अशैक्षणिक कामों के बोझ तले दबे है शिक्षक
खिचडी पकाने और बांटने का काम भी शिक्षकों के ही जिम्मे
अमरावती/प्रतिनिधि दि.१७ – विद्यार्थियों का भविष्य बनाने की महत्वपूर्ण जवाबदारी शिक्षकों पर होती है. किंतु विगत कुछ अरसे से विद्यार्थियों व शिक्षकों के रिश्ते में दूरी पैदा हो रही है. इसके साथ ही जिला परिषद के शिक्षकों पर विभिन्न सामाजिक जिम्मेदारीवाले 108 तरह के अशैक्षणिक काम सौंपे गये है. जिसमें खिचडी पकाने से लेकर खिचडी को बच्चों के बीच वितरित करने के कामों का भी समावेश है. ऐसे में शिक्षकों को अशैक्षणिक कामों से मुक्त करते हुए केवल विद्यार्थियों को पढाने-लिखाने और उन्हें जिम्मेदार नागरिक बनाने की जिम्मेदारी दिया जाना जरूरी है.
बता दें कि, कोविड संक्रमण के चलते विगत डेढ वर्ष से लगभग सभी शालाएं बंद है और इस कालावधि के दौरान ऑनलाईन क्लासेस चल रही है. किंतु ग्रामीण क्षेत्र में मोबाईल नेटवर्क व अन्य समस्याएं रहने की वजह से विद्यार्थी पढाई-लिखाई से पूरी तरह वंचित है. ऐसे में कई शिक्षकोें द्वारा उन्हें अपने स्तर पर पढाने का प्रयास किया जा रहा है. किंतु इसमें भी शिक्षको को कई तरह की दिक्कतों व समस्याओं का सामना करना पड रहा है. क्योंकि प्रशासन द्वारा उन्हें विविध अशैक्षणिक कामोें में जूटाकर रखा गया है. ऐसे में उनका ध्यान पढाने-लिखाने की बजाय अन्य कामों पर भी रहता है. जिसके चलते गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की अपेक्षा करना पूरी तरह से गलत कहा जा सकता है.
सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि, शिक्षकों को भरपूर वेतन दिया जाता है और चूंकि कोविड संक्रमण काल के दौरान उनके पास कोई काम ही नहीं है, तो उनके वेतन में कटौती की जानी चाहिए. ऐसे सूर समाज के विभिन्न घटकों से सुनाई दे रहे है. किंतु हकीकत यह है कि, इक्का-दुक्का अपवाद को छोडकर शेष सभी शिक्षक अपनी जिम्मेदारियों को पूरी प्रामाणिकता व जिम्मेदारियों के साथ पूर्ण कर रहे है, लेकिन अशैक्षणिक कामों की वजह से वे भी त्रस्त हो गये है. अत: शिक्षक संगठनों की ओर से मांग उठाई जा रही है कि, शिक्षकों को केवल शैक्षणिक काम ही दिये जाये. किंतु सरकार द्वारा इन मांगों की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा.
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अशैक्षणिक कामों के लिए प्रत्येक शाला में एक शिक्षक
जिला परिषद शालाओं में कोई लिपीक नहीं होता. ऐसे में लिखापढी से संबंधित कामकाज भी शिक्षकों को ही करने पडते है. जिसके तहत शाला के संदर्भ में ऑनलाईन जानकारी भरने, यू डायस पर जानकारी देने, विद्यार्थियों के बैंक खाते खोलने, आधार कार्ड निकालकर देने, शिक्षा विभाग द्वारा मांगी गई जानकारी उपलब्ध कराने जैसे काम शिक्षकों को ही करने पडते है. जिसके लिए शाला में पदस्थ किसी एक शिक्षक को इन सभी कामों की जिम्मेदारी सौंपी जाती है. जिनके द्वारा इन सभी कामों को निपटाया जाता है.
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खिचडी पकाने व बांटने का भी जिम्मा
इस समय यद्यपि सभी शालाएं बंद है, किंतु शालाएं शुरू रहते समय पोषाहार योजना के तहत खिचडी बनाने और बच्चों को वितरित करने का काम भी शिक्षकों को ही करना होता है.
बॉक्स सेम सेटिंग
1,583 – जिप शालाएं
5,225 – कुल शिक्षक
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शिक्षकों पर सौंपे गये काम
मतदाता सूची तैयार करना, जनगणना करना, पट पंजीयन, हाथीपांव निर्मूलन हेतु संरक्षण, वृक्षारोपण, शाला में रंगरोगन, विद्यार्थियों के बैंक खाते खोलने, आधारकार्ड बनाकर देने, शाला व्यवस्थापन समिती व अभिभावकों की बैठक लेने, शाला की ऑनलाईन जानकारी दर्ज करने, यू डायस पर जानकारी उपलब्ध कराने, शैक्षणिक रिपोर्ट तैयार करने, छात्रवृत्ति के संदर्भ में जानकारी दर्ज करने, शिक्षा विभाग द्वारा मांगी गई जानकारी उपलब्ध कराने, शालेय पोषाहार का वितरण करने, पोषण आहार से संबंधित जानकारियां दर्ज करने, किराणा व अनाज की आपूर्ति व उपलब्धता पर नजर रखने, शालाबाह्य बच्चों की खोज करने, विद्यार्थियों को भोजन व अनाज का वितरण करने जैसे विभिन्न कामों का जिम्मा सरकारी शिक्षकों पर होता है.
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एक शिक्षकी शालाओं में हाल-बेहाल
जिन शालाओं में केवल एक ही शिक्षक की नियुक्ति है, वहां शिक्षकों के हाल-बेहाल हो जाते है. विद्यार्थियों को संभालने से लेकर अशैक्षणिक कामों को करने में शिक्षकों के पसीने छूट जाते है. साथ ही यदि किसी दिन शिक्षक द्वारा छुट्टी ली जाती है, तो उस दिन शाला को बंद ही रखना पडता है. जिससे विद्यार्थियों का शैक्षणिक नुकसान भी होता है. ऐसे में इस पर भी विचार किये जाने की जरूरत है.
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क्या कहते हैं शिक्षक संगठन?
विविध शैक्षणिक कामों के चलते शिक्षकों पर पहले ही काफी हद तक काम का बोझ है. वहीं 108 प्रकार के अशैक्षणिक कामों का जिम्मा भी शिक्षकों पर सौेंपा गया है. ऐसे में बेहद जरूरी है कि, काम के इस बोझ को कम किया जाये तथा इन कामों के लिए लिपीक व चपरासी स्तर के कर्मचारियों की नियुक्ति की जाये.
– सुनील कुकडे
जिलाध्यक्ष, म.रा. प्राथमिक शिक्षक संघ
– शिक्षकों को सौंपे गये अशैक्षणिक कामों के चलते काफी मुश्किलें बढ गई है. कई अदालती आदेशों के बाद भी प्रशासन द्वारा शिक्षकों को अशैक्षणिक कामों में लगाकर रखा जाता है. जिससे विद्यार्थियों का शैक्षणिक नुकसान होता है. कोविड संक्रमण काल के दौरान तो सरकार व प्रशासन ने कहर ही कर दिया, जब राशन की दुकानों से लेकर शराब की दुकानों के सामने खडे करते हुए शिक्षकों का नैतिक अध:पतन किया गया.
-ज्योती उभाड
समन्वयक, अखिल महाराष्ट्र प्राथमिक शिक्षक संघ (महिला आघाडी)