रिश्तों के बिखरने व निष्ठाओं के टूटने वाला था सन 2014 का विधानसभा चुनाव
आघाडी व युति दोनों गठबंधनों में पडी थी दरारे, मित्र दलों ने एक-दूसरे के खिलाफ खडे किये थे प्रत्याशी
* कांग्रेसी सुनील देशमुख व शिवसैनिक डॉ. बोंडे ने किया था भाजपा में प्रवेश
* बच्चू कडू ने लगाई थी जीत की हैट्रीक, बोंडे, राणा, यशोमति व जगताप लगातार दूसरी बार जीते थे
* जिले में भाजपा को 4 व कांग्रेस को 2 सीटों पर मिली थी जीत, 2 सीटे गई थी निर्दलीयों के खाते में
* राज्य में पहली बार बनी थी भाजपा की नेतृत्ववाली सरकार, काफी नानुकुर के बाद शिवसेना भी हुई थी सरकार में शामिल
अमरावती/दि.23 – वर्ष 2014 के चुनाव को लंबे समय तक एक ऐसे चुनाव के तौर पर याद रखा जा सकता है. जिसमें राजनीतिक रिश्ते पुरी तरह से बिखर गये थे और कई राजनेताओं की अपने दलों के प्रति निष्ठाएं टूटी थी. जिसके चलते जहां एक ओर लंबे समय तक आपसी गठबंधन में रहने वाले कांग्रेस व राकांपा की आघाडी और भाजपा व सेना की युति टूट गई थी तथा इन चारों दलों ने स्वतंत्र तौर पर अपने-अपने प्रत्याशी मैदान में उतारे थे. यानि एक तरह से अब तक मित्र दल रहने वाले राजनीतिक दल सन 2014 के विधानसभ चुनाव में एक-दूसरे के आमने-सामने थे. वहीं तत्कालीन राजनीतिक हालात के चलते कई राजनेताओं ने अपने मौजूदा दलों को छोडकर किसी अन्य पार्टी में प्रवेश कर लिया था. जिसमें अमरावती जिले के कद्दावर कांग्रेसी नेता डॉ. सुनील देशमुख व कट्टर शिवसैनिक रहने वाले डॉ. अनिल बोंडे का नाम प्रमुखता से लिया जा सकता है. जिन्होंने सन 2014 के चुनाव से पहले भाजपा नेता नितिन गडकरी की मौजूदगी के बीच अपने समर्थकों सहित भाजपा में प्रवेश कर लिया था. विशेष उल्लेखनीय है कि, वर्ष 2009 के विधानसभा चुनाव मेें कांग्रेस द्वारा तत्कालीन राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा पाटिल के सुपुत्र रावसाहब शेखावत को प्रत्याशी बनाने हेतु दो बार के कांग्रेस विधायक डॉ. सुनील देशमुख का टिकट काट दिया गया था. जिसके चलते डॉ. सुनील देशमुख ने बगावत करते हुए निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर सन 2009 का चुनाव लडा था. इसकी वजह से कांग्रेस द्वारा उन्हें 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया गया था. वहीं कट्टर शिवसैनिक रहने वाले तथा मोर्शी-वरुड क्षेत्र में शिवसेना को मजबूत करने वाले डॉ. अनिल बोंडे की टिकट भी वर्ष 2009 क चुनाव में कटी थी. ऐसे में उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लडते हुए जीत हासिल की थी. वहीं इन दोनों नेताओं ने वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में प्रवेश कर लिया था और भाजपा प्रत्याशी के तौर पर जीत भी हासिल कर ली थी.
वर्ष 2014 के चुनाव की सबसे बडी खासियत यह भी रही कि, अचलपुर निर्वाचन क्षेत्र से प्रहार जनशक्ति पार्टी के मुखिया बच्चू कडू ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर लगातार तीसरी बार जीत हासिल करते हुए एक तरह से इतिहास रच दिया था. वहीं मोर्शी से डॉ. अनिल बोंडे, बडनेरा से रवि राणा, तिवसा से एड. यशोमति ठाकुर व धामणगांव रेल्वे से वीरेंद्र जगताप ने लगातार दूसरी बार जीत हासिल की थी. सन 2014 के दौरान समुचे देश में चल रही मोदी लहर का फायदा भाजपा को अमरावती जिले में भी मिला था और जिले की 8 विधानसभा सीटों में से अमरावती, दर्यापुर, मेलघाट व मोर्शी इन 4 सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल की थी. वहीं तिवसा व धामणगांव विधानसभा सीट पर कांग्रेस को जीत मिली थी. इसके अलावा बडनेरा व अचलपुर निर्वाचन क्षेत्रों में निर्दलीय प्रत्याशी जीते थे.
* राज्य में 122 सीटों पर जीत के साथ भाजपा बनी थी सबसे बडी पार्टी
– फडणवीस ने पेश किया था सरकार बनाने का दावा, पहले राकांपा फिर शिवसेना का मिला था समर्थन
वर्ष 2014 के चुनाव में सभी प्रमुख दलों ने अपने-अपने प्रत्याशी खडे किये थे तथा चुनाव पश्चात राज्य की 288 सीटों में से भाजपा को 122, शिवसेना को 63, कांग्रेस को 42 व राकांपा को 41 सीटों पर जीत मिली थी. जिसके चलते भाजपा सबसे बडी पार्टी बनकर उभरी थी. हालांकि भाजपा के पास सरकार बनाने हेतु स्पष्ट बहुमत नहीं था. ऐसे में राकांपा नेता शरद पवार ने सरकार को बाहर से समर्थन देने का निर्णय लिया था. जिसकी बदौलत भाजपा विधायक दल के नेता देवेंद्र फडणवीस ने सरकार बनाने हेतु राज्यपाल के समक्ष दावा पेश किया था. वहीं सरकार बनने के कुछ समय उपरान्त 63 सदस्यों वाली शिवसेना ने भी सरकार में शामिल होने का निर्णय लिया. जिसके चलते सदन में भगवा गठबंधन के 185 सदस्य हो गये और स्पष्ट बहुमत वाली सरकार बनी. वहीं कांग्रेस व राकांपा के विधायकों की कुल संख्या 83 थी. जिसके चलते स्पष्ट बहुमत वाली भाजपा सेना सरकार ने अपना कार्यकाल बडी आसानी के साथ पूरा किया.
* प्रवीण पोटे व रणजीत पाटिल को मिला था मंत्री पद
वर्ष 2012 में विधान परिषद हेतु हुए स्थानीय स्वायत्त निकाय संस्था व स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के चुनाव में अमरावती जिले व संभाग से विधान परिषद सदस्य के तौर पर निर्वाचित होने वाले प्रवीण पोटे व रणजीत पाटिल की वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव पश्चात भाजपा सेना सरकार के बनते ही मानों लॉटरी लग गई हो, क्योंकि तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इन दोनों विधान परिषद सदस्य को राज्यमंत्री बनाने के साथ ही अमरावती व अकोला जिलों का पालकमंत्री भी बनाया था. हालांकि वर्ष 2019 के चुनाव से कुछ समय पहले ही प्रवीण पोटे को अपना मंत्री पद छोडना पडा था. जिनकी एवज में मोर्शी के विधायक डॉ. अनिल बोंडे को कैबिनेट में शामिल करते हुए कृषि मंत्री का पद देने के साथ ही जिला पालकमंत्री नियुक्त किया गया.
* अमरावती में डॉ. देशमुख ने रावसाहब से किया था पिछली हार का हिसाब पूरा
सन 1999 व 2004 में लगातार दो बार अमरावती के विधायक निर्वाचित होने वाले डॉ. सुनील देशमुख की हैट्रीक तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभाताई पाटिल व पूर्व महापौर डॉ. देवीसिंह शेखावत के बेटे रावसाहब शेखावत की वजह से पूरी होने से चुक गई थी. क्योंकि कांग्रेस ने डॉ. सुनील देशमुख को दरकिनार कर रावसाहब शेखावत को विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाया था और उस चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर बगावती तेवर दिखाने के बावजूद भी डॉ. सुनील देशमुख को मामूली अंतर से हार का सामना करना पडा था. ऐसे में कांग्रेस से निष्कासित किये जाने के चलते राजनीतिक तौर पर निर्वासित जीवन जी रहे डॉ. सुनील देशमुख ने वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव से ऐन पहले केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के मौजूदगी के बीच अपने तमाम समर्थकों सहित भाजपा में प्रवेश कर लिया था. जिसके बाद भाजपा ने डॉ. सुनील देशमुख को वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में अमरावती निर्वाचन क्षेत्र से अपना प्रत्याशी बनाया था. वहीं कांग्रेस की ओर से एक बार फिर रावसाहब शेखावत ही चुनावी मैदान में थे. लेकिन इस बार डॉ. सुनील देशमुख ने रावसाहब शेखावत से अपनी पिछली हार का बदला लेते हुए अपना हिसाब किताब पूरा कर लिया था. उस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के तौर पर डॉ. सुनील देशमुख ने 84,033 वोट हासिल किये थे. वहीं उनके निकटतम प्रतिद्वंदी व कांग्रेस प्रत्याशी रावसाहब शेखावत को 48,961 वोट हासिल हुए थे तथा 35,072 वोटों की जबर्दस्त लीड से डॉ. सुनील देशमुख ने जीत हासिल की थी. जिसके साथ ही उस चुनाव में अमरावती मनपा के पूर्व उपमहापौर मिर्जा नईम बेग अख्तर ने भी बसपा प्रत्याशी के तौर पर भाग्य आजमाया था. जिन्हें महज 11 हजार 585 यानि 7.18 प्रतिशत वोट मिले थे और उनकी जमानत जैसे तैसे बची थी. इसके अलावा अमरावती निर्वाचन क्षेत्र से चुनावी मैदान में रहने वाले कुल 20 प्रत्याशियों में से शेष 17 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई थी.
* बडनेरा से लगातार दूसरी बार जीते थे रवि राणा
बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र से वर्ष 2009 में पहली बार निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर जीत हासिल करने वाले युवा स्वाभिमान पार्टी के मुखिया रवि राणा ने वर्ष 2014 के चुनाव में भी अपनी सफलता दोहराते हुए एक बार फिर शानदार जीत हासिल की थी तथा संजय बंड व सुलभा खोडके जैसे दो पूर्व विधायकों को पराजीत किया था. उस चुनाव में विजयी रहने वाले रवि राणा को 46,827 वोट मिले थे. वहीं उनके निकटतम प्रतिद्वंदी व शिवसेना प्रत्याशी संजय बंड ने 39,408 वोट हासिल किये थे. इसके अलावा कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर चुनावी मैदान में रहने वाली पूर्व विधायक सुलभा खोडके 33,441 वोट हासिल करते हुए तीसरे स्थान पर थी. साथ ही भाजपा प्रत्याशी तुषार भारतीय 41,455 वोटों के साथ चौथे व बसपा प्रत्याशी रवि वैद्य 12,663 वोटों के साथ पांचवे स्थान पर थे. उस चुनाव में बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र से कुल 15 प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे. जिनमें से इन 5 प्रमुख प्रत्याशियों को छोडकर शेष 15 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई थी.
* धामणगांव से जगताप ने दूसरी बार हासिल की थी सफलता
धामणगांव निर्वाचन क्षेत्र में कांग्रेस प्रत्याशी वीरेंद्र जगताप ने लगातार दूसरी बार जीत हासिल करने के साथ एक बार फिर क्षेत्र के कद्दावर भाजपा नेता अरुण अडसड को पराजीत किया था. हालांकि इस चुनाव में दोनों प्रत्याशियों क बीच काटे का मुकाबला हुआ था और महज करीब 1,000 वोटों के फर्क से हार व जीत का फैसला हुआ था. उस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी वीरेंद्र जगताप को 70,879 वोट मिले थे. वहीं उनके निकटतम प्रतिद्वंदी व भाजपा प्रत्याशी अरुण अडसड को 69,905 वोट प्राप्त हुए थे. यानि 974 वोटों के अंतर से भाजपा प्रत्याशी अरुण अडसड को हार का सामना करना पडा था. वहीं 29,229 वोट हासिल करते हुए बसपा प्रत्याशी के तौर पर अभिजीत ढेपे तीसरे स्थान पर थे तथा शिवसेना प्रत्याशी सिद्धेश्वर चव्हाण ने 14,161 यानि 7.11 फीसद वोट हासिल करते हुए जैसे-तैसे अपनी जमानत बचाई थी. वहीं कभी दो बार बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र के विधायक रहे ज्ञानेश्वर धाने पाटिल ने पहली बार मनसे प्रत्याशी के तौर पर धामणगांव रेल्वे निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लडा था. लेकिन उन्हें केवल 3,091 यानि 1.55 फीसद वोट मिले थे और पूर्व विधायक ज्ञानेश्वर धाने पाटिल की जमानत तक जब्त हो गई थी. उस चुनाव में धामणगांव निर्वाचन क्षेत्र से कुल 19 प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे. जिनमें से 4 प्रमुख प्रत्याशियों को छोडकर पूर्व विधायक ज्ञानेश्वर धाने पाटिल सहित अन्य 15 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई थी.
* तिवसा में एक बार फिर अपने पिता की विरासत बचाने में कामयाब रही यशोमति ठाकुर
तिवसा निर्वाचन क्षेत्र के कद्दावर कांग्रेसी नेता व पूर्व विधायक भैय्यासाहब ठाकुर की सुपुत्री एड. यशोमति ठाकुर ने अपने पिता के नक्शे कदम पर चलते हुए राजनीति के क्षेत्र में प्रवेश किया था और वर्ष 2009 में वे पहली बार तिवसा निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर विधायक निर्वाचित हुई थी. साथ ही वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में भी एड. यशोमति ठाकुर ने कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर चुनावी अखाडे में उतरते हुए कांगे्रसी किले व अपने पिता की विरासत को बचाये रखने में सफलता हासिल की. उस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी एड. यशोमति ठाकुर को 58,808 वोट हासिल हुए थे. वहीं उनकी निकटतम प्रतिद्वंदी व भाजपा प्रत्याशी निवेदिता चौधरी ने 38,367 वोट प्राप्त किये थे. जिसके चलते 20 हजार 441 वोटों की लीड से यशोमति ठाकुर उस चुनाव में विजयी हुई थी. इसके अलावा उस चुनाव में तिवसा निर्वाचन क्षेत्र से शिवसेना प्रत्याशी रहने वाले दिनेश वानखडे को 28,671 तथा बसपा प्रत्याशी संजय लव्हाले को 11,354 वोट हासिल हुए थे. खास बात यह रही कि, कभी भाजपा प्रत्याशी के तौर पर तिवसा निर्वाचन क्षेत्र के विधायक निर्वाचित होने वाले प्रा. साहेबराव तट्टे ने वर्ष 2014 का चुनाव तिवसा निर्वाचन क्षेत्र से राकांपा प्रत्याशी के तौर पर लडा था. लेकिन उन्हें केवल 4066 यानि 2.39 फीसद वोट ही मिले थे और जमानत जब्त होने के साथ ही वे सातवे स्थान पर थे. इसी तरह कभी वलगांव निर्वाचन क्षेत्र से विधायक निर्वाचित होकर मंत्री रहने वाले डॉ. अनिल वर्हाडे के बेटे आकाश वर्हाडे ने मनसे प्रत्याशी के तौर पर तिवसा सीट से चुनाव लडा था. जिन्हें मात्र 6,390 यानि 3.75 फीसद वोट मिले थे. इसके साथ ही भैय्यासाहब ठाकुर की दूसरी बेटी डॉ. संयोगिता नाईक निंबालकर ने भी निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनावी अखाडे में उतरकर अपनी बहन एड. यशोमति ठाकुर के समक्ष चुनौती पेश की थी. लेकिन संयोगिता नाईक निंबालकर को मात्र 9,945 यानि 5.84 फीसद वोट मिले थे और उनकी भी जमानत जब्त हुई थी. उस चुनाव में तिवसा निर्वाचन क्षेत्र से कुल 18 प्रत्याशी मैदान में थे. जिनमें से 4 प्रत्याशियों को छोडकर शेष 14 प्रत्याशियों की जमानते जब्त हुई थी.
* दर्यापुर में रमेश बुंदिले ने खोला था भाजपा का खाता
अनुसूचित जाति हेतु आरक्षित रहने वाले दर्यापुर निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी के तौर पर रमेश बुंदिले ने करीब 20 हजार वोटों की लीड के साथ जीत हासिल करने के साथ ही इस निर्वाचन क्षेत्र में पहली बार भाजपा का खाता भी खोला था. उस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी रमेश बुंदिले को 64,224 वोट हासिल हुए थे. वहीं उनके निकटतम प्रतिद्वंदी व रिपाई प्रत्याशी बलवंत वानखडे ने 44,642 वोट हासिल किये थे. खास बात यह रही कि, वर्ष 2009 के चुनाव में दर्यापुर सीट से विधायक निर्वाचित होने वाले सांसद आनंदराव अडसूल के बेटे कैप्टन अभिजीत अडसूल वर्ष 2014 के चुनाव में शिवसेना प्रत्याशी के तौर पर 32,256 वोट हासिल करते हुए तीसरे स्थान पर थे. वहीं राकांपा प्रत्याशी दिनेश बूब 14,671 वोट हासिल करते हुए चौथे तथा कांग्रेस प्रत्याशी सिद्धार्थ वानखडे 12,455 वोट हासिल करते हुए पांचवे स्थान पर थे. उस चुनाव में दर्यापुर निर्वाचन क्षेत्र से कुल 19 प्रत्याशी मैदान में थे. जिसमें से इन पांच प्रत्याशियों को छोडकर शेष 14 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई थी.
* मेलघाट में प्रभुदास भिलावेकर ने खिलाया था कमल
आदिवासी बहुल मेलघाट निर्वाचन क्षेत्र में सन 1999 व 2004 में दो बार भाजपा प्रत्याशी के तौर पर जीत हासिल कर चुके व सन 2009 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के तौर पर हार का सामना करने वाले पूर्व विधायक राजकुमार पटेल की ऐन समय पर टिकट काटते हुए भाजपा ने राजनीति में नये नवेले रहने वाले प्रभुदास भिलावेकर को अपना प्रत्याशी बनाया था. जिसके चलते राजकुमार पटेल ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में प्रवेश करते हुए राकांपा प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लडा था. हालांकि महज 2 हजार वोटों के अंतर से पूर्व विधायक राजकुमार पटेल को हार का सामना करना पडा था. उस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी प्रभुदास भिलावेकर को 57,002 वोट हासिल हुए थे. वहीं उनके निकटतम प्रतिद्वंदी व राकांपा प्रत्याशी राजकुमार पटेल ने 55,023 वोट प्राप्त किये थे. खास बात यह रही कि, वर्ष 2009 के चुनाव में राजकुमार पटेल को पराजीत कर कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर जीत हासिल करते हुए विधायक निर्वाचित होने वाले केवलराम काले वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर 48,529 वोट हासिल करते हुए तीसरे स्थान पर खिसक गये थे. उस चुनाव में मेलघाट निर्वाचन क्षेत्र से कुल 6 प्रत्याशी मैदान में थे. जिसमें से इन तीन प्रमुख प्रत्याशियों को छोडकर अन्य तीन प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई थी.
* अचलपुर से हैट्रीक लगाकर बच्चू कडू ने रचा था इतिहास
वर्ष 2004 व 2009 के विधानसभा चुनाव में अचलपुर निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर दो बार विधायक निर्वाचित होने वाले प्रहार जनशक्ति पार्टी के मुखिया बच्चू कडू ने वर्ष 2014 के चुनाव में भी निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर लगातार तीसरी बार जीत हासिल करते हुए अपनी विजयी हैट्रीक पूरी की थी और अचलपुर निर्वाचन क्षेत्र में लगातार तीन बार जीत का ऐतिहासिक रिकॉर्ड भी बना दिया था. उस चुनाव में बच्चू कडू ने 59,234 वोट हासिल किये थे. वहीं उनके निकटतम प्रतिद्वंदी व भाजपा प्रत्याशी अशोक बनसोड को 49,064 वोट हासिल हुए थे. जिसके चलते करीब साढे दस हजार वोटों की लीड से बच्चू कडू विधायक निर्वाचित हुए थे. साथ ही उस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी अनिरुद्ध उर्फ बबलू देशमुख 26,490 वोट हासिल करते हुए तीसरे तथा बसपा प्रत्याशी मो. रफीक शेख गुलाब 20,602 वोट हासिल करते हुए चौथे स्थान पर थे. खास बात यह रही कि, उस समय तक जिले में राकांपा की कद्दावर नेत्री रहने वाली पूर्व जिप अध्यक्षा सुरेखा ठाकरे ने शिवसेना प्रत्याशी के तौर पर अचलपुर निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लडा था. जिन्हें महज 5,791 यानि 3.23 फीसद वोट मिले थे और वे पांचवे स्थान पर थी. इसके अलावा कभी अचलपुर निर्वाचन क्षेत्र की विधायक रहने के साथ ही राज्यमंत्री रहने वाली जिले की कद्दावर कांग्रेस नेत्री वसुधाताई देशमुख ने वह चुनाव राकांपा प्रत्याशी के तौर पर लडा था. जिन्हें मात्र 3,274 यानि 1.83 फीसद वोट मिले थे और वे सातवे स्थान पर थी. उस चुनाव में अचलपुर निर्वाचन क्षेत्र से कुल 19 प्रत्याशी मैदान में थे. जिनमें से 4 प्रमुख प्रत्याशियों को छोडकर सुरेखा ठाकरे व वसुधा देशमुख सहित अन्य सभी 15 प्रत्याशियों की जमानतें जब्त हो गई थी.
* मोर्शी से भाजपा प्रत्याशी के तौर पर जीते थे डॉ. अनिल बोंडे, कार्यकाल के अंत में मिला था मंत्री पद
वर्ष 2009 के चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर मोर्शी निर्वाचन क्षेत्र से जीत हासिल करने वाले डॉ. अनिल बोंडे ने वर्ष 2014 का विधानसभा चुनाव मोर्शी विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी के तौर पर लडते हुए करीब 40 हजार वोटों की रिकॉर्ड लीड हासिल कर जीता था. जिन्हें तत्कालीन फडणवीस सरकार का कार्यकाल खत्म होते-होते अंतिम दौर में कृषि मंत्री व जिला पालकमंत्री बनने का भी अवसर मिला था. उस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी डॉ. अनिल बोंडे को 71,611 वोट मिले थे. वहीं उनके निकटतम प्रतिद्वंदी व राकांपा प्रत्याशी हर्षवर्धन देशमुख को 31,449 वोट हासिल हुए थे. साथ ही तीसरे स्थान पर रहने वाले कांग्रेस प्रत्याशी नरेशचंद्र ठाकरे ने 30,207 वोट हासिल किये थे. खास बात यह है कि, राकांपा व कांग्रेस प्रत्याशियों द्वारा हासिल किये गये वोटों का कुल जोड भी डॉ. बोंडे द्वारा हासिल वोटों के आसपास नहीं था. वहीं शिवसेना प्रत्याशी के तौर पर उमेश यावलकर ने मोर्शी निर्वाचन क्षेत्र में 27,122 वोट हासिल किये थे. यानि यदि भाजपा व शिवसेना द्वारा साथ मिलकर चुनाव लडा जाता, तो भगवा गठबंधन को मोर्शी निर्वाचन क्षेत्र में मिलने वाले वोट अपने आप में रिकॉर्ड बना देते. इसके अलावा उस चुनाव में मोर्शी सीट से बसपा प्रत्याशी डॉ. मृदुला पाटिल धर्मे ने 12,852 यानि 6.96 फीसद वोट हासिल करते हुए जैसे तैसे अपनी जमानत बचाई थी. उस चुनाव में मोर्शी निर्वाचन क्षेत्र से कुल 19 प्रत्याशी मैदान में थे. जिनमें से इन 5 प्रमुख प्रत्याशियों को छोडकर शेष 14 प्रत्याशियों को जमानत जब्त हुई थी.
* विधानसभा निहाय हुए मतदान तथा वैध मतदान व प्रतिशत की स्थिति
विधानसभा क्षेत्र कुल मतदाता प्रत्यक्ष मतदान डाक मतदान कुल मतदान मतदान प्रतिशत
अमरावती 2,86,094 1,59,326 1,971 1,61,297 56.38
बडनेरा 3,12,684 1,77,496 1,907 1,79,403 57.38
दर्यापुर 2,81,520 1,81,449 1,285 1,82,734 64.91
मेलघाट 2,57,479 1,75,012 688 1,75,700 68.24
धामणगांव रेल्वे 2,90,053 1,98,224 853 1,99,077 68.63
अचलपुर 2,53,318 1,78,254 1,112 1,79,366 70.81
मोर्शी 2,65,773 1,68,363 340 1,68,703 67.91
तिवसा 2,70,408 1,69,650 656 1,70,306 62.98
कुल 22,17,329 14,07,774 8,812 14,16,586 64.65
* सन 2014 के चुनाव में विजयी प्रत्याशी व उनके हासिल वोट
निर्वाचन क्षेत्र विजयी प्रत्याशी प्राप्त वोट डाक मत कुल मत प्रतिशत
अमरावती डॉ. सुनील देशमुख 82,729 1304 84033 52.10
बडनेरा रवि राणा 46,505 322 46,827 26.10
दर्यापुर रमेश बुंदिले 63,666 558 64,224 35.17
मेलघाट प्रभुदास भिलावेकर 56,705 297 57,002 32.44
धामणगांव रेल्वे वीरेंद्र जगताप 70,623 256 70,879 35.60
अचलपुर बच्चू कडू 58,868 366 59,234 33.02
मोर्शी डॉ. अनिल बोंडे 71,173 438 71,611 38.80
तिवसा एड. यशोमति ठाकुर 58,582 226 5,808 34.54
* विधानसभा क्षेत्र निहाय प्रमुख प्रत्याशियों की स्थिति
निर्वाचन क्षेत्र प्रमुख प्रत्याशी प्राप्त वोट डाक मत कुल मत वोट प्रतिशत
अमरावती
डॉ. सुनील देशमुख (भाजपा) 82,729 1304 84,033 52.10
रावसाहब शेखावत (कांग्रेस) 48,623 338 48,961 30.35
मिर्जा नईम बेग अख्तर (बसपा) 11,446 119 11.585 7.18
अमरावती निर्वाचन क्षेत्र से कुल 21 प्रत्याशी मैदान में थे. जिनमें से तीन प्रमुख प्रत्याशियों को छोडकर शेष 18 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई थी.
बडनेरा
रवि राणा (निर्दलीय) 46,505 322 46,827 26.10
संजय बंड (शिवसेना) 38,839 569 39,408 21.97
सुलभा खोडके (कांग्रेस) 33,441 456 33,897 18.89
तुषार भारतीय (भाजपा) 31,056 399 31,455 17.53
रवि वैद्य (बसपा) 12,533 130 12,663 7.06
बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र से कुल 16 प्रत्याशी मैदान में थे. जिनमें से 5 प्रमुख प्रत्याशियों को छोडकर शेष 11 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई थी.
दर्यापुर
रमेश बुंदिले (भाजपा) 63,666 558 64,224 35.17
बलवंत वानखडे (रिपाई) 44,328 314 44,642 24.43
अभिजीत अडसूल (शिवसेना) 32,068 188 32,256 17.65
दिनेश बूब (राकांपा) 14,574 97 14,671 8.03
सिद्धार्थ वानखडे (कांग्रेस) 12,397 58 12,455 6.82
दर्यापुर निर्वाचन क्षेत्र से कुल 20 प्रत्याशी मैदान में थे. जिनमें से 5 प्रमुख प्रत्याशियों को छोडकर शेष 15 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई थी.
मेलघाट
प्रभुदास भिलावेकर (भाजपा) 56,705 297 57,002 32.44
राजकुमार पटेल (राकांपा) 54,881 142 55,023 31.32
केवलराम काले (कांग्रेस) 48,310 219 48,529 27.62
मेलघाट निर्वाचन क्षेत्र से कुल 6 प्रत्याशी मैदान में थे. जिनमें से 3 प्रमुख प्रत्याशियों को छोडकर शेष 3 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई थी.
धामणगांव रेल्वे
वीरेंद्र जगताप (कांग्रेस) 70,623 256 70,879 35.60
अरुण अडसड (भाजपा) 69,477 428 69,905 35.11
अभिजीत ढेपे (बसपा) 29,121 108 29,229 14.68
सिद्धेश्वर चव्हाण (शिवसेना) 14,128 33 14,161 7.11
धामणगांव रेल्वे निर्वाचन क्षेत्र से कुल 19 प्रत्याशी मैदान में थे. जिनमें से 4 प्रमुख प्रत्याशियों को छोडकर शेष 15 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई थी.
अचलपुर
बच्चू कडू (निर्दलीय) 58,868 366 59,234 33.02
अशोक बनसोड (भाजपा) 48,642 422 49,064 27.35
अनिरुद्ध उर्फ बबलू देशमुख (कांग्रेस) 26,371 119 26,490 14.77
मो. रफीक शेख गुलाब (बसपा) 20,534 68 20,602 11.49
अचलपुर निर्वाचन क्षेत्र से कुल 19 प्रत्याशी मैदान में थे. जिनमें से 4 प्रमुख प्रत्याशियों को छोडकर शेष 15 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई थी.
मोर्शी
डॉ. अनिल बोंडे (भाजपा) 71,173 438 71,611 38.80
हर्षवर्धन देशमुख (राकांपा) 31,195 254 31,449 17.04
नरेशचंद्र ठाकरे (कांग्रेस) 30,008 199 30,207 16.36
उमेश यावलकर (शिवसेना) 26,908 214 27,122 14.69
डॉ. मृदुला पाटिल (बसपा) 12,790 62 12,852 6.96
मोर्शी निर्वाचन क्षेत्र से कुल 19 प्रत्याशी मैदान में थे. जिनमें से 5 प्रमुख प्रत्याशियों को छोडकर शेष 14 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई थी.
तिवसा
एड. यशोमति ठाकुर (कांग्रेस) 58,582 226 5,808 34.54
निवेदिता दिघडे चौधरी (भाजपा) 38,208 159 38,367 22.53
दिनेश वानखडे (शिवसेना) 28,532 139 28,671 16.83
संजय लव्हाले (बसपा) 11,315 39 11,354 6.67
तिवसा निर्वाचन क्षेत्र से कुल 18 प्रत्याशी मैदान में थे. जिनमें से 4 प्रमुख प्रत्याशियों को छोडकर शेष 14 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई थी.