अमरावती/दि.2- यद्यपि अब समाज को प्रगतिशील व सुसंस्कृत कहा जाता है, लेकिन इसी समाज में अलग-अलग मानसिकता व प्रवृत्तिवाले लोग भी रहते है. आज के आधुनिक दौर में भी बेटी की बजाय बेटा ही होने की वृत्ति रखनेवाले लोगों की संख्या कम नहीं है. ऐसे में जन्म ले चुकी बेटी को अवांछित मानते हुए कचरे के ढेर पर मरने के लिए फेंक दिया जाता है. इसके अलावा अनैतिक संबंधों के चलते पैदा होनेवाले शिशुओं या गर्भस्थ अर्भकों के हिस्से में भी कचरे का ढेर ही आता है. ऐसी घटनाओं में सौभाग्य से जिन बच्चों या बच्चियों की जान बच जाती है, उन्हें नये माता-पिता और ममत्व का स्पर्श प्राप्त होने हेतु लंबी प्रतीक्षा करनी पडती है, क्योंकि इसकी प्रक्रिया काफी क्लेषदायक है.
बालकल्याण समिती के आदेशानुसार जीवनदान प्राप्त नवजात बच्चों को शिशु गृह में भेजा जाता है. जहां उन्हें संगोपन, संरक्षण व पालन-पोषण हेतु रखा जाता है. परंतु ऐसे लावारिस नवजात बच्चों के जैविक माता-पिता का पता नहीं चल पाता. ऐसे में उन्हें पुनर्वसन हेतु किसी अन्य परिवार को दत्तक दिया जाता है. इनमें से कई नवजात बच्चों का जन्म अनैतिक संबंधों की वजह से होता है और ऐसे मामलों में बदनामी को टालने हेतु इन नवजात बच्चों को कचरे के ढेर या स्वच्छता गृह में लाकर फेंक दिया जाता है. ऐसे बच्चों का पुनर्वसन करने हेतु पुलिस महकमे सहित सामाजिक संगठनों द्वारा तमाम आवश्यक प्रयास किये जाते है. किंतु ऐसे प्रयासों को कोई विशेष सफलता नहीं मिलती.
* 6 नवजात मिले पिछले वर्ष
– शहर सहित जिले में गत वर्ष 6 नवजात अर्भक व बच्चे मिले. जिसमें से केवल एक ही शिशु जीवित था. वहीं पांच अर्भक मृत पाये गये.
– गत वर्ष जिले के ग्रामीण इलाकों में नदी-नाले के किनारे और कचरे के ढेर सहित एक घर के सामने इन नवजातों की बरामदगी हुई थी.
* अधिकांश नवजात कन्या शिशु
बेटे की चाहत रखनेवाले लोगों द्वारा बेटी पैदा होने पर उसे अवांछित मानकर कचरे के ढेर पर फेंक दिया जाता है. विगत वर्ष कचरे के ढेर सहित अन्य स्थानों पर लावारिस फेंके गये नवजातोें में ज्यादातर कन्या शिशुओं का समावेश रहा.
* जांच का कोई फायदा नहीं
मृतावस्था में प्राप्त नवजात शिशुओें व अर्भकों के जैविक माता-पिता का कभी कोई अता-पता नहीं चल पाता. हालांकि इसके लिए पुलिस महकमे सहित जिला बाल संरक्षण अधिकारी कार्यालय द्वारा काफी प्रयास किये जाते है. लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हो पाता.
जिन बच्चों का जन्म अनैतिक संबंधों की वजह से होता है, उन्हें अपनी सामाजिक बदनामी टालने हेतु लावारिस छोड दिया जाता है. ऐसा अब तक अनुभव रहा है.
– तपन कोल्हे
पुलिस निरीक्षक, ग्रामीण अपराध शाखा