अमरावती

टीईटी परीक्षा से शिक्षकों की असलियत आयी सामने

कई शिक्षक साबित हुए पढाने के लिए अपात्र

* केवल 5.26 फीसद अभ्यर्थि ही हो पाये उत्तीर्ण
अमरावती/दि.5- विगत 21 नवंबर 2021 को शिक्षक भरती हेतु आवश्यक रहनेवाली टीईटी परीक्षा ली गई थी. जिसका परिणाम हाल ही में घोषित किया गया. अमरावती जिले में 16 हजार 287 अभ्यर्थियों ने इस परीक्षा हेतु आवेदन किया था. जिसमें से 11 हजार 411 आवेदकों ने टीईटी परीक्षा के दोनों पर्चे हल किये थे और परीक्षा में केवल 601 यानी 5.26 फीसद डी. एड. व बी. एड. पदवीधारक अभ्यर्थि ही उत्तीर्ण हुए है. वहीं 10 हजार 810 भावी शिक्षक नापास हो गये. इस परीक्षा परीणाम को देखते हुए आगे चलकर विद्यार्थियों को पढाने की इच्छा रखनेवाले इन उम्मीदवारों की शैक्षणिक गुणवत्ता पर सवालिया निशान लग गया है. साथ ही यह सवाल भी पूछा जा रहा है कि, अगर गुरूजी ही गुणवत्ता की परीक्षा में अनुत्तीर्ण हो रहे है, तो वे बच्चों को क्या पढायेंगे. यानी एक तरह से टीईटी परीक्षा ने शिक्षक बनने की इच्छा रखनेवाले भावी शिक्षकों की असलियत को उजागर कर के रख दिया है.

* 11 हजार 411 ने दी थी परीक्षा
21 नवंबर 2021 को अमरावती जिले के 33 केंद्रों पर टीईटी परीक्षा ली गई थी. जिसमें पहले पेपर के लिए 8 हजार 943 तथा दूसरे पेपर के लिए 7 हजार 344 ऐसे कुल 16 हजार 287 में से केवल 11 हजार 411 आवेदकों ने ही यह परीक्षा दी थी.

* केवल 601 आवेदक ही रहे पात्र
विशेष उल्लेखनीय है कि, पद भरती घोटाले और प्रश्नपत्र लीक जैसे मामलों की वजह से यह परीक्षा काफी चर्चा में रही और परीक्षा का परिणाम भी करीब एक साल तक लटका रहा. वही अब परीक्षा परिणाम घोषित होने पर 11 हजार 411 में से केवल 601 यानी महज 5.26 फीसद अभ्यर्थी ही उत्तीर्ण हो पाये है. जिसके चलते शिक्षक बनने की इच्छा रखनेवाले कई युवकों का पत्ता अभी से कट गया है.

* टीईटी परीक्षा में उत्तीर्ण होने का प्रमाण रहता है कम
महाराष्ट्र में वर्ष 2013 से टीईटी परीक्षा का आयोजन किया जा रहा है. इस परीक्षा में बैठनेवाले विद्यार्थियों की संख्या हजारों में होती है. प्रारंभिक वर्षों के दौरान टीईटी परीक्षा का परिणाम डेढ से दो फीसद ही हुआ करता था. वही इस वर्ष यह परिणाम 5.26 फीसद रहा. ऐसे में कहा जा सकता है कि, इस परीक्षा में उत्तीर्ण होने का प्रमाण पहले ही काफी कम है.

* अभ्यर्थियों में फैला असंतोष
हाल ही में घोषित टीईटी परीक्षा के परिणाम को देखते हुए डी. एड. व बी. एड. पदवीधारकों में काफी असंतोष व्याप्त है. इन युवाओं का मानना है कि, एक ओर तो कई वर्षों से शिक्षक भरती बंद है. जिसकी वजह से लाखों पदवीधारक युवा नौकरी मिलने का इंतजार कर रहे है. वहीं दूसरी ओर टीईटी के नाम पर डी. एड. व बी. एड. पदवीधारकों को नौकरी मिलने से रोका जा रहा है. टीईटी परीक्षा का सिलॅबस काफी व्यापक व विस्तीर्ण रहने के चलते इस परीक्षा में उत्तीर्ण होणे का प्रमाण बेहद अत्यल्प है. अत: एनसीटीई ने इस सिलॅबस को लेकर पुनर्विचार करना चाहिए और परीक्षा परिषद ने भी परीक्षा के स्वरूप को बदलना चाहिए, क्योंकि कई शालाओें में शिक्षकों के पद रिक्त पडे है. ऐसे में वहां पढनेवाले विद्यार्थियों के भविष्य का विचार भी किया जाना चाहिए.

Related Articles

Back to top button