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उस’ खबर से मीडिया, सोशल मीडिया व राजनीति में अब भी बवाल

लगातार गरमाया हुआ है मनपा प्रभाग रचना के कच्चे प्रारूप का मामला

* दैनिक अमरावती मंडल ने दो दिन पूर्व प्रकाशित की थी प्रभागनिहाय सूची

* कई बडे नेताओं सहित मनपा पदाधिकारियों व पार्षदों ने घेरा प्रशासन को

* निगमायुक्त रोडे की ओर से अब तक न तो खंडन, न ही स्पष्टीकरण

* लगातार गरमाता जा रहा है गोपनीय रिपोर्ट के लीक होने का मामला

अमरावती/दि.2- राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा मनपा के आगामी फरवरी माह में होनेवाले आम चुनाव तथा मनपा सदस्यों की बढी हुई संख्या के मद्देनजर मनपा प्रशासन को 30 नवंबर से पहले मनपा की नई प्रभाग रचना का कच्चा प्रारूप तैयार करने का निर्देश दिया गया था. यह पूरी प्रक्रिया बेहद गोपनीय तरीके से पूर्ण की जानी थी. किंतु 30 नवंबर को ही मनपा प्रशासन के निर्वाचन विभाग से प्रभाग रचना के कच्चे प्रारूप की रिपोर्ट लिक हो गई थी. जिसे 30 नवंबर को ही दैनिक अमरावती मंडल द्वारा जस का तस प्रकाशित कर दिया गया था. इस रिपोर्ट के सामने आते ही स्थानीय स्तर की राजनीति सहित मीडिया और सोशल मीडिया में जबर्दस्त बवाल आ गया. जहां एक ओर राजनीतिक क्षेत्र से वास्ता रखनेवाले लोगों ने इसे लेकर मनपा प्रशासन को जबर्दस्त ढंग से घेरना शुरू किया. वहीं अमरावती मंडल में खबर प्रकाशित होने के बाद स्थानीय मीडिया ने भी इस खबर को हाथोंहाथ लपक लिया. साथ ही साथ सोशल मीडिया पर अमरावती मंडल की ओर से प्रकाशित प्रभागों की सुचियां वायरल होने लगी. किंतु इन सबके बीच स्थानीय मनपा प्रशासन द्वारा गजब की चुप्पी साध ली गई है और निगमायुक्त प्रशांत रोडे द्वारा अब तक इस विषय को लेकर न तो अपनी ओर से कोई खंडन ही किया गया है और न ही इसे लेकर कोई स्पष्टीकरण ही जारी किया गया है.
बता दें कि, मंगलवार 30 नवंबर को दैनिक अमरावती मंडल द्वारा यह खबर प्रकाशित किये जाते ही शहर की राजनीति में मानो कोई बम फूट गया और दूसरे दिन 1 दिसंबर को मनपा के सत्ताधारी दल भाजपा सहित तमाम विपक्षी दल भी मनपा प्रशासन पर यह सवाल लेकर टूट पडे कि, आखिर बेहद गोपनीय तरीके से तैयार की गई रिपोर्ट लीक कैसे हुई. साथ ही कई मनपा पदाधिकारियों व नेताओं ने तो प्रभाग रचना के परिसिमन को लेकर ही अपनी आपत्ति यह कहते हुए दर्ज करायी कि, किसी दल विशेष को फायदा पहुंचाने के लिए प्रशासन द्वारा प्रभाग रचना तैयार की गई है. हालांकि आश्चर्य यह है कि, ऐसी आपत्ति सभी दलों द्वारा उठाई जा रही है. ऐसे में सबसे बडा सवाल यह है कि, आखिर मनपा की राजनीति का वह सिरमौर कौन है, जिसके इशारे पर और जिसकी मर्जी से प्रभाग रचना का नया प्रारूप बनाया गया है.
हालांकि कहने के लिए राज्य निर्वाचन आयोग के निर्देश पर प्रशासन द्वारा तय की जाती प्रभाग रचना में किसी भी तरह का कोई राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं होता. किंतु हकीकत यह होती है कि, प्रशासन एवं स्थानीय राजनेताओं के एक-दूसरे के साथ हितसंबंध जुडे होते है और कई बार कई सारे काम आपस में मिल-जुलकर एक-दूसरे के हितोें को देखते हुए किये भी जाते है. ऐसे में इस बात को लेकर भी कोई आश्चर्य या अविश्वास करनेवाली बात नहीं है कि, प्रभाग रचना तय करते समय राजनीतिक समीकरणों व वोटों के गणित को देखते हुए प्रारूप बनाने के काम में परदे के पीछे से राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं हुआ होगा. किंतु जिस तरह से अब हर राजनीतिक दल इस प्रभाग रचना को अपने लिये नुकसानदेह बता रहा है, तो सवाल यह है कि, यदि सभी को इससे नुकसान हो रहा है, तो इससे फायदा किसे पहुंचनेवाला है.

* गोपनियता भंग को लेकर सर्वाधिक आक्षेप

मनपा के सत्ताधारी दल भाजपा द्वारा प्रभाग रचना के कच्चे प्रारूप की रिपोर्ट के लीक होने को लेकर मनपा प्रशासन पर गोपनियता भंग करने को लेकर आक्षेप उठाया गया है. भाजपा पदाधिकारियों का कहना है कि, यदि मनपा प्रशासन द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट और दैनिक अमरावती मंडल द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट पूरी तरह से एकसमान है, तो यह सीधे-सीधे गोपनियता भंग का मामला है और यदि ऐसा होता है, तो मनपा प्रशासन को पूरी गोपनियता का पालन करते हुए नये सिरे से मनपा की प्रभाग रचना का काम करना चाहिए. वहीं प्रभाग रचना के पुनर्गठन को लेकर फिलहाल किसी भी विपक्षी दल द्वारा तो मांग नहीं उठाई गई है, किंतु गोपनियता भंग को लेकर सभी के द्वारा आक्षेप दर्ज कराया गया है.

* महापौर ने भेजा राज्यपाल को पत्र

वहीं इस दौरान मनपा प्रभाग की प्रारूप रचना की रिपोर्ट लीक होने को लेकर महापौर चेतन गावंडे ने सीधे राज्य के राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी को पत्र लिखा है. जिसमें उन्होंने गोपनीय रिपोर्ट के लीक होने को लेकर अपनी आपत्ति दर्ज कराते हुए प्रशासन को प्रभाग रचना के पुनर्गठन का निर्देश दिये जाने की मांग की है.

* मनपा प्रशासन का मंडल से कोई संपर्क नहीं

विगत दो दिनों के दौरान जहां मनपा के कई पदाधिकारियों व पार्षदों सहित चुनाव लडने के इच्छुकों एवं विभिन्न दलों के नेताओं ने दैनिक अमरावती मंडल से संपर्क करते हुए 30 नवंबर को प्रकाशित प्रभाग रचनावाली खबर को लेकर संपर्क किया और खबर की सत्यता को लेकर पुष्टि करनी चाही. वहीं महानगर पालिका के किसी भी जिम्मेदार अधिकारी ने अब तक इस संदर्भ में दैनिक अमरावती मंडल से संपर्क करते हुए इस बात को लेकर जानकारी प्राप्त करने की जहमत भी नहीं उठाई कि, आखिर हमारे हाथ मनपा की बेहद गोपनीय रिपोर्ट कैसे लग गई. यह एक तरह से मनपा प्रशासन का मौन समर्थन ही है. जिसके मुताबिक दैनिक अमरावती मंडल द्वारा प्रकाशित प्रभाग रचना की जानकारी शत-प्रतिशत सही है.

* विधायक खोडके ने लिखा निर्वाचन आयोग को पत्र

वहीं इस बीच स्थानीय विधायक सुलभा खोडके ने भी राज्य निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर दैनिक अमरावती मंडल में प्रकाशित प्रभाग रचनावाली खबर का हवाला देते हुए कहा कि, इसके जरिये निर्वाचन आयोग की ओर से जारी नियमों व शर्तों तथा मानकों का उल्लंघन हुआ है और यदि यह प्रभाग रचना उस खबर में प्रकाशित की गई प्रभाग रचना की तरह ही है, तो इस प्रारूप को पूरी तरह से रद्द करते हुए नये सिरे से प्रभाग रचना का काम किया जाये. साथ ही गोपनियता की शर्त का भंग करनेवाले संबंधितों के खिलाफ कार्रवाई की जाये.

* शिवसेना की भी हुई विचारमंथन बैठक

वहीं दैनिक अमरावती मंडल के जरिये सामने आयी प्रभाग रचना को देखते हुए शिवसेना के महानगर प्रमुख पराग गुडधे के नेतृत्व में महानगर शिवसेना की एक बैठक बुलाई गई. जिसमें नई प्रभाग रचना के प्रारूप को लेकर चर्चा करने के साथ ही यह आरोप भी लगाया गया कि, मनपा के सत्ताधारी दल भाजपा द्वारा प्रशासन के साथ मिलीभगत करते हुए अपने फायदे के लिहाज से प्रभाग रचना की गई है.

* हमने तो नये परिसिमन की मांग उठायी, आप भी उठाओ

प्रभाग रचना को लेकर विरोधी दलों द्वारा भाजपा के संदर्भ में लगाये जा रहे आरोपों पर जवाब देते हुए मनपा के सभागृह नेता तुषार भारतीय ने कहा कि, गत रोज यह मामला सामने आते ही खुद उन्होंने और महापौर चेतन गावंडे ने प्रशासन के नाम एक पत्र जारी कर नये सिरे से प्रभाग रचना तय करने की मांग उठायी. यदि इस प्रभाग रचना में हमारा कोई भी फायदा या सहभाग होता, तो हम निश्चित तौर पर यह मांग नहीं उठाते. वहीं उन्होंने इस बात की ओर भी ध्यान दिलाया कि,
अब तक मनपा के किसी भी विपक्षी दल द्वारा नये परिसिमन की मांग नहीं उठाई गई है. साथ ही उन्होंने इशारो-इशारो में यह भी कहा कि, वैसे तो प्रभाग रचना व वॉर्ड परिसिमन के काम में किसी भी तरह का कोई राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं होता और अधिकारी अपने काम को इमानदारी के साथ ही अंजाम देते है. किंतु यदि विपक्षी दलों की दलील को मान लिया जाये, तो विपक्षी दलों ने यह नहीं भूलना चाहिए कि, हर अधिकारी एक तरह से राज्य सरकार का प्रतिनिधि होता है और इस समय राज्य में उन्हीं दलों की सरकार है, जो अमरावती मनपा में विपक्ष में बैठे है.

* मीडिया में भी जबर्दस्त प्रतिस्पर्धा

दैनिक अमरावती मंडल द्वारा मनपा के आगामी चुनाव को लेकर सबसे बडी खबर ‘बे्रक’ करने के बाद अब स्थानीय मीडिया में भी इस खबर की विस्तृत जानकारी प्राप्त करने और प्रकाशित करने की जबर्दस्त प्रतिस्पर्धा देखी जा रही है. साथ ही कई ‘धुरंधर’ तो यह जताने तक का प्रयास कर रहे है, मानो पूरा मामला उन्होंने ही सामने लाया है. ऐसा प्रयास इससे पहले भी विगत जुलाई-अगस्त माह के दौरान हुआ था, जब दैनिक अमरावती मंडल ने डेंग्यू व चिकनगुनिया जैसी बीमारियों के मद्देनजर बारिश के मौसम दौरान शहर में व्याप्त कचरे और गंदगी की समस्या को लेकर 15 दिनों तक व्यापक स्तर पर जनजागरण अभियान चलाया था. बहरहाल इस समय अमरावती मंडल द्वारा उठाये गये प्रभाग रचना के मामले में स्थानीय मीडिया सहित सोशल मीडियावीरों को काम पर लगा दिया है. जिसके चलते विगत दो दिनों से अमरावती शहर में केवल और केवल अमरावती मंडल एवं मंडल द्वारा प्रभाग रचना को लेकर प्रकाशित खबर की ही चर्चा चल रही है.

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