अमरावतीमहाराष्ट्रमुख्य समाचार

‘उस’ बच्चे का 3 वर्ष तक रखा जाएगा विशेष ध्यान

समय-समय पर करनी होगी सोनोग्राफी व रक्तजांच

* शल्यक्रिया के बाद बच्चे के पेट से निकाले गये थे दो भ्रूण
अमरावती/दि.5 – गत रोज स्थानीय विभागीय संदर्भ सेवा रुग्णालय यानि सुपर स्पेशालिटी अस्पताल के विशेषज्ञ डॉक्टरों ने महज तीन दिन पहले जन्में एक नवजात बच्चे की शल्यक्रिया करते हुए उसके पेट से दो मृत अर्भक बाहर निकाले थे. अपने आप में बेहद जटिल रहने वाली यह शल्यक्रिया पूरी तरह से सफल रही और अब वह नवजात बच्चा भी पूरी तरह खतरे से बाहर है. परंतु अब उस बच्चे की ओर अगले तीन वर्ष तक विशेष ध्यान दिये जाने की बात स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा कही गई है. जिसके तहत अगले तीन वर्ष के दौरान उस बच्चे की समय-समय पर सोनोग्राफी व रक्तजांच की जाएगी.
बता दें कि, बुलढाणा जिला निवासी एक महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे के पेट में भी भू्रण विकसित हो रहा था. इस स्थिति को मेडिकल की भाषा में फीट्स इन फीटू कहा जाता है. इसके मुताबिक एक ही बिजांड से गर्भ में दो अर्भक तैयार हो जाते है. परंतु दोनों भू्रण मां के गर्भ में स्वतंत्र रुप से विकसित होने की बजाय एक बच्चे के शरीर मे ंदूसरा भू्रण विकसित होने लगता है. अमूमन ऐसे मामलों में गर्भस्थ शिशु के पेट अथवा शरीर के किसी अन्य हिस्से में एक भू्रण ही विकसित होता है और बेहद कम मामलों में गर्भस्थ शिशु के पेट में एक ेसे अधिक भू्रण विकसित होने की बात सामने आयी है. ऐसे में इसे रेयरेस्ट ऑफ रेयर मामला कहा जा सकता है तथा इसी तरह का मामला विगत दिनों बुलढाणा जिला निवासी गर्भवती महिला को लेकर सामने आया. जब पता चला कि, उसके गर्भ में पल रहे बच्चे के पेट में भी एक भू्रण विकसित हो रहा है. वहीं 1 फरवरी को सिजेरियन के जरिए जन्में बच्चे को जब आगे के इलाज हेतु अमरावती के सुपर स्पेशालिटी अस्पताल में लाया गया. तो पता चला कि, उसके पेट में एक नहीं बल्कि दो भू्रण विकसित हुए थे, जो मृत अवस्था में है. जिसके बाद सुपर स्पेशालिटी के चिकित्सकों ने अपने पूरे ज्ञान व कौशल को आजमाते हुए महज तीन दिन की आयु वाले बच्चे के पेट की शल्यक्रिया कर उसके शरीर से दो मृत भू्रण को बाहर निकाला. यह अपने आप में काफी चुनौतिपूर्ण कार्य था. जिसे सुपर स्पेशालिटी अस्पताल के प्रभारी वैद्यकीय अधीक्षक डॉ. मंगेश मेंढे के मार्गदर्शन में बालरोग विशेषज्ञ डॉ. उषा गजभिये, डॉ. नवीन चौधरी, डॉ. नीलेश पाचबुद्धे व डॉ. नितिन बरडिया तथा एनेस्थेसिस्ट डॉ. संजय महतपुरे की टीम ने सफलतापूर्वक अंजाम दिया.

* 25 वर्ष पहले की शल्यक्रिया का अनुभव आया काम
विशेष उल्लेखनीय है कि, गत रोज सुपर स्पेशालिटी अस्पताल में महज तीन दिन की आयु वाले बच्चे पर फीट्स इन फीटू मामले की शल्यक्रिया करने वाली डॉ. उषा गजभिये ने 25 वर्ष पहले सन 2001 के दौरान नागपुर के मेडिकल कॉलेज में भी फीट्स इन फीटू की पहली शल्यक्रिया की थी और उस समय उन्होंने 5 माह की आयु वाली बच्चे के पेट से मृत अर्भक को बाहर निकाला था. 25 वर्ष पहले की गई उस शल्यक्रिया का अनुभव गत रोज डॉ. उषा गजभिये के काम आया और उन्होंने बेहद सफलतापूर्वक तरीके से अपनी टीम के साथ इस शल्यक्रिया को पूरा किया.

Back to top button