अमरावती – यदि किसी व्यक्ति का दम फुल रहा है और उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही है, तो ऐसे लक्षण दिखाई देने पर डॉक्टर की सलाह लेना बेहद आवश्यक है, ऐसा स्वास्थ्य विभाग द्वारा कहा गया है.
अमरावती जिले में अब तक करीब ४२०० कोरोना संक्रमित मरीजों को उपचार पश्चात अस्पताल से डिस्चार्ज दिया गया और उन्हें १४ दिनों तक होम आयसोलेशन में रहने हेतु कहा गया. इन १४ दिनों के दौरान वे किसी के संपर्क में न आ पाये, इस बात की ओर ध्यान देना बेहद आवश्यक है. वहीं जिले में अधिकांश मरीज एसिम्टोमैटिक है, जिन्हें सात से दस दिन के उपचार व निगरानी के बाद डिस्चार्ज दिया जा रहा है. इन मरीजों को भी १४ दिनों तक होम कोरोंटाईन में रहना होगा और वे इस अवधि के दौरान अपने घर से बाहर नहीं जा सकते. इस संदर्भ में स्वास्थ्य महकमे द्वारा बताया गया है कि, कोरोना वायरस की कालावधी २ दिन से १४ दिन की हो सकती है. ऐसे में कोरोनामुक्त घोषित किये गये मरीजों ने स्वास्थ्य विभाग के मार्गदर्शक तत्वानुसार आयसोलेशन के सभी नियमों का पालन करना चाहिए. वहीं अतिदक्षतावाले के लिए यह कालावधि १७ दिनों की हो सकती है. जिसके परिणाम और अधिक शानदार हो सकते है.
इस दौरान यदि संबंधित मरीज सहित उसके संपर्क में आनेवाले किसी भी व्यक्ति को दम फुलने व सांस लेने में दिक्कत होने जैसी समस्या पेश आती है तो उन्होंने तुरंत ही अपनी स्वास्थ्य जांच करवानी चाहिए, क्योंकि वे कोरोना संक्रमित भी हो सकते है. इसके अलावा भी यदि किसी व्यक्ति को ऐसी समस्याए हो रही है तो उन्होंने भी तुरंत अपने नजदिकी डॉक्टर से मिलकर अपनी स्वास्थ्य जांच करवानी चाहिए.
इस संदर्भ में जानकारी देते हुए मनपा के चिकित्सा व स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. विशाल काले ने बताया कि, संक्रमण मुक्त घोषित किये गये मरीजों को १४ दिनों तक होम आयसोलेशन में रहना होता है. इस दौरान इन मरीजों ने विशेष तौर पर इस बात की ओर ध्यान देना चाहिए कि, वे इस दौरान घर में किसी अन्य के संपर्क में न आये. जिसके लिए उन्हें मास्क पहनना और फिजीकल डिस्टंसिंग के नियम का पालन करना बेहद जरूरी है. साथ ही पल्स ऑक्सिमीटर द्वारा ऑक्सिजन के सैच्युरेशन को नियमित तौर पर चेक करना भी जरूरी होता है. और यदि किसी भी तरह की कोई तकलीफ होती है तो तुरंत ही डॉक्टर की सलाह लेना सबसे जरूरी है.
प्लाज्मा दान के लिए आगे आना जरूरी
कोरोना मुक्त हो चुके मरीजों के शरीर में वायरस का प्रतिरोध करनेवाली एंटीबॉडीज तैयार होती है. यदि ऐसे व्यक्तियों का प्लाज्मा कोरोना संक्रमित मरीजों को दिया जाता है तो उनके शरीर में भी एंटीबॉडीज तैयार होने का प्रमाण बढ जाता है. जिसके लिए कोरोना मुक्त हुए मरीजों ने अपनी सामाजिक जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए प्लाज्मा दान करने हेतु आगे आना चाहिए और सभी संक्रमणमुक्त हो चुके मरीजों ने प्लाज्मा दान करना चाहिए. इस समय जिले में प्लाज्मा दाताओं की संख्या बेहद कम है.
एसपीओ-२ जांच नियमित करना जरूरी
संक्रमण मुक्ति के बाद होम आयसोलेशन में रहनेवाले मरीजों द्वारा पल्स ऑक्सिमीटर के जरिये रक्त में ऑक्सिजन का प्रमाण नियमित तौर पर जांचते हुए उसकी दैनिक जानकारी दर्ज की जानी चाहिए. साथ ही डॉक्टर की सलाह से मल्टिविटामिन दवाईयों का सेवन बेहद महत्वपूर्ण है. इसके बाद भी दम फुलने, सांस लेने में दिक्कत होने, ऑक्सिजन सैच्युरेशन कम होने तथा हाथ-पैर में कमजोरी या बधिरता आने पर डॉक्टरों की सलाह बेहद महत्वपूर्ण है.
ये सावधानियां भी है जरूरी
दिनभर के दौरान दिन में कई बार साबुन से २० से ३० सेकंड तक हाथ धोना जरूरी है तथा रोजाना उपयोग में आनेवाले कपडे, बर्तन व अन्य साहित्य को अलग रखकर उन्हें साफसूथरा रखा जाना चाहिए. मरीज द्वारा इस्तेमाल में लायी गयी वस्तुएं किसी अन्य के द्वारा प्रयोग में नहीं ली जानी चाहिए. इसके अलावा मरीज को यदि घर में अथवा किसी अन्य से बात करना है या कोई सामान लेना है, तो मास्क लगाकर कम से कम ६ फीट का अंतर रखकर ही बातचीत होनी चाहिए. वहीं होम आयसोलेशन व होम कोरोंटाईनवाले मरीजों के साथ बुजुर्गों व छोटे बच्चों का संपर्क टाला जाना चाहिए.