलनी अपेक्षित है. लेकिन ऐसी योजना के अभाव में सहायता प्रदान करना संभव नहीं हो पा रहा था. शिक्षकों के हित की योजना चलाई जाने की मांग भी की. महासंघ के प्रतिनिधिमंडल में प्राचार्य डॉ. नंदकिशोर ठाकरे, प्राचार्य डॉ. डी. टी. इंगोले, प्रो. डॉ. दिनेश खेडकर, प्रो. डॉ. मंगेश अडगोकर और प्रो. डॉ. प्रफुल्ल गवई प्रमुख रूप से उपस्थित थे.