जय संताजी बहउद्देशीय संस्था ने किया मेधावियों व गणमान्यों का सत्कार
अमरावती- / दि. 15 विविध क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहे अनेक तेली समाजबंधुओं तथा मेधावी छात्रों का रविवार को जय संताजी तेली सामाजिक बहुउद्देशीय संस्था की ओर से सत्कार किया गया. यह कार्यक्रम ऑक्सीजन पार्क के पीछे कांग्रेस नगर संताजी भवन में आयोजित किया गया. जिसका सूत्र संचालन प्रा. मोनिका उमक ने किया. इस दौरान उन्होंने आव्हान किया कि, भले ही तेली समाज में भी साढ़े 12 जातियां हैं, लेकिन ऐसे सभी जातियों तथा शाखाओं को दरकिनार के रूप में एकजुट होकर रहना चाहिए. इससे किसी को कोई भी फर्क नहीं पडना चाहिए. व्यक्ति की किस सामाजिक संगठन से आता है, उसकी पहली पहचान एक तेली के रूप में ही होनी चाहिए कार्यक्रमकी प्रस्तावना संस्था के उपाध्यक्ष प्रवीण इचे ने रखी. अंत में आभार प्रदर्शन सेवानिवृत्त एसीपी मोनिका राउत ने किया.
संस्था के अध्यक्ष राजेश्वर लेंधे कार्यक्रम में बतौर अध्यक्ष के रुप में उपस्थित थे. कार्यक्रम का उद्घाटन अमरावती विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र की विधायक सुलभा खोडके ने किया. कार्यक्रम में भाकपा के प्रदेश उपाध्यक्ष संजय खोडके, शिक्षक चुनाव के विधायक किरण सरनाईक प्रमुख अतिथि के रुप में उपस्थित थे. इस दौरान पूर्व पालकमंत्री जगदीश गुप्ता प्रमुख मार्गदर्शक के रूप में कार्यक्रम के साथ कुछ समय तक बने रहे. इन सभी के साथ शंकरराव हिंगासपुरे और नीलिमा टाके भी मंचासीन थी. विधायक सुलभा खोड़के का स्वागत प्रवीण इचे तथा अर्चना महाजन ने किया, विधायक किरण सरनाईक का स्वागत विनोद गासे ने, संजय खोडके का स्वागत प्रदीप भागवत तथा घनश्याम साहू ने पूर्व पालक मंत्री माकोडे एवं प्रवीण ईचे ने, राजेश्वर लेंघे का स्वागत नामदेवराव गुल्हाने तथा योगेश उमक ने किया शंकरराव हिंगासपुर का स्वागत संजय खोडके ने किया.
संस्था के उपाध्यक्ष प्रवीण इचे ने कहा संस्था को पंजीकृत करते हुए पांच वर्ष से अधिक समय बीत गया है. इस पूरे काल में समाज के लोगों को इकट्ठा कर अच्छे विचारों का आदान प्रदान करना ही संस्था का मुख्य उद्देश्य रहा है. संस्था ने आज तक कई सामाजिक कार्यों में सहयोग किया. आने वाले कुछ समय में संस्था की ओर से गोरक्षण, छात्रावास और अस्पताल का भी निर्माण किया जाएगा. कार्यक्रम में प्रमुख मार्गदर्शन जगदीश गुप्ता बहुत ही कम वक्त के लिए उपस्थित हुए, लेकिन अपने भाषण में सराहनीय कार्य करने वाले लोगों को प्रोत्साहीत करने वाले ऐसे कार्यक्रमों को आवश्यक बताया.
शंकरराव हिंगासपुरे ने कहा कि, समाज के पतन हेतु दुर्जन जिम्मेदार नहीं. जिम्मेदार वे हैं जो अच्छे होकर भी निष्क्रय रहते हैं. समाज के विविध कार्यों में प्रत्येक व्यक्ति को सक्रिय रहकर हिस्सा लेना चाहिए. आज हमारे समाज में शिक्षा का थोड़ा अभाव है. हर बच्चे को दर्जेदार शिक्षा प्राप्त होनी चाहिए. आज के जमाने में दर्जेदार शिक्षा के नाम पर लूट मची है. लोग इसे जल्दी पैसे कमाने का जरिया समझ रहे हैं, जो अनुचित है. अपने समाज के प्रत्येक बच्चे को दर्जेदार तथा अध्यात्म प्रवण शिक्षा मिलनी चाहिए. ऐसी शिक्षा जो उसके अंदर के दुर्गुणों को कम करे और सदगुणों को बढ़ाए. अपने बच्चों को खुद के पैरों पर खड़ा करने हेतु अमेरिकन माता-पिता उन्हें 20 वर्ष की आयु पूर्ण करते ही घर से बाहर निकाल देते हैं. ताकि वह खुद कमाए और अपने पैरों पर खड़ा हो. भारत में ऐसी संस्कृति नहीं है. भारतीय माता- पिता अपने बच्चों पर सब न्यौछावर कर देते हैं और जब बुढ़ापे में उनके पास कुछ नहीं बचता तो वे बच्चों से आशा करते हैं कि वे उनकी जिम्मेदारी उठाएंगे. मेरी सभी को यही सलाह है कि लोग ऐसा ना करें. अमेरिकन कल्चर को आत्मसात करें, बच्चे को अपने पैरों पर खड़ा कर उन्हें सक्षम बनााएं., लेकिन उनपर बुढापे के लिए बचाई सारी पुंजि उनपर ना लूटा दें.
विधायक सुलभा खोड़के ने कहा कि, बच्चों को शिक्षा प्रदान करना बहुत आवश्यक है. शिक्षा प्राप्त करके बच्चे समाज और परिवार की प्रगति का कारण बन सकते हैं. इस कॉम्पिटिशन की दुनिया में पढ़ाई तो काफी जरूरी है. भारत रत्न डॉ. बाबासाहब आंबेडकर ने कहा था, शिक्षा शेरनी का दूध है. यह वाक्य काफी प्रेरणादाई है. शिक्षा ही ऐसा धन है जिसे कोई चोरी या छीन नहीं सकता. जो व्यक्ति सराहनीय कार्य करते हैं उनका सम्मान होना जरूरी है. इसलिए ऐसे कार्यक्रमों की महत्ता बड़ी है. नई पीढ़ी के पास हर चीज के लिए समय है, लेकिन सामाजिक कार्यक्रमों में शामिल होने में ना ही उनकी रुचि है और ना ही इसके लिए उनके पास समय है. हमें ऐसे सभी बच्चों को अपने समाज की समस्याओं से अवगत कराना चाहिए. उन्हें हमेशा यह याद रहना चाहिए कि अपनी प्रगति के पश्चात उनके द्वारा समाज क योगदान किया जाना भी उतना ही महत्वपूर्ण है. जब बच्चे पढ़-लिख कर अपना शहर छोड़ देते हैं और किसी दूसरे शहर में जाकर रहने लगते हैं. तब समाज ही उन बच्चों के माता-पिता का एकमात्र सहारा बनता है
असली विजेता आपदा में अवसर खोजता है
विधायक किरण सरनाईक ने कहा, सराहनीय कार्य करने वालों का सत्कार किया ही जाना चाहिए. क्योंकि एक सत्कार हजारों लोगों में अच्छे कार्य करने की ललक पैदा करता है. संताजी बड़े महान संत थे. अपने समय के अनुसार उनकी आकलन क्षमता काफी बेहतरीन थी. उन्होंने गृहस्थ रहकर भी अध्यात्म की ओर जाने की शिक्षा दी है. किस्मत वालों को अवसर मिलते हैं, बहादुर उसका निर्माण करते हैं और असली विजेता आपदा में अवसर खोजते हैं. संजय खोड़के ने जय संताजी तेली समाज के इस उपक्रम की तारीफ की और कार्यक्रम को हर शाखा के लोगों को एकजुट करने वाला बताया.
कार्यक्रम में शंकरराव हिंगासपुरे को समाज गौरव पुरस्कार से नवाजा गया. वैद्यकीय क्षेत्र से डॉ. दिवाकर चाफले, डॉ. हितेश गुल्हाने, वर्षा उमक, अनुपम राठोड, अंकुर गुप्ता को, शिक्षा क्षेत्र से निलीमा टाके, अल्का बलिंगे, डॉ. संजय तिरथकर, गिरीधरराव बोरखडे, परेश राजकुमार साहु को, सामाजिक क्षेत्र से सुनील थोटांगे, रामेश्वर गोदे, संजय शिरभाते, वैभव लेंधे, जयंत औतकर को, औद्योगिक क्षेत्र से संजय गुप्ता, संदीप औतकर, गणेश अविनाशे, प्रमोदराव काठोके और नितिन गभणे को श्रीफल, शाल और सम्मान चिन्ह देकर सम्मानित किया गया.
विद्यार्थियों में श्रावणी गवारे, ऋतुजा गासे, भारगवी बोराखडे, संस्कृति बोराखडे, ऋतुजा गवने, संस्कृति माकोडे, गौरी साखरकर, वैदेही तायडे, त्रिशा माकोडे, धनश्री नारले, नंदनी तुपाते, श्वेता जांभले, मानसी डोईफोले, दर्शना अंबरते, खुशी भागवने, मोहिनी नारले, श्रावणी सोनटक्के, प्राची घुईसे, डॉ. राधा ईचे, डॉ. पूनम वानखडे, डॉ. अश्विनी घुरे, विजय राठौड, ईशिका तिखिले, मैथिली माकोडे, काजल ईसोकार, ज्ञानेश्वरी गोदे, स्वाति उमक, कोमल काले, आंचल काठोके, मैथिली बलिंगे, कौशिक नालट, ओम अविनाशे, अविनाश साखरकर, कृष्णा औतकर, अपूर्वा चौधरी, प्रियश बलिंगे, कृष्णाईचे, ऋगवेद वाट, डॉ. ऋषिकेश ईचे, वेदांत सुल्ताने, हर्ष औतकर, अंश राठोड, अजिंक्य सुरंगे, ओम गोदे, धवल ईसोकार, दर्शन खोरे, पार्थ धनगर, ऋगवेद भागवत, सार्थक फाटे, प्रवीण लेंधे, दीप शिरभाते, कृष्णा ढवले, विनय गोरटे, कुणाल मालधे, अर्थव वानखडे, राज काले, सार्थक वानखडे, कृष्णा ढवले, कौस्तुभ डहाके और मृणाल भागवत को सम्मानचिन्ह और पुष्प देकर गौरवान्वित किया गया है. कार्यक्रम को सफल बनाने में संस्था के सचिव विनोद गासे, कोषाध्यक्ष प्रदीप भागवत, सहसचिव जगदीश सापधरे, सहकोषाध्यक्ष प्रवीण खांदले, मार्गदर्शनक अतुल थोटांगे, सलाहकार अमोल बोरखड, सदस्य हर्षल भागवत, गजानन वाकोडे, शितल राउत आदि ने परिश्रम किया.