अमरावती सीट पर दावा छोड रहा है ठाकरे गुट!
18 संसदीय क्षेत्रों के लिए घोषित किये समन्वयक
* अमरावती सीट का सूची में समावेश क्यों नहीं?
अमरावती/दि.20– आगामी लोकसभा के मद्देनजर शिवसेना उबाठा के पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे व उनके पुत्र आदित्य ठाकरे एकतरह से काम पर लग गये है तथा ठाकरे पिता-पुत्र द्वारा जमकर पूरे राज्य का दौरा किया जा रहा है. इसी बीच गत रोज शिवसेना उबाठा ने राज्य की 48 में से 18 संसदीय सीटों के लिए अपने चुनावी समन्वयकों के नाम घोषित कर दिये है. जिसके तहत जिन-जिन निर्वाचन क्षेत्रों में शिवसेना की अच्छी खासी ताकत है और महाविकास आघाडी के तहत जो सीटे आगामी चुनाव के लिए शिवसेना के हिस्से में आ सकती है, उन सीटों पर पार्टी द्वारा समन्वयकों की नियुक्ति की गई है, ऐसा कहा जा रहा है. परंतु इस सूची में अमरावती संसदीय क्षेत्र का नाम शामिल नहीं है तथा पार्टी द्वारा अमरावती संसदीय सीट पर लोकसभा चुनाव के लिए समन्वयक की नियुक्ति भी नहीं की गई है. ऐसे में यह सवाल उपस्थित हो रहा है कि, कही महाविकास आघाडी के तहत शिवसेना ने अमरावती संसदीय सीट से अपना दावा तो नहीं छोड दिया है और क्या मविआ के तहत अमरावती संसदीय सीट अब कांग्रेस या राकांपा में से किसी एक के हिस्से में जाएंगी.
शिवसेना उबाठा के पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे द्वारा नियुक्त चुनावी समन्वयकों की सूची को देखते हुए कई बाते स्पष्ट हो जाती है. मुंबई में 6 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र है. परंतु पार्टी ने केवल 4 निर्वाचन क्षेत्रों में ही चुनावी समन्वयक नियुक्त किये है. जिसका एक मतलब यह भी निकाला जा रहा है कि, मुंबई के 2 निर्वाचन क्षेत्र मविआ के तहत कांग्रेस के हिस्से में जाएगे. इसी तरह राज्य की कुल 48 संसदीय सीटों में से शिवसेना उबाठा ने महज 18 संसदीय क्षेत्रों के लिए ही चुनावी समन्वयकों की नियुक्ति की है. जिसके चलते यह माना जा रहा है कि, इन 18 संसदीय क्षेत्रों पर शिवसेना उबाठा द्वारा मविआ के तहत दावा किया जा रहा है. वहीं अन्य संसदीय क्षेत्र मविआ में शामिल घटक दलों के हिस्से में छोडे जाएंगे.
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, इससे पहले अमरावती संसदीय सीट पर शिवसेना की अच्छी खासी मजबूत पकड रही है तथा सेना प्रत्याशी के तौर पर आनंदराव अडसूल ने दो बार अमरावती लोकसभा क्षेत्र का संसद में प्रतिनिधित्व किया. जिन्हें पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस व राकांपा के समर्थन से निर्दलिय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लडने वाली नवनीत राणा के हाथों हार का सामना करना पडा था. परंतु पिछले चुनाव के बाद से लेकर अब तक हालात काफी हद तक बदल गये है. अब जहां एक ओर सांसद नवनीत राणा कांग्रेस व राकांपा से दामन छुडाकर भाजपा के पाले में है. वहीं पूर्व सांसद आनंदराव अडसूल इस समय भाजपा के साथ राज्य की सत्ता में शामिल शिंदे गुट वाली शिवसेना के साथ है तथा उन्होंने ठाकरे गुट का साथ छोड दिया है. यानि सांसद नवनीत राणा व पूर्व सांसद आनंदराव अडसूल इस समय एक ही पाले की ओर है और महायुति की ओर से खुद को टिकट मिलने के लिए प्रयासरत है. वहीं शिवसेना में दो फाड हो जाने के बाद शिवसेना के लिए राज्य के लगभग सभी संसदीय क्षेत्रों में स्थिति पूरी तरह से बदल गई है. जिसे अमरावती भी अछूता नहीं है और अब अमरावती में ठाकरे गुट के नेतृत्व वाली शिवसेना की पहले की तरह ताकत और प्रभाव भी नहीं है. संभवत: यहीं वजह है कि, पार्टी नेतृत्व ने संभावित स्थितियों का आकलन समय रहते कर लिया है और इसी वजह के चलते संभवत: शिवसेना उबाठा द्वारा लोकसभा चुनाव हेतु समन्वयकों की नियुक्ति करते समय अमरावती संसदीय क्षेत्र की अनदेखी की गई. जिसे एक तरह से ऐसा माना जा रहा है, मानो शिवसेना उबाठा ने अमरावती संसदीय सीट से अपना दावा छोड दिया है और इस सीट को मविआ में शामिल कांग्रेस अथवा राकांपा के लिए छोडने का निर्णय लिया है. ज्ञात रहे कि, इससे पहले वर्ष 2019 तक हुए चुनाव तक अमरावती संसदीय क्षेत्र पर कांग्रेस-राकांपा आघाडी के तहत कांग्रेस तथा भाजपा-शिवसेना युती के तहत शिवसेना के प्रत्याशी को मैदान में उतारा जाता था. चूंकि अब शिवसेना उबाठा और कांग्रेस मविआ में शामिल है. ऐसे में अमरावती संसदीय सीट दोनों में से किस दल के कोटे में छूटने वाली है. इसे लेकर काफी हद तक संभ्रम बना हुआ है. जिसे शिवसेना उबाठा द्वारा 18 संसदीय सीटों पर अपने समन्वयक नियुक्त करते हुए कुछ हद तक दूर कर दिया गया है. हालांकि शिवसेना उबाठा के स्थानीय पदाधिकारियों द्वारा यह दावा किया जा रहा है कि, यह पार्टी की ओर से पहले चरण के तहत घोषित की गई सूची है तथा जल्द ही शेष संसदीय सीटों के लिए भी समन्वयकों की नियुक्ति व घोषणा की जाएगी.
* अब भी कई बाते तय होना बाकी
पार्टी में वरिष्ठ स्तर पर फिलहाल जो कुछ गतिविधियां चल रही है, उसे देखते हुए यह कहा जा सकता है कि, अभी सारी बातें प्रारंभिक स्तर पर है और काफी सारी बातें व चीजे तय होना बाकी है. फिलहाल पार्टी के वरिष्ठस्तर से इस बात को लेकर कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं मिले है कि, अमरावती संसदीय सीट मविआ के तहत हमारे यानि शिवसेना उबाठा के हिस्से में रहेगी, या फिर इसे मविआ के घटक दल के हिस्से में छोडा जाएगा. हालांकि स्थानीय स्तर पर हमारी ओर से पार्टी के वरिष्ठजनों से लगातार यह निवेदन किया जा रहा है कि, अमरावती संसदीय सीट शिवसेना उबाठा के ही हिस्से में रहे, ताकि अमरावती के जिन लोगों ने हमारी पार्टी और पार्टी के प्रमुख उद्धव ठाकरे का अपमान किया है, उन्हें किसी शिवसैनिक के हाथों ही पराजीत करते हुए सबक सिखाया जा सके.
– सुनील खराटे,
जिला प्रमुख, शिवसेना उबाठा.
* निर्विवादित सीटों पर हुआ एकमत, अमरावती को लेकर विचार जारी
राज्य की 48 में से 18 संसदीय सीटों पर लोकसभा समन्वयक नियुक्त करने के संदर्भ में पार्टी द्वारा लिया गया निर्णय पूरी तरह से संगठनात्मक निर्णय है. इसके तहत जिन सीटों पर मविआ के तहत शिवसेना उबाठा के दावे को लेकर कोई विवाद नहीं है. ऐसी 18 निर्विवादित सीटों पर एकमत हो चुका है और वहां पर पार्टी द्वारा अपने समन्वयकों की नियुक्ति कर दी गई है. वहीं अमरावती संसदीय सीट को लेकर मविआ में शामिल तीनों घटक दल का क्लेम है. ऐसे में तीनों दलों के वरिष्ठ नेताओं के बीच चर्चा चल रही है. ऐसे में तमाम संभावनाएं बनी हुई है. अत: फिलहाल निश्चित तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता, बल्कि फिलहाल इसे लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेतृत्व की ओर से मिलने वाले निर्देश का इंतजार ही किया जा सकता है.
– दिनेश बूब,
जिला प्रमुख, शिवसेना उबाठा.