धामणगांव रेलवे/प्रतिनिधि दि.4 – गेस्ट हाउस, रेस्ट हाउस और सर्किट हाउस इन शब्दों का प्रयोग एक ही अर्थ से किया जाए, ऐसा नहीं है. रेस्ट हाउस केवल कुछ घंटे ठहरने के लिए रहता है. वहीं गेस्ट हाउस में एक या दो दिन रुका जा सकता है और सर्किट हाउस वीआईपी लोगों के रुकने का अस्थायी स्थान है. लेकिन धामणगांव के परिविक्षाधीन तहसीलदार ने बीते 6 माह से यहा के विश्रामगृह में डेरा जमा लिया है. विश्रामगृह छोडने की नोटिस भी निर्माणकार्य विभाग की ओर से भेजी गई है. लेकिन परिविक्षाधीन तहसीलदार वहां से हटने को ही तैयार नजर नहीं आ रहे है. यहां बता दें कि, रेस्ट हाउस, गेस्ट हाउस यह सही मायनों में ब्रिटिशकालीन सरकार की देन है. उस दौर में सफर करना काफी कठीन था. ग्रामीण इलाकों में रहने की सुविधाएं नहीं थी, इसलिए ब्रिटीश अधिकारियों के रहने के लिए जगह-जगह गेस्ट हाउसेस बनाये गये. इनकी कमी पडने पर अधिकारियों के लिए रेस्ट हाउस बनाये. इसके बाद विश्रामगृह स्थापित किये गये. ब्रिटीशकालीन विश्रामगृह, रेस्ट हाउस अथवा गेस्ट हाउस में विभाजित हुए. लेकिन धामणगांव के तहसीलदार बीते 6 माह से यहां के विश्रामगृह में ठहरे हुए है. परिविक्षाधीन तहसीलदार को विश्रामगृह छोडने के नोटिस भी भेजे गये. लेकिन परिविक्षाधीन तहसील विश्रामगृह छोडने के लिए तैयार नहीं दिख रहे है.