अमरावती

पटसंख्या कम रहने वाली शालाओं में शिक्षकों की हो रही कसरत

कक्षा में बच्चे ही नहीं रहने पर किसे पढाएं, बडा सवाल

अमरावती/दि.8 – एक ओर कक्षा में कम रहने वाली पटसंख्या तथा दूसरी ओर कक्षा में अनुपस्थित रहने वाले विद्यार्थियों की वजह से इक्का-दुक्का विद्यार्थियों को क्या पढाया जाए और कैसे पढाया जाए. इस सवाल से कम पटसंख्या वाले शालाओं के शिक्षक जुझ रहे है. साथ अपनी शालाओं में पटसंख्या बढाने के लिए भी शिक्षकों द्बारा प्रयास किए जा रहे है. लेकिन इसके बावजूद भी अभिभावकों का रुझान अपने बच्चों को निजी शालाओं में प्रवेश दिलाने की ओर है. जिसकी वजह से सरकारी शालाओं में पटसंख्या कम रहने की समस्या यथावत बनी हुई है.
बता दें कि, जिला परिषद की सरकारी शालाओं में पढने वाले छात्र-छात्राओं को राज्य सरकार के शालेय शिक्षा विभाग की ओर से विभिन्न योजनाओं का लाभ दिया जाता है. साथ ही सरकारी शालाओं में पटसंख्या बढे इस हेतु शिक्षा विभाग के अधिकारियों सहित कुछ शिक्षकों द्बारा भी तमाम आवश्यक प्रयास किए जाते है. लेकिन इन दिनों गांव-गांव में अंग्रेजी शालाएं खुल गई है और अंग्रेजी भाषा के महत्व को देखते हुए अभिभावक भी अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम वाली निजी शालाओं में प्रवेश दिलाने की इच्छा रखते है. इसके अलावा जिला परिषद की कई शालाओं में छात्र-छात्राओं के लिए मूलभूत सुविधाएं नहीं है. इस परिणाम भी विद्यार्थियों की पटसंख्या घटने के तौर पर दिखाई दे रहा है.

* 243 शालाओं में 11 से 20 की पटसंख्या
जिले की 14 तहसीलों में स्थित 243 शालाओं में पटसंख्या 11 से 20 है. जिसके चलते कुछ स्थानों पर केवल 2 शिक्षक ही कार्यरत है.

* 10 से कम पटसंख्या वाली 109 शालाएं है
जिले में जिला परिषद की 109 शालाओं में 10 से कम बच्चे प्रवेशित है. इसमें भी कुछ बच्चे आए दिन विभिन्न कारणों के चलते शाला में अनुपस्थित रहते है. जिसकी वजह ऐसी शालाओं के शिक्षक भी काफी हैरान-परेशान है.
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* 121 शालाओं में केवल एक शिक्षक
जिला परिषद की कुल 1586 शालाएं है. जिसमें से 121 शालाओं में केवल एक ही शिक्षक कार्यरत है. वहीं 671 शालाओं में 2 शिक्षक पदस्त है. इन सभी शालाओं में पटसंख्या काफी कम है.

* केवल 2 बच्चों को कैसे पढाएं
– एक आता है, दूसरा गैरहाजिर रहता है
तोरणवाडी ढाणा गांव स्थित शाला की पटसंख्या केवल 6 है. उसमें से भी कुछ विद्यार्थी आए दिन गैरहाजिर रहते है. यहीं स्थिति जिले की कुछ अन्य शालाओं में भी है.
– शिक्षकों को अवकाश मिलने में दिक्कत
कम पटसंख्या रहने वाली शालाओं में केवल एक या दो शिक्षक ही नियुक्त है. एक शिक्षक वाली शाला में यदि शिक्षक को किसी काम के चलते अवकाश लेना पडता है, तो उस दिन शाला को अवकाश देने की नौबत आ जाती है. ऐसे में संबंधित शिक्षक को अवकाश लेने में दिक्कत होती है.
– बारी-बारी से जिम्मा संभालने की नौबत
जिले में कुल 782 शालाएं ऐसी है, जहां पर केवल एक या दो शिक्षक कार्यरत है. दो शिक्षक वाली शाला में किसी एक शिक्षक के अवकाश पर चले जाने पर दूसरे शिक्षक की जिम्मेदारी बढ जाती है.

* जिन शालाओं में पटसंख्या कम है. वहां पर पटसंख्या को बढाने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे है. साथ ही इसके लिए ग्रामीण क्षेत्र के अभिभावकों द्बारा भी सहकार्य किए जाने की जरुरत है.
– बुद्धभूषण सोनवणे,
शिक्षाधिकारी.

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