अमरावती

‘थारा बिना श्याम एकलरु लागे…..’

कुणाल पाटडिया ने पिता को दी अनूठी आदरांजलि

कालाराम मंदिर के मंडल में दशहरें पर गरबा रास
अमृत महोत्सव वर्ष मेेंं उल्लासमय वातावरण                                                     बारिश के बावजूद सैकडों पहुंचे और थिरके
अमरावती -दि.6 श्री सक्करसाथ गुजराती नवरात्री महोत्सव मंडल में बुधवार रात्रि राजकोट से पधारे प्रसिद्ध गरबा गीत गायक कुणाल पाटडिया ने अपने संगीत दल के साथ गरबा गीतों की एक से बढकर एक प्रस्तुती देकर अपने पिता दिवंगत गायक कलाकार जीतू भाई करसनदास पाटडिया को अनोखे अदांज में श्रद्धांजलि अर्पित की. उस समय उत्साह और ऊ र्जा का संचार हुआ था. मगर बाहर बादल और पंडाल के भीतर अनेक लोगों की अश्रुधारा बहने लगी थी. पाटडिया ने अनेक लोकप्रिय गरबा गीतों और सनेडो प्रस्तुत किये जिससे भरी बरसात के बावजूद सैकडोें गरबा प्रेमी रास करते हुए झूम रहे थे. दशहरे पर मंडल ने पहली बार गरबा रास रखा था. जिसे सुंदर प्रतिसाद मिला.
* पिता थे मंडल के सभासद
कुणाल पाटडिया आज पूरे गुजरात में गरबा गीतों के लिए जाने जाते हैं. अनेक देशों में भी कुणाल ने प्रस्तुती दी और लोगों का दिल जीता है. उनके पिता जीतू भाई पाटडिया सक्करसाथ नवरात्रि मंडल के सभासद और प्रमुख गायक रहे. मंडल से जुडी नाल के कारण नवरात्रि के अनुबंध पूर्ण कर ठेठ राजकोट से सीधे कालाराम मंदिर सराफा पधारे कुणाल ने अपने मिलनसार स्वभाव से भी सभी को जीत लिया. उनके द्बार प्रस्तुत वंदे मातरम, मां तुझे सलाम ने उपस्थितों को मंत्र मुग्ध कर दिया था.
* आयोजन बना यादगार
75वां अमृत महोत्सव वर्ष होने से इस बार नवरात्रि में अनेक नये आयाम युवकों ने जोडे, जिसमें गरबा पंडाल को सुंदर सजाने के साथ बच्चों के लिए नित्य उपहार रखे गये. ऐसे ही आकर्षक झूमर सजाया गया. गरबी को एकदम नया मनमोहक रुप दिया गया. गरबा रास खेलने वालों पर पानी की हलकी रिमझिम बौच्छार का उपक्रम सभी को बडा पसंद आया. अनेक मायनों में आयोजन चिर स्मरणीय बना. जिसमें रामचंद्रजी चांडक की स्मृति में दिया जाता मां भवानी सेवा पुरस्कार के हकदार बने वर्धमान मुनोत उर्फ ढम्पू. मंडल के पदाधिकारियों सर्वश्री दिनेश सोमैया, सुनील गोयनका, किरीट ठक्कर, हितेश थडेसर, किरीट गढीया, नितिन अन्नम, मनोज धानक, प्रवीण धानक, राजेंद्र चांडक, उमेश चांडक, सुदर्शन चांडक, राजीव उपासने, दीपक गोयनका, रमेश सोमैया, जिग्नेश ठक्कर, शरद गोहील, गौरव देवडीया, दीपक सोमैया, जीतेश सोमैया, पीयूष गांधी, चिंतन ठक्कर, अमीत लख्तरीया, देवेश सरवैया, देवेंद्र ठाकुर, हिमांशु बावीशी, प्रमोद पुरोहित, वर्धमान मुनोत, पराग सोमानी, सौरभ डागा, राम पाटील, रौनक जाजू, आकाश पांडे, अमन गोयनका, नकुल डाबी, प्रथम खंडलेवाल, यश देवडिया, अनिल अनू शर्मा, अतुल शर्मा, अमन थडेसर, कार्तिक बुच्चा, नितिन सेवक, कन्हैया बगडाई, अनुज कलंत्री, देवेश वजीर, रौनक कलंत्री, आकाश गुप्ता, राज पाटील, अंकुश आदि सहित सैकडों लोग कालाराम मंदिर गरबा के आयोजन को शानदार और यादगार बनाने में योगदान किया.

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