पोक्सो के मामले में आरोपी हाईकोर्ट से बरी
हाईकोर्ट ने कहा हर केस में सिर्फ बच्चे की गवाही के आधार पर फैसला नहीं दिया जा सकता
अमरावती/दि.10– हाल ही में पोक्सो कानून के अंतर्गत एक अहम मामले में फैसला सुनाते हुए नागपुर हाईकोर्ट ने आरोपी प्रमोद झोड उम्र 52 साल को नाबालिग पर बलात्कार व यौन शोषण के तहत आरोपो से बरी किया. सत्र न्यायालय ने सजा सुनाई थी. 15 साल की कठोर सजा जमानत न होने से आरोपी कई साल से सलाखों के पीछे था.
* यह था मामला
आरोपी यवतमाल जिले का निवासी है. उस पर यह आरोप थे कि 29 जनवरी 2015 को दोपहर 4 बजे पीडित जो कि 5 वर्षीय लडकी थी. उसे बहलाकर जानवरों के कोठे पर ले जाकर उसके साथ अनैतिक यौन कृत्य किया. कृत्य करते हुए पीडित की सहेली ने आरोपी को देख लिया था. जिस पर आरोपी ने पीडित को धमकाते हए वहां से भाग जाने में ही समझदारी समझी. यह घटना शिंगणापुर गांव (यवतमाल) में हुई थी. घटना की जानकारी पीडित ने अपनी मां को दी. जिसके आधार पर आरोपी पर एफआईआर दर्ज हुई व उसके पश्चात दफा 6 पोक्सो व दफा 367 भा.द.वि के तहत चार्जशीट पर भी दाखिल की गई थी.
मामला सत्र न्यायालय यवतमाल के सामने चला. जिसके दौरान 7 गवाहों के बयान दर्ज हुए थे. सत्र न्यायालय ने मुख्यता नाबालिग पीडिता, पीडिता की मां, पुलिस अधिकारी और डॉक्टर के बयान के आधार पर आरोपी को पोक्सो कानून के तहत 15 साल की कठोर सजा सुनाई थी.
* हाईकोर्ट में दी सजा को चुनौती
सजा को चुनौती देने हेतु आरोपी ने एड. मिर्जा परवेज के माध्यम से नागपुर हाईकोर्ट में अपील दायर की थी सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय के फैसलों को हवाला देते हुए हाईकोर्ट को केस में कई कानूनी खामियो के बारे में बताया गया. जिससे मुख्य तौर पर बच्चे की ग्वाही का हर बार सच नहीं माना जा सकता व इसी तरह पूरे मामले को एक पुराने झगडे के चलते आरोपी को झूठा फसाया गया. सरकारी पक्ष ने सजा को सही बताते हुए कायम रखने की दलील दी.
दोनों पक्षों को सुनने के बाद बचाव पक्ष की दलील को मानते हुए हाईकोर्ट ने पूरी सजा खारिज करते हुए निर्दोष बरी किया. आरोपी की तरफ से एड. मिर्जा परवेज ने पैरवी की.