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शिवाजी संस्था के चुनाव में मतदाताओं को दिया जा रहा प्रलोभन

समीर जवंजाल व धीरज जवंजाल ने लगाया आरोप

* मौजूदा अध्यक्ष हर्षवर्धन देशमुख पर उठाये सवाल
अमरावती/दि.10– कल रविवार 11 सितंबर को श्री शिवाजी शिक्षा संस्था की नई कार्यकारिणी के लिए चुनाव होना है. जिसे जीतने के लिए संस्था के निवर्तमान अध्यक्ष हर्षवर्धन देशमुख व उनकी कार्यकारिणी द्वारा संस्था के मतदाता रहनेवाले आजीवन सदस्योें को संस्था में नौकरी का लालच देते हुए अपनी ओर आकर्षित करने का प्रयास किया जा रहा है. इस आशय का आरोप गोसावी कालोनी निवासी समीर जवंजाल व कैम्प परिसर निवासी धीरज जवंजाल ने शिवाजी शिक्षा संस्था के निर्वाचन निर्णय अधिकारी को सौंपे गये ज्ञापन में लगाया है.
इस ज्ञापन में कहा गया कि, चूंकि इस समय हर्षवर्धन देशमुख की अध्यक्षतावाली कार्यकारी परिषद अस्तित्व में है. अत: हर्षवर्धन गुट का प्रभाव संस्था के चुनाव पर साफ तौर से दिखाई देना स्वाभाविक है और इस गुट द्वारा अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए मतदाताओं को प्रभावित करने का भी पूरा प्रयास किया जा रहा है. ऐसे ही प्रयासों के तहत संस्था के आजीवन सदस्य रहनेवाले मतदाताओं को आकर्षित करने हेतु उन्हें संस्था द्वारा संचालित डॉ. पंजाबराव देशमुख मेडिकल कॉलेज के जरिये 11 माह की अस्थायी नौकरी का नियुक्ति पत्र उनके पाल्यों हेतु भेजा गया है. किंतु आश्चर्यवाली बात यह है कि, इस आदेश पत्र पर किसी प्राधिकृत व्यक्ति के हस्ताक्षर या मूहर नहीं है. साथ ही इस नियुक्ति पत्र पर जावक क्रमांक और दिनांक भी दर्ज नहीं है. वही पत्र में साफतौर पर उल्लेखीत किया गया है कि, पत्र जारी होने के पांच दिन के भीतर अपने नियुक्तिवाले स्थान पर पदस्थ होना जरूरी है. परंतु जब पत्र पर जारी होने की तारीख ही दर्ज नहीं है, तो किस तारीख तक अपनी नियुक्ति पर पदस्थ होना है, यह भी स्पष्ट नहीं है. जवंजाल बंधुओं के मुताबिक इसका सीधा मतलब है कि, देशमुख गुट द्वारा सीधे-सीधे यह संदेश दिया गया है कि, अगर वे दोबारा चुनकर शिवाजी की सत्ता में आते है, तो भी आजीवन सदस्यों के पाल्यों को पीडीएमसी में अस्थायी नौकरी प्रदान की जायेगी. अन्यथा वे इसके लिए कतई जवाबदेह नहीं रहेंगे. यह एक हिसाब से संस्था के मतदाताओं को लालच देने की तरह ही है. जिसके चलते शिवाजी शिक्षा संस्था के निर्वाचन निर्णय अधिकारी ने मामले की जांच करनी चाहिए. साथ ही संबंधितों के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई की जानी चाहिए. इसके अलावा संस्था के चुनाव पूरी तरह से पारदर्शक वातावरण में होने हेतु तमाम आवश्यक कदम उठाये जाने चाहिए.

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