अमरावती

मिट्टी का परीक्षण करो, खेत से सोना उगाओ

जमीन के स्वास्थ्य पर ध्यान देने से बच सकता है खाद का खर्च

अमरावती /दि.31- रासायनिक खादों के अमर्यादित प्रयोग की वजह से जमीन की उर्वरक क्षमता प्रभावित होने के साथ ही लगातार घट रही है. इसका सीधा असर फसलों के अंकुरन के साथ ही उपज व उत्पादन पर भी हो रहा है. जिसके चलते जमीन की स्वास्थ्य जांच यानि मिट्टी परीक्षण तीन वर्ष में कम से कम एक बार करना बेहद जरुरी होता है. जिसके लिए अब कृषि विभाग द्वारा भी सुविधा उपलब्ध कराई गई है.
मिट्टी परीक्षण के लिए सतर्कता से सैम्पल लेना जरुरी होता है. जिसकी रिपोर्ट कुछ ही दिनों में मिल जाती है. इस जरिए यह पता चलता है कि, जमीन में कौन से अन्नद्रव्य की कमी है. जिसके आधार पर जैविक खाद व गोबर खाद के जरिए जमीन की उर्वरक क्षमता को बढाया जा सकता है और इस जरिए फसलों के पोषण व उपज में वृद्धि हो सकती है. ऐसे में प्रत्येक तीन वर्ष में कम से कम एक बार खेतों की मिट्टी का परीक्षण करवाते हुए खेतोें से सोना उगाया जा सकता है.

* मिट्टी परीक्षण क्यों जरुरी?
रासायनिक खादों के बेतहाशा प्रयोग से जमीन की उर्वरक क्षमता घट रही है. साथ ही जमीन में कर्बा का प्रमाण बढ रहा है. इसका फसलोें के पोषण सहित फसलों की वृद्धि व उत्पादन पर परिणाम हो रहा है. जिसके चलते खेतों में मिट्टी का परीक्षण करने पर आवश्यक उपाय किए जा सकते है.

* कैसे करवाए मिट्टी का परीक्षण?
फसल कटाई के बाद खेत के चारों ओर थोडा गड्ढा करते हुए उसमें से मिट्टी को संकलित किया जाना चाहिए. जिसे परीक्षण के लिए भिजवाना चाहिए. साथ ही मिट्टी का सैम्पल लेने हेतु गांव में रहने वाले कृषि सहायक से जानकारी ली जानी चाहिए.

* कितने दिनों में मिलती है रिपोर्ट?
मिट्टी का सैंपल परीक्षण हेतु दिए जाने के बाद करीब एक माह में प्रयोगशाला से रिपोर्ट मिलना अपेक्षित है. हालांकि कई बार इससे पहले भी रिपोर्ट मिल जाती है और इस रिपोर्ट के जरिए किसानों को पता चलता है कि, उनकी जमीन में कौन से अन्नद्रव्य कम है. जिसके आधार पर वे अपने खेतों में जैविक खाद व गोबर खाद डाल सकते है.

* कितने वर्ष में करवाना चाहिए मिट्टी परीक्षण?
जमीन में रहने वाले विविध पोषक घटक फसलों को मिलते है. परंतु इसमेें से कुछ अन्नद्रव्य का प्रमाण कम होता जाता है और अनावश्यक घटकों का प्रमाण बढ जाता है. जिसका फसलों की वृद्धि पर परिणाम होता है. ऐसे में कम से कम 3 वर्ष में 1 बार खेतों की मिट्टी का परीक्षण करना अनिवार्य होता है.

* अब डाक के जरिए भी मिट्टी भेज सकते है परीक्षण के लिए
सरकार के नये नियमानुसार अब डाक के जरिए भी मिट्टी को परीक्षण के लिए भेजने की सुविधा उपलब्ध कराई गई है. जिसके चलते किसानों के लिए अपने सैंपलों को प्रयोगशाला में भेजना काफी सुविधापूर्ण हो गया है.
– मिट्टी परीक्षण की रिपोर्ट भी अब किसानों को उनके मोबाइल पर भेजने की सुविधा उपलब्ध कराई गई है. जिसके जरिए मिट्टी का स्वास्थ्य तुरंत पता चल सकता है.

* एक ही जमीन से लगातार एक ही तरह की फसल लेने और रासायनिक खादों का बेतहाशा प्रयोग करने से जमीन की उर्वरक क्षमता खराब होती है. जिसके चलते किसानों ने खेतों की मिट्टी का नियमित अंतराल पर परीक्षण करवाना चाहिए, ताकि उनके खेतों में फसलों की भरपूर पैदावार हो और उन्हें इस जरिए अच्छी खासी आय हो.
– उज्वल नागलकर,
उपसंचालक, कृषि विभाग

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