कलकल बहती गडगा नदी की ‘वह’आवाज लुप्त होने की नजर आ रही संभावना
नदी पात्र में जगह-जगह तालाबनुमा की जा रही खुदाई
* बारिश में दुर्घटना होेने की आशंका
* पर्यावरण को निर्माण हो रहा खतरा
धारणी/दि.18– गडगा नदी के किनारे खेत जमीन तहसील में सबसे ज्यादा उपजाऊ मानी जाती है. अब नदी का प्राकृतिक सौंदर्य बदसूरत किया गया है,जिससे पर्यावरण को खतरा निर्माण हुआ है.नदी के बीचोंबीच खुदाई विकास के नाम पर करते हुए षड्यंत्र रचा जा रहा है, ऐसा लग रहा है. कलकल आवाज करते बहने वाली इस नदी को गडगा नाम दिया गया है,ऐसा बताया जाता है.पानी के बहने की वह आवाज भी लुप्त होने की संभावना नजर आ रही है.
गडगा नदी को मेलघाट की गंगा कहा जाता है. टोली शिवार स्थित गडगा नदी के पात्र में अज्ञात योजना अंतर्गत अज्ञात विभाग ने अज्ञात खुदाई कर नदी का प्राकृतिक रूप बदलकर जानलेवा कर दिया है, जिससे पर्यावरण व साथ-साथ आदिवासियों की जान को खतरा निर्माण हुआ है. इस खुदाई के बारे में प्रादेशिक वनविभाग, मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प या राजस्व विभाग को कोई जानकारी न रहने से मेलघाट में पूर्व नियोजित आर्थिक गबन का नया चेहरा सामने आया है. धारणी से 11 किमी. दूरी पर स्थित टोली और गडगा नदी के समीप बसे आकी, मांसूधावड़ी इन गांवों के बीच से शिवार से बहने वाली गड़गा नदी में 8-10 छोटे-छोटे तालाब खोदे गए हैं. अचानक यह बात सामने आने से मेलघाटवासी आश्चर्य में पड़ गए हैं. एक जानकारी के अनुसार दो माह पूर्व गर्मी के दिनों में गड़गा नदी में चौकोनी आकार की तालाब सदृश्य खुदाई जगह-जगह पर की गई थी. किस योजना अंतर्गत, कौन से सरकारी विभाग में, किस ठेकेदार द्वारा व कितने रुपए के बजट अंतर्गत संरक्षित नदी में ब्लास्टिंग कर पोकलैंड से गडगा नदी के तालाब में चौकोनी आकार के तालाब खोदे गए. इस बात का पता ग्रामवासी, ग्राम पंचायत, वनविभाग, राजस्व विभाग, अमरावती जिप, जल संसाधन, तहसील कृषि अधिकारी इनमें से किसी को नहीं है. इसके अलावा मौके पर कोई जानकारी देने वाले बोर्ड नहीं लगाए गए हैं. गुप्त तरीके से खुदाई की गई है.जानकारी के अनुसार टोली गांव शिवार के खेतों की मेड पर जेसीबी से खुदाई शुरू की गई थी, लेकिन किसानों की सहमति या एनओसी नहीं ली गई थी. इसलिए किसानों ने काम बंद करवाया. इसके बाद नदी के पात्र में बिना अनुमति व अवैज्ञानिक तरीके से खुदाई की गई.
* बडा हादसा होने की संभावना
टोली गांव के समीप गडगा नदी में चौकोनी क्यारियों जैसे तालाब की खुदाई पोकलैंड से कर बारिश के दिनों में आदिवासियों के डूबकर मरने का प्रावधान किया गया है. बारिश के दिनों में गडगा नदी में बाढ आने पर आदिवासी बाढ में आई लकडियां इकट्ठा करते हैं और ईंधन के रूप में इस्तेमाल करते हैं.3 वर्ष पूर्व गडगा नदी में बिना अनुमति खुदाई कर पत्थर व मुरुम चुराने के आरोप में एक व्यक्ति को दंडित किया गया था. फिर वही न्याय अब क्यों नहीं लगाया जा रहा है, ऐसा सवाल उपस्थित हो रहा है.
गहराई से जांच करने की जरूरत
जहां पर नदीपात्र में 100 बाय 50 मीटर आकार के तालाब खोदे गए हैं, वहां से पूर्व दिशा में 6 किमी. दूरी पर गडगा नदी में मांसूधावडी गांव शिवार में गडगा मध्यम प्रकल्प नामक बड़ा बांध बनाया गया है. गत 12 वर्षों से प्रकल्प का निर्माण कार्य जारी है. लेकिन अब तक जलसंचय नहीं किया गया है, तो दूसरी ओर गत दो वर्षों से नहर के लिए पाइप लाइन बिछाई जा रही है. गडगा मध्यम प्रकल्प से 70 प्रश. धारणी तहसील व्याप्त है. अब तापी मेगा रिचार्ज प्रोजेक्ट शुरू होने की तैयारी में है. इस तरह प्रकल्प के नाम पर भ्रष्टाचार हो रहा है. गड़गा नदी अतिसंरक्षित रहते हुए भी व्याघ्र प्रकल्प के 3 किमी. अंदर नदी में खुदाई की गई है. इसकी गहराई से जांच कर जिम्मेदार विभाग पर कार्रवाई होना आवश्यक है.