अमरावतीमहाराष्ट्र

इसीलिए पद्मश्री आज भी हमारी प्रेरणा का निरंतर स्रोत है!

कश्मीर के पूर्व छात्र मोहम्मद रफी वानी ने गुरुवर्य पद्मश्री प्रभाकरराव वैद्य से की मुलाकात

अमरावती /दि. 7– अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद आज कश्मीर में शांति दिखाई दे रही है. यहां के युवा शिक्षा की ओर मुड़े हैं. स्थानीय नागरिक व्यवसाय और नौकरियों के माध्यम से बेहतर जीवन जीने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. हालाँकि, एक समय ऐसा भी था जब कश्मीर में स्थिति बहुत खराब थी. वहां युवाओं के हाथों में किताबों की जगह पत्थर, बंदूकें और आतंकवादी हिंसा थी. हर दिन कोई न कोई घटना घट रही थी. परिणामस्वरूप आम लोगों को बंद जिंदगी जीनी पड़ी. इस भयावह स्थिति से तंग आकर कुछ युवा कश्मीर छोड़कर चले गए और जब वे वापस लौटे तो उनका व्यक्तित्व बिल्कुल अलग था. मैं उन युवाओं के व्यक्तित्व से भी अभिभूत था. कश्मीर की भयावह स्थिति के कारण हमारा कारोबार बंद हो गया था. आगे क्या? इस प्रश्न का उत्तर मुझे श्री हनुमान व्यायाम प्रसारक मंडल के माध्यम से मिला. प्रधान सचिव वैद्य साहब के साथ उस पहली मुलाकात ने मुझे एहसास कराया कि कुछ व्यक्तित्व हिमालय जितने ऊंचे होते हैं. मंडल में शिक्षा के माध्यम से मेरी सोच में परिवर्तन आया और मेरे व्यक्तित्व में भी परिवर्तन आया. कश्मीर आज देश की अखंडता में एकीकृत होता जा रहा है, जिसके लिए सरकार का नेतृत्व महत्वपूर्ण है, लेकिन युवाओं के मन में देशभक्ति के बीज बोने वाले श्री हनुमान व्यायाम प्रसारक मंडल और प्रधान सचिव गुरुवर्य पद्मश्री प्रभाकरराव वैद्य कश्मीर के कल्याण के लिए काम करने वाले हर युवा के लिए आज निरंतर प्रेरणा का स्रोत हैं, ऐसा विश्वास मंडल के पूर्व छात्र, कश्मीर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद रफी वानी ने व्यक्त की.
मोहम्मद रफी वाणी ने हाल ही में हनुमान व्यायाम प्रसारक मंडल का दौरा किया और प्रधान सचिव, गुरुवर्य पद्मश्री प्रभाकरराव वैद्य से मुलाखत कर आशीर्वाद प्राप्त किया. इस अवसर पर पद्मश्री वैद्य के साथ मंडल के उपाध्यक्ष डॉ. श्रीकांत चेंडके, सचिव प्रो. डॉ. माधुरी चेंडके, प्रो. दीपाताई कन्हेगांवकर, प्रो. प्रणव चेंडके ने मोहम्मद रफी वाणी, रुमैसा मो. वाणी को सम्मानित किया गया. इस अवसर पर हव्याप्र मंडल के जनसंपर्क अधिकारी अजय दे. दुपारे से मो. वाणी ने अपने जीवन में आए बदलावों और वर्तमान कश्मीर के बारे में बात की. उन्होंने कहा कि, मंडल से पढ़ाई कर कश्मीर लौटे छात्रों का व्यक्तित्व सकारात्मक था. उनके पास विश्व और जीवन के लिए एक दृष्टि थी. कश्मीर की संकीर्ण सीमाओं में रहते हुए मुझे भी इसी तरह का बदलाव अपनाना था. इस समय मेरे मित्रों ने मुझे महाराष्ट्र के अमरावती स्थित हनुमान व्यायाम प्रसारक मंडल में शिक्षा और उज्ज्वल भविष्य के बारे में बताया. मैंने अपना मन बना लिया और कश्मीर छोड़ दिया. जब श्री हनुमान व्यायाम प्रसारक मंडल अमरावती में आया तो वहां शारीरिक शिक्षा के लिए प्रवेश बंद हो गए थे. मुझे प्रवेश देने से मना कर दिया गया है ? इतनी दूर आकर आप वापस कैसे जा सकते हैं? यह सवाल मुझे परेशान कर रहा था. तभी प्रधान सचिव वैद्य साहब मेरे पास आये और मेरे बारे में जानकारी ली. सकारात्मक परिवर्तन मेरा लक्ष था. इस पर वैद्य साहब बोले, यहां क्यों पढ़ाई करनी है? जब मुझसे यह सवाल पूछा गया तो मैंने बताया कि, मैं कश्मीर के हालात पर चर्चा और और खुद में सुधार लाने आया हूं. यह बात सुन कर गुरुवर्य वैद्य साहब ने मेरे प्रवेश और आवास की व्यवस्था की.
श्री हनुमान व्यायाम प्रसारक मंडल का शैक्षणिक जीवन एक अनुशासित जीवन है. हमें जीवन में क्या करना चाहिए, हमारे लक्ष्य क्या होने चाहिए, देश और समाज के प्रति हमारी क्या जिम्मेदारी है? मुझे ऐसे नैतिक मूल्यों का ज्ञान प्राप्त हुआ. दिन हो या रात, प्रत्येक विद्यार्थी को गुरुवर्य वैद्य साहब के कार्यों और उपलब्धियों को देखने और सीखने का मौका मिला, हम विद्यार्थी उनका परिवार, उनकी जिम्मेदारी थी. हम कश्मीर में हर रोज देखते थे कि पहाड़ कितने ऊंचे हैं, लेकिन गुरुवर्य वैद्य साहब के व्यक्तित्व से हमें एहसास हुआ कि, एक व्यक्तित्व पहाड़ो से बड़ा और व्यापक हो सकता है. उस समय हर राज्य के छात्र मंडल में पढ़ते थे. हमें देश की विविध संस्कृतियों, बोलियों और उन हस्तियों के बारे में जानने का मौका मिला, जिन्होंने अपना जीवन देश के लिए समर्पित कर दिया. मैंने गुरुवर्य वैद्य साहब के कठोर, प्रेम, तथा प्रत्येक छात्र के प्रति रुचि और स्नेह को अनुभव किया. दिलचस्प बात यह है कि, कुछ साल पहले ही भारतीय योग को अंतरराष्ट्रीय दिवस का महत्व प्राप्त हुआ. हालाँकि, योग की वास्तविक शुरुआत श्री हनुमान व्यायाम प्रसारक मंडल से हुई. हमारे दैनिक दिनचर्या में योग शामिल था. प्रत्येक छात्र योग का अभ्यास कर रहा था. मंडल में चार साल की शिक्षा ने मेरे व्यक्तित्व को पूरी तरह बदल दिया है. मैंने कश्मीर में परिवर्तन का कार्य इस भावना के साथ शुरू किया था कि कश्मीर देश का अभिन्न अंग है और देश की एकता में इसका योगदान महत्वपूर्ण है. मुझे इस बात पर गर्व है कि आज कश्मीर में हर क्षेत्र में शीर्ष पदों पर कार्यरत सभी व्यक्तित्व श्री हनुमान व्यायाम प्रसारक मंडल के छात्र हैं.
आज, कई वर्षों के बाद, मंडल के पूर्व छात्र संगठन के सचिव, डॉ. ललित शर्मा के माध्यम से गुरुवर्य पद्मश्री प्रभाकरराव वैद्य साहब के दर्शन एवं समूह का पुनर्मिलन हुआ. जब मैं मंडल में आया तो पुरानी यादें ताज़ा हो गईं. अपने गुरु वैद्य साहब के दर्शन और पुरानी बाते ताजा हो गई. आज मंडल का दायरा और भी बढ़ गया है. सबसे बड़ी खुशी की बात यह है कि मेरे मंडल को खेल विश्वविद्यालय का दर्जा दे दिया गया है. हम सभी मंडल के विद्यार्थी कश्मीरी देश की एकता के साथ सामंजस्य स्थापित करते हुए प्रगति की ओर अग्रसर हैं. इसमें गुरुवर्य पद्मश्री प्रभाकरराव वैद्य हमारे लिए निरंतर प्रेरणास्रोत हैं और श्री हनुमान व्यायाम प्रसारक मंडल की तरक्की में हमारी आस्था, सहयोग रहेगा ऐसी भावना पूर्व छात्र मोहम्मद रफ़ी वाणी ने व्यक्त की.

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