स्पीरिट मामले में टीम भिवंडी रवाना
नकली शराब कारखाने में बढेगी आरोपियों की संख्या
* शहर का एक बडा नाम हो सकता है उजागर
* हूबहू बोतल बनाने की खास ट्रेनिंग
* पुलिस जुटी विक्रेताओं की खोज में
अमरावती/दि.10 – औद्योगिक विकास क्षेत्र एमआईडीसी के ई-26 प्लॉट पर बने गोदाम में गुुरुवार रात पकडे गये नकली देशी दारु के कारखाने प्रकरण में पुलिस सघन जांच में जुटी है. प्रारंभिक पडताल में ही पुलिस को मालूम हुआ है कि, प्रकरण में शहर का एक बडा नाम लिप्त हो सकता है. उस बारे में सबूत एकत्र करने पर जांच टीम का जोर है. उधर नकली शराब बनाने के लिए स्पीरिट सप्लाई करने वालों की धरपकड हेतु सीपी रेड्डी ने अर्जंट एक टीम भिवंडी रवाना की है. साथ ही देखा गया कि, जिस कंपनी की बनावटी दारु बनाई गई, उसकी पैकींग वगैरह हूबहू की गई. जिससे असली और बनावटी देशी दारु पहचानने में बडी दिक्कत होने की जानकारी सामने आयी है. उसी प्रकार आरोपियों द्वारा भूतकाल में परतवाडा और गाडगे नगर थाना क्षेत्र में पकडे गये ऐसे ही गोरखधंधे का कही कनेक्शन तो नहीं, इसका भी पता लगाने का प्रयास पुलिस कर रही है.
* अपराध शाखा यूनिट 2 को जिम्मा
सीपी नवीनचंद्र रेड्डी ने नकली देशी शराब कारखाने प्रकरण जांच का दायित्व अपराध शाखा यूनिट-2 को सौंपा है. यूनिट के कुछ अधिकारी औरी कर्मी मुंबई प्रस्थान कर चुके है. वहां वे कारखाने के लिए स्पीरिट उपलब्ध करवाने वाले लोगों से पूछताछ और कानून सम्मत कार्रवाई कर सकते हैं.
* सप्ताह भर नजर, पक्की रिपोर्ट पर रेड
उल्लेखनीय है कि, अपराध शाखा यूनिट-1 ने एमआईडीसी के एक कारखाने की जगह पर रात को नकली शराब बनाये जाने की भनक मिलने के बाद सप्ताहभर नजर रखी. रिपोर्ट पक्की होने की पुष्टि होने पर आबकारी विभाग को लेकर गुरुवार रात छापा मारा गया. आरोपियों हर्षवर्धन सपकाल, सागर तिवारी और योगेश प्रधान को नकली शराब बनाते और बोतलों में भरकर पैकींग के लेबल लगाते रंगेहाथ पकडा गया. जिससे शहर और क्षेत्र में खलबली मची है.
* बढने वाले हैं आरोपी
पुलिस सूत्रों ने आज बताया कि, पूछताछ के बाद स्पष्ट है कि, सपकाल के साथ अन्य लोग भी इस गोरखधंधे में लिप्त है. उनका पता लगाया जा रहा है. आरोपियों की संख्या बढने वाली है. एक टीम मुंबई भी भेजी गई है. एक बडे तुर्रम खां का नाम भी होने की चर्चा शुरु हो गई है. पुलिस इस बारे मेें थोडी गुप्तता बरत रही.
* पैकींग की ट्रेनिंग
पुलिस जांच में यह बडा खुलासा हुआ है कि, नगर जिले के जिस डिस्टीलरी का बॉबी संतरा और देशी दारु टैंगो पंच दारु बनाई गई, उसके लिए आरोपियों को बाकायदा प्रशिक्षण दिया गया था. इतना ही नहीं, तो बोतल से लेकर लेबल तक प्रत्येक बात में सावधानी बरती गई और बिल्कुल ओरिजनल जैसी शराब और पैकिंग की गई. इसी कारण बनावटी माल और ओरिजनल माल में फर्क करना बडा मुश्किल हो रहा है. आरोपियों ने पैकिंग यू-ट्यूब वीडियो देखकर सीखने का दावा किया है. किंतु पुलिस को पक्का यकीन है कि, यह वीडियो देखकर सीखी गई पैकिंग नहीं, बल्कि बाकायदा ट्रेनिंग लेकर किया गया काम है.
* कम समय में अमीर बनना
कम समय में ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाना आरोपियों का लक्ष्य रहने का दावा पुलिस ने पूछताछ पश्चात किया है. नकली देशी दारु की बोतल 15 रुपए में बन जाती, जिसकी ग्राहकों को 70 रुपए में विक्री की जाती थी.
* विक्रेताओं की तलाश
पुलिस सूत्रों ने बताया कि, आरोपियों की निशानदेही पर शहर और परिसर में नकली शराब की सप्लाई में सहयोगी लोगों की खोजबीन की जा रही है. आरोपियों से उन लोगों के पते, ठिकाने लिये जा रहे है. उनकी मोडस ऑपरेंडी ऐसी रही कि, 1 हजार ओरिजनल बक्से में कुछ मात्रा में नकली बक्से डालकर उसका सप्लाय आगे बढा दिया जाता था. पुलिस ने फैक्टरी मालिक चेतन हिरुलकर को पूछताछ के लिए बुलाया है.
* एमआईडीसी एसो. को अधिकार नहीं
एमआईडीसी एसो. के अध्यक्ष किरण पातुरकर ने कहा कि, एमआईडीसी के प्लॉट पर कोई किराए से गोदाम लेकर वहां गैरकानूनी काम करता है, तो इस पर कार्रवाई करने का एसो. को अधिकार नहीं है. उसी प्रकार इस मामले में पकडा गया हर्षवर्धन सपकाल एसो. का सदस्य नहीं है. चेतन हिरुलकर एसो. के सदस्य हैं. पातुरकर ने बताया कि, एसो. के नियम केवल इतने है कि, सदस्य गुनाहगार नहीं होना चाहिए और उद्यम लगने चाहिए. पातुरकर ने कहा कि, नियमानुसार किराए का एग्रीमेंट बनता है और उसकी निर्धारित रकम की 10 प्रतिशत राशि एमआईडीसी को दी जाती है. ताजा मामले में एमआईडीसी के पास किराया एग्रीमेंट रजिस्टर्ड था या नहीं, बता नहीं सकते. उन्होंने कहा कि, जनरल टेडेंसी है कि, ऐसी बातें बतायी नहीं जाती और रेट अलग होते हैं. कागज पर किराया कुछ और बताया जाता है.