अमरावतीमहाराष्ट्रमुख्य समाचारविदर्भ

बडे उलटफेर के लिए याद रखा जाएगा वर्ष 2009 का विधानसभा चुनाव

परिसीमन के बाद वलगांव सीट हुई थी खत्म, 9 की बजाय 8 सीटें बनी

* कांग्रेस में 4 सीटों पर हासिल की थी जीत
* 3 सीटों पर निर्दलीयों ने मारी थी बाजी
* दर्यापुर की एक सीट पर सफल रही थी शिवसेना
* भाजपा व राकांपा का हुआ था पूरी तरह से सुपडा साफ
* अमरावती की सीट पर पूरे देश की लगी थी निगाहे
* तत्कालीन विधायक सुनील देशमुख की टिकट कटी थी
* राष्ट्रपति के बेटे रावसाहब शेखावत को कांग्रेस ने दिया था मौका
* बच्चू कडू व जगताप ने दूसरी बार हासिल की थी चुनावी सफलता
* बोंडे, राणा, काले, अडसूल और यशोमति ठाकुर पहली बार चुने गये थे
अमरावती/दि.7 – वर्ष 2009 में हुआ विधानसभा चुनाव अमरावती जिले सहित राज्य की राजनीति में लंबे समय तक के लिए याद रखा जाएगा. क्योंकि इस विधानसभा चुनाव में काफी बडे राजनीतिक उलटफेर हुए थे और चुनावी नतीजे भी आश्चर्यचकीत कर देने वाले रहे. उस चुनाव की सबसे बडी खासियत यह थी कि, राज्य में बडी तेजी के साथ अपना जनाधार बना रही भारतीय जनता पार्टी का अमरावती जिले में खाता तक नहीं खुला था. भाजपा ने अमरावती जिले की 8 में से 4 सीटों पर अपने प्रत्याशी खडे किये थे और चारों प्रत्याशियों को हार का सामना करना पडा था. वहीं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने भी जिले की 2 सीटों पर अपने प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतारे थे. लेकिन राकांपा को दोनों ही सीटों पर हार का सामना करना पडा. वहीं 4 सीटों पर अपने प्रत्याशी खडे करने वाली शिवसेना को महज एक सीट पर सफलता मिली थी. जबकि 8 में से 4 सीटों पर अपने प्रत्याशी खडे करने वाली कांग्रेस ने चारों ही सीटों पर जीत हासिल करते हुए शानदार सफलता प्राप्त की थी. इसके अलावा 3 सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशियों ने जीत हासिल कर अपना दबदबा दिखाया था. जिसके तहत निर्दलीय प्रत्याशी बच्चू कडू लगातार दूसरी बार चुनाव जीते थे. वहीं रवि राणा व डॉ. बोंडे पहली बार निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव जीतकर सदन में पहुंचे थे.
इसके अलावा वर्ष 2009 में सबसे बडा उलटफेर यह भी हुआ कि, लंबे समय बाद हुए परिसीमन पश्चात एक बार फिर अमरावती जिले में वलगांव निर्वाचन क्षेत्र को रद्द कर दिया गया. जिसके चलते जिले में 9 की बजाय 8 विधानसभा सीटें ही बची थी तथा वलगांव निर्वाचन क्षेत्र में शामिल इलाकों को बडनेरा व मोर्शी विधानसभा क्षेत्रों में विभाजीत करते हुए शामिल किया गया था. वहीं बडनेरा और चांदूर रेल्वे सहित अमरावती विधानसभा क्षेत्रों का नये सिरे से परिसीमन करते हुए कई इलाकों को इधर से उधर किया गया था. जिसके चलते राजनीतिक समीकरण बुरी तरह से गडबडा गये थे. जिसका असर चुनाव परिणाम पर साफ तौर पर दिखाई दिया था.
वर्ष 2009 के चुनाव की सबसे बडी खासियत यह भी रही कि, उस समय जिले के कद्दावर कांग्रेस नेता रहने वाले एवं दो बार विधायक निर्वाचित होने के साथ ही तत्कालीन सरकार में मंत्री रहने वाले डॉ. सुनील देशमुख की टिकट कांग्रेस पार्टी द्वारा ऐन समय पर काट दी गई थी तथा उनके स्थान पर उस समय देश की राष्ट्रपति रहने वाले श्रीमती प्रतिभाताई पाटिल तथा पूर्व विधायक व शहर के प्रथम महापौर डॉ. देवीसिंह शेखावत के बेटे रावसाहब शेखावत को कांग्रेस द्वारा अपना प्रत्याशी बनाया गया था. इसके चलते डॉ. सुनील देशमुख ने कांग्रेस के खिलाफ बगावत कर दी थी, जिसके लिए डॉ. सुनील देशमुख को कांग्रेस से 6 वर्ष हेतु निष्कासित कर दिया गया था. ऐसे में डॉ. सुनील देशमुख ने जनविकास कांग्रेस बनाते हुए चुनाव में हिस्सा लिया था. हालांकि डॉ. सुनील देशमुख को रावसाहब शेखावत के हाथों हार का सामना करना पडा था. वहीं रावसाहब की जीत के लिए शेखावत दम्पति ने उस समय उनके पास रहने वाली पूरी ताकत को झोंकते हुए एक तरह से पूरी मशीनरी को रावसाहब की जीत सुनिश्चित कराने हेतु काम पर लगा दिया था. ऐसे में उस वक्त अमरावती निर्वाचन क्षेत्र में हो रहे विधानसभा चुनाव की ओर पूरे देश की निगाहे लगी हुई थी तथा उस चुनाव में रावसाहब शेखावत की जीत हुई थी, जिन्हें उनके मुकाबले बेहद कम संसाधन रहने वाले डॉ. सुनील देशमुख ने कडी टक्कर भी दी थी.
इसके अलावा वर्ष 2009 के चुनाव में अचलपुर निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी बच्चू कडू तथा धामणगांव रेल्वे निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी वीरेंद्र जगताप ने लगातार दूसरी बार जीत हासिल की थी. वहीं मोर्शी-वरुड निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी डॉ. अनिल बोंडे, मेलघाट निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी केवलराम काले, दर्यापुर निर्वाचन क्षेत्र से शिवसेना प्रत्याशी कैप्टन अभिजीत अडसूल व तिवसा निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी यशोमति ठाकुर ने पहली बार जीत हासिल करते हुए अपना राजनीतिक खाता खोला था. इसके साथ ही बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र में राकांपा प्रत्याशी व तत्कालीन विधायक सुलभा खोडके को पहली बार चुनाव लड रहे निर्दलीय प्रत्याशी रवि राणा के हाथों हार का सामना करना पडा था.


* अमरावती से जीते थे रावसाहब शेखावत
– दो बार के विधायक व मंत्री डॉ. देशमुख को करना पडा था हार का सामना
वर्ष 2009 के विधानसभा चुनाव में पूरे देश की निगाहें अमरावती विधानसभा क्षेत्र की ओर लगी हुई थी. जहां पर कांग्रेस पार्टी ने अपने दो बार के विधायक तथा तत्कालीन मंत्री रहने वाले डॉ. सुनील देशमुख को दरकिनार करते हुए उस समय देश की राष्ट्रपति रहने वाली श्रीमती प्रतिभाताई पाटिल तथा पूर्व विधायक व शहर के प्रथम महापौर डॉ. देवीसिंह शेखावत के बेटे रावसाहब शेखावत को अपना प्रत्याशी बनाया था. पार्टी के इस फैसले को खुद पर अन्याय बताते हुए डॉ. सुनील देशमुख ने बगावत कर दी थी. जिसके चलते उन्हें कांग्रेस से 6 साल के लिए निष्कासित किया गया था. ऐसे में डॉ. सुनील देशमुख ने जनविकास कांग्रेस पार्टी का गठन करते हुए निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लडा था. परंतु शेखावत परिवार द्वारा रावसाहब शेखावत की जीत के लिए जिस तरह से अपनी पूरी ताकत झोंकने के साथ ही मशीनरी को काम पर लगाया गया था. उसके सामने डॉ. सुनील देशमुख टिक नहीं पाये थे और उन्हें हार का सामना करना पडा था. वर्ष 2009 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रावसाहब शेखावत को 61,331 तथा उनके निकटतम प्रतिद्वंदी व निर्दलीय प्रत्याशी डॉ. सुनील देशमुख को 55,717 वोट मिले थे. इसके चलते रावसाहब शेखावत 5 हजार 614 वोटों से चुनाव जीते थे. वहीं उस चुनाव में भाजपा ने डॉ. प्रदीप शिंगोरे को प्रत्याशी बनाते हुए चुनावी मैदान में उतारा था. जो महज 16,024 वोट ही हासिल कर पाये और तीसरे स्थान पर रहे. उस चुनाव में अमरावती विधानसभा क्षेत्र से कुल 14 प्रत्याशी मैदान में थे. जिनमें से इन तीन प्रमुख प्रत्याशियों को छोडकर शेष 11 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई थी.


* बडनेरा से रवि राणा ने पहली बार खोला था खाता
– तत्कालीन विधायक व राकांपा प्रत्याशी सुलभा खोडके हारी थी
वर्ष 2009 के चुनाव में हुए परिसीमन का नुकसान एक तरह से बडनेरा की तत्कालीन विधायक सुलभा खोडके को भी उठाना पडा था. क्योंकि खोडके दम्पति का निवास क्षेत्र रहने वाले पंचवटी चौक से नवसारी तक के परिसर को बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र से अलग करते हुए अमरावती निर्वाचन क्षेत्र के साथ जोड दिया गया था. वहीं बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र में अमरावती शहर के आधे हिस्से सहित भातकुली तहसील के कुछ हिस्से को जोडा गया था और अब तक बडनेरा में शामिल हुए नांदगांव खंडेश्वर को धामणगांव रेल्वे निर्वाचन क्षेत्र के साथ जोडा गया. जिसका खामियाजा सुलभा खोडके को उठाना पडा और पहली बार चुनावी अखाडे में खम ठोकने वाले युवा निर्दलीय प्रत्याशी रवि राणा ने वर्ष 2009 के चुनाव में बाजी मार ली. उस चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर रवि राणा ने 73,031 और राकांपा प्रत्याशी सुलभा खोडके ने 54,260 वोट हासिल किये थे तथा 18,771 वोटों की लीड से रवि राणा विधायक निर्वाचित हुए थे. वहीं बडनेरा क्षेत्र से पहली बार विधानसभा का चुनाव लडने वाले शिवसेना प्रत्याशी सुधीर सूर्यवंशी 17,582 वोट हासिल करते हुए तीसरे स्थान पर थे. उस चुनाव में बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र से कुल 15 प्रत्याशी मैदान में थे, जिसमें से 3 प्रत्याशी को छोडकर शेष 12 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई थी.


* अचलपुर से लगातार दूसरी बार जीते थे बच्चू कडू
अचलपुर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में वर्ष 2009 के विधानसभा चुनाव हेतु प्रहार पार्टी के मुखिया बच्चू कडू तथा कांग्रेस नेत्री वसुधा देशमुख लगातार तीसरी बार आमने-सामने थे और लगातार दूसरी बार बच्चू कडू ने वसुधा देशमुख को पराजीत किया था. उस चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर बच्चू कडू ने 60,627 तथा कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर वसुधा देशमुख ने 54,884 वोट हासिल किये थे और 5,743 वोटों की लीड से बच्चू कडू दोबारा विधायक निर्वाचित हुए थे. विशेष उल्लेखनीय है कि, वर्ष 2004 में बच्चू कडू ने लोकसभा का चुनाव लडते हुए सेना प्रत्याशी अनंत गुढे को कडी चुनौती दी थी. ऐसे में वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में अमरावती संसदीय क्षेत्र अनुसूचित जाति हेतु आरक्षित हो जाने के चलते अनंत गुढे ने बच्चू कडू से अपना पुराना हिसाब-किताब चुक्ता करने हेतु वर्ष 2009 में अचलपुर निर्वाचन क्षेत्र से विधानसभा का चुनाव लडा था. लेकिन कभी जिले के सांसद रहे अनंत गुढे को उस चुनाव में मात्र 24,824 वोट हासिल हुए थे तथा वे तीसरे स्थान पर थे. वर्ष 2009 के चुनाव में अचलपुर निर्वाचन क्षेत्र से कुल 21 प्रत्याशी मैदान में थे. जिसमें से इन 3 प्रमुख प्रत्याशियों को छोडकर शेष 18 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई थी.


* मेलघाट में केवलराम काले ने जीता था कांग्रेस का गढ
– दो बार के विधायक राजकुमार पटेल को करना पडा था हार का सामना
किसी समय कांग्रेस का मजबूत गढ रहने वाले जिले के आदिवासी बहुल मेलघाट क्षेत्र में वर्ष 1999 व 2004 के चुनावों में भाजपा प्रत्याशी के तौर पर राजकुमार पटेल ने लगातार दो बार जीत हासिल की थी. परंतु वर्ष 2009 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर केवलराम काले ने जीत हासिल करते हुए इस आदिवासी बहुल सीट पर एक बार फिर कांग्रेस का परचम फहराया था. साथ ही केवलराम काले ने अपने पिता व मेलघाट के पूर्व विधायक तु. रु. काले की विरासत को भी आगे बढाया था. जिसके चलते दो बार के विधायक रहने वाले भाजपा प्रत्याशी राजकुमार पटेल की हैट्रीक चूक गई थी और मेलघाट विधानसभा क्षेत्र पर कई वर्षों से चला आ रहा पटेल परिवार का दबदबा थोडा कम हुआ था. उस चुनाव में कांगे्रस प्रत्याशी केवलराम काले ने 63,619 तथा भाजपा प्रत्याशी राजकुमार पटेल को 62,909 वोट मिले थे. यानि महज 710 वोटों के फर्क से राजकुमार पटेल तीसरी बार विधायक बनने से चुक गये. उस चुनाव में मेलघाट निर्वाचन क्षेत्र से कुल 10 प्रत्याशी मैदान में थे. जिसमें से मुख्य भिडंत इन्हीं दो प्रत्याशियों के बीच हुई थी. वहीं शेष 8 प्रत्याशियों की जमानत तक जब्त हो गई थी.


* धामणगांव रेल्वे सीट से दूसरी बार जीते थे वीरेंद्र जगताप
धामणगांव रेल्वे निर्वाचन क्षेत्र से वर्ष 2009 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी वीरेंद्र जगताप ने लगातार दूसरी बार जीत हासिल करते हुए करीब 13 हजार वोटों की लीड से भाजपा प्रत्याशी व पूर्व विधायक अरुण अडसड को पराजीत किया था. विशेष उल्लेखनीय है कि, धामणगांव रेल्वे निर्वाचन क्षेत्र से अरुण अडसड का यह करीब छठवां चुनाव था और वे इससे पहले दो बार विधायक भी रह चुके थे. साथ ही उन्हें धामणगांव रेल्वे व चांदूर रेल्वे तहसील क्षेत्र मेें भाजपा का बेहद कद्दावर नेता भी माना जाता था. लेकिन इसके बावजूद भी उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी वीरेंद्र जगताप के हाथों करारी हार का सामना करना पडा था. खास बात यह रही कि, उस चुनाव में धामणगांव रेल्वे विधानसभा क्षेत्र के साथ नांदगांव खंडेश्वर तहसील को भी जोडा गया था. जहां पर कांग्रेस प्रत्याशी वीरेंद्र जगताप की अच्छी खासी पकड थी. उस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी वीरेंद्र जगताप को 72,755 तथा भाजपा प्रत्याशी अरुण अडसड को 59,307 वोट मिले थे. वहीं बसपा प्रत्याशी व पूर्व विधायक डॉ. पांडुरंग ढोले 29,544 वोट लेकर तीसरे स्थान पर थे. उस समय धामणगांव रेल्वे निर्वाचन क्षेत्र से कुल 14 प्रत्याशी मैदान में थे. जिनमें से इन 3 प्रत्याशियों को छोडकर शेष प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई थी.


* तिवसा में यशोमति ठाकुर ने संभाली थी अपने पिता की विरासत
अपने पिता पूर्व विधायक भैयासाहब ठाकुर के नक्शे कदम पर चलते हुए राजनीति के क्षेत्र में कदम रखने वाली यशोमति ठाकुर ने वर्ष 2004 में पहली बार विधानसभा का चुनाव लडा था. जिसमें उन्हें हार का सामना करना पडा था. लेकिन वर्ष 2009 के विधानसभा चुनाव में यशोमति ठाकुर ने एक बार फिर कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर हिस्सा लिया और इस बार रिकॉर्ड 26 हजार 130 वोटों की लीड के साथ जीत हासिल की. उस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी यशोेमति ठाकुर को 73,045 वोट मिले थे. वहीं उनके निकटतम प्रतिद्वंदी व शिवसेना प्रत्याशी संजय बंड केवल 46,924 वोट हासिल कर पाये थे. विशेष उल्लेखनीय है कि, इससे पहले संजय बंड वलगांव निर्वाचन क्षेत्र से लगातार तीन बार विधायक निर्वाचित हो चुके थे. परंतु वर्ष 2009 के चुनाव हेतु हुए परिसीमन में वलगांव निर्वाचन क्षेत्र को निरस्त कर दिया गया था तथा इस निर्वाचन क्षेत्र में शामिल इलाकों को बडनेरा व तिवसा विधानसभा क्षेत्र में विभाजीत किया गया. जिसमें से वलगांव वाला परिसर तिवसा निर्वाचन क्षेत्र में शामिल किया गया था. जिसके चलते वलगांव से 3 बार विधायक रह चुके संजय बंड ने तिवसा निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लडने का फैसला किया था. हालांकि वे इसमे असफल रहे थे. वहीं इस चुनाव में तिवसा निर्वाचन क्षेत्र में बसपा प्रत्याशी चंद्रशेखर कुरलकर ने 11,834 वोट हासिल करते हुए अपनी जमानत बचायी थी. जबकि चुनावी अखाडे में रहने वाले अन्य 9 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई थी.


* मोर्शी में बगावत कर जीते थे डॉ. बोंडे
– शिवसेना ने काटी थी टिकट
वर्ष 2004 के चुनाव में शिवसेना प्रत्याशी के तौर पर मोर्शी निर्वाचन क्षेत्र से पहली बार चुनाव लडते हुए हार जाने वाले डॉ. अनिल बोंडे को वर्ष 2009 में टिकट देने से शिवसेना ने इंकार कर दिया था. जिसके चलते डॉ. बोंडे ने शिवसेना के खिलाफ बगावत करते हुए निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लडा था और करीब 6 हजार वोटों की लीड से जीत हासिल की थी. उस चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी डॉ. अनिल बोंडे को 43,905 तथा उनके निकटतम प्रतिद्वंदी व निर्दलीय प्रत्याशी पूर्व विधायक नरेशचंद्र ठाकरे को 37,870 वोट मिले थे. वहीं राकांपा प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लडने वाले पूर्व विधायक हर्षवर्धन देशमुख 37,748 वोट हासिल करते हुए तीसरे स्थान पर थे. विशेष उल्लेखनीय यह भी है कि, विधानसभा चुनाव हेतु हुए परिसीमन के चलते तिवसा निर्वाचन क्षेत्र का कुछ इलाका काटकर मोर्शी निर्वाचन क्षेत्र के साथ जोडे जाने और भाजपा सेना युति के तहत तिवसा सीट को शिवसेना के कोटे में छोडे जाने के चलते दो बार तिवसा के विधायक रह चुके साहेबराव तट्टे ने वर्ष 2009 का चुनाव मोर्शी से भाजपा प्रत्याशी के तौर पर लडा था. लेकिन उन्हें महज 15,276 वोट हासिल हो पाये थे और उन्होंने पांचवे स्थान पर रहते हुए जैसे तैसे अपनी जमानत बचाई थी. उस चुनाव में मोर्शी निर्वाचन क्षेत्र से कुल 18 प्रत्याशी मैदान में थे. जिनमें से 5 प्रत्याशियों को छोडकर 13 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई थी.


* दर्यापुर से सांसद पुत्र अभिजीत अडसूल बने थे विधायक
वर्ष 2009 में अमरावती संसदीय सीट अनुसूचित जाति हेतु आरक्षित होने के बाद उस समय तक बुलढाणा के सांसद रहने वाले शिवसेना नेता आनंदराव अडसूल वर्ष 2009 का चुनाव अमरावती की आरक्षित सीट से लडकर जीता था और अमरावती के सांसद निर्वाचित हुए थे. जिन्होंंने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए अनुसूचित जाति हेतु आरक्षित दर्यापुर विधानसभा क्षेत्र से अपने बेटे कैप्टन अभिजीत अडसूल को शिवसेना की टिकट दिलवाई थी तथा अभिजीत अडसूल ने अपने पिता द्वारा किये गये प्रयासों की बदौलत शिवसेना प्रत्याशी के तौर पर दर्यापुर विधानसभा क्षेत्र से जीत हासिल की थी. विशेष उल्लेखनीय है कि, जिले के इतिहास में यह पहली बार हुआ था, जब किसी मौजूदा सांसद के बेटे ने विधायक बनने में सफलता प्राप्त की थी. इस चुनाव में सेना प्रत्याशी अभिजीत अडसूड को 40,606 तथा उनके निकटतम प्रतिद्वंदी व निर्दलीय प्रत्याशी बलवंत वानखडे को 25,948 वोट हासिल हुए थे. जिसके चलते करीब 14 हजार वोटों की लीड से अभिजीत अडसूल विधायक निर्वाचित हुए थे. वहीं रिपाई प्रत्याशी रामेश्वर अभ्यंकर को 20,263 व मनसे प्रत्याशी गोपाल चंदन को 13,857 वोट हासिल हो पाये थे. इस चुनाव में दर्यापुर निर्वाचन क्षेत्र से कुल 25 प्रत्याशी मैदान में थे. जिनमें से 6 प्रत्याशियों को छोडकर 19 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई थी.

* विधानसभा निहाय हुए मतदान तथा वैध मतदान व प्रतिशत की स्थिति
विधानसभा क्षेत्र   कुल मतदाता प्रत्यक्ष    मतदान डाक      मतदान कुल     मतदान मतदान प्रतिशत
अमरावती         2,69,822               1,39,163 977       1,40,140            51.94
बडनेरा             2,75,076               1,54,544 799       1,55,543           56.55
दर्यापुर             2,56,444               1,49,369 945       1,50,314           58.61
मेलघाट             2,14,543              1,45,781 450       1,46,231           68.16
धामणगांव रेल्वे   2,70,397              1,81,557 671       1,82,228           67.39
अचलपुर           2,33,004              1,51,067 624       1,51,691           65.10
मोर्शी               2,41,052               1,64,612 745        1,65,357         68.60
तिवसा             2,43,802               1,47,724 405        1,48,129         60.76
कुल

* सन 2009 के चुनाव में विजयी प्रत्याशी व उनके हासिल वोट
निर्वाचन क्षेत्र विजयी प्रत्याशी प्राप्त वोट डाक मत कुल मत प्रतिशत
अमरावती रावसाहेब शेखावत (कांग्रेस) 61,045 286 61,331 43.76
बडनेरा रवि राणा (निर्दलीय) 72,719 312 73,031 46.95
दर्यापुर अभिजीत अडसूल (शिवसेना) 40,373 233 40,606 27.01
मेलघाट केवलराम काले (कांग्रेस) 63,431 198 63,619 43.51
धामणगांव रेल्वे वीरेंद्र जगताप (कांग्रेस) 72,537 221 72,755 39.93
अचलपुर बच्चू कडू (निर्दलीय) 60,409 218 60,627 39.97
मोर्शी डॉ. अनिल बोंडे (निर्दलीय) 43,781 124 43,905 26.55
तिवसा यशोमति ठाकुर (कांग्रेस) 72,849 205 73,054 49.32

* विधानसभा क्षेत्र निहाय प्रमुख प्रत्याशियों की स्थिति
निर्वाचन क्षेत्र प्रमुख प्रत्याशी प्राप्त वोट डाक मत कुल मत वोट प्रतिशत
अमरावती
रावसाहेब शेखावत (कांग्रेस) 61,045 286 61,331 43.76
डॉ. सुनील देशमुख (निर्दलीय) 55,127 590 55,717 39.76
डॉ. प्रदीप शिंगोरे (भाजपा) 15,932 92 16,024 11.43
अमरावती निर्वाचन क्षेत्र से कुल 14 प्रत्याशी मैदान में थे. जिनमें से तीन प्रमुख प्रत्याशियों को छोडकर शेष 11 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई थी.

बडनेरा
रवि राणा (निर्दलीय) 72,719 312 73,031 46.95
सुलभा खोडके (राकांपा) 53,856 404 54,260 34.88
सुधीर सूर्यवंशी (शिवसेना) 17,530 52 17,582 11.30
बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र से कुल 15 प्रत्याशी मैदान में थे. जिनमें से तीन प्रमुख प्रत्याशियों को छोडकर शेष 12 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई थी.

दर्यापुर
अभिजीत अडसूल (शिवसेना) 40,373 233 40,606 27.01
बलवंत वानखडे (निर्दलीय) 25,731 217 25,948 17.26
रामेश्वर अभ्यंकर (रिपाइं) 20,159 104 20,263 13.48
गोपाल चंदन (मनसे) 13,790 67 13,857 9.22
अविनाश गायगोले (निर्दलीय) 12,750 154 12,904 8.58
जगन्नाथ अभ्यंकर (भारिप-बमसं) 10,540 80 10,620 7.07
दर्यापुर निर्वाचन क्षेत्र से कुल 25 प्रत्याशी मैदान में थे. जिनमें से 6 प्रत्याशियों को छोडकर शेष 19 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई थी.

मेलघाट
केवलराम काले (कांग्रेस) 63,431 198 63,619 43.51
राजकुमार पटेल (भाजपा) 62,718 191 62,909 40.02
मेलघाट निर्वाचन क्षेत्र से कुल 10 प्रत्याशी मैदान में थे. जिनमें से 2 प्रमुख प्रत्याशियों को छोडकर शेष 8 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई थी.

धामणगांव रेल्वे
वीरेंद्र जगताप (कांग्रेस) 72,537 221 72,755 39.93
अरुण अडसड (भाजपा) 59,015 292 59,307 32.55
डॉ. पांडुरंग ढोले (बसपा) 29,439 105 29,544 16.21
धामणगांव रेलवे निर्वाचन क्षेत्र से कुल 14 प्रत्याशी मैदान में थे. जिनमें से 3 प्रमुख प्रत्याशियों को छोडकर शेष 11 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई थी.

अचलपुर
बच्चू कडू (निर्दलीय) 60,409 218 60,627 39.97
वसुधा देशमुख (कांग्रेस) 54,599 285 54,884 36.18
अनंत गुढे (शिवसेना) 24,733 91 24,824 16.36
अचलपुर निर्वाचन क्षेत्र से कुल 21 प्रत्याशी मैदान में थे. जिनमें से 3 प्रमुख प्रत्याशियों को छोडकर शेष 18 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई थी.

मोर्शी
डॉ. अनिल बोंडे (निर्दलीय) 43,781 124 43,905 26.55
नरेशचंद्र ठाकरे (निर्दलीय) 37,714 156 37,870 22.90
हर्षवर्धन देशमुख (राकांपा) 37,502 246 37,748 22.83
अशोक रोडे (बसपा) 18,244 81 18,325 11.08
साहेबराव तट्टे (भाजपा) 15,155 121 15,276 9.24
मोर्शी निर्वाचन क्षेत्र से कुल 18 प्रत्याशी मैदान में थे. जिनमें से 5 प्रमुख प्रत्याशियों को छोडकर शेष 13 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई थी.

तिवसा
यशोमति ठाकुर (कांग्रेस) 72,849 205 73,054 49.32
संजय बंड (शिवसेना) 46,778 146 46,924 31.68
चंद्रशेखर कुरलकर (बसपा) 11,801 33 11,834 7.99
तिवसा निर्वाचन क्षेत्र से कुल 12 प्रत्याशी मैदान में थे. जिनमें से 3 प्रमुख प्रत्याशियों को छोडकर शेष 9 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई थी.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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