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बेहद रोचक रहा सन 85 का विधानसभा चुनाव

सन 84 में इंदिरा गांधी के हत्या के बाद उपजी थी सहानुभूति लहर

* इंदिरा कांग्रेस को जिले सहित राज्य में मिली थी सर्वाधिक सीटें
* जिले की 9 में से 7 सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशी हुए थे विजयी
* तिवसा में कांग्रेस एस व अचलपुर में निर्दलीय को मिली थी जीत
* सन 85 के चुनाव से ही निर्दलीय प्रत्याशियों की संख्या बढनी हुई थी शुरु
* अमरावती क्षेत्र में थे सबसे अधिक निर्दलीय प्रत्याशी
अमरावती/दि.19 – वर्ष 1985 के विधानसभा चुनाव को कई मायनों में रोचक व यादगार कहा जा सकता है. यहीं वो दौर था जिसमें सन 52 से लेकर 78 तक चुनावी मैदान व राजनीति में दिखाई देने वाले कई चेहरे हाशिए पर चले गये और सन 80 एवं 85 के चुनावों में कई नये व युवा चेहरों ने राजनीति में सक्रिय होने के साथ ही चुनावी मैदान में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी. हालांकि सन 85 के चुनाव में भी सुदाम देशमुख जैसे प्रत्याशी थे, जिसके पास 5 बार विधानसभा चुनाव लडने का अनुभव रहने के साथ ही वे लगातार दूसरी बार चुनाव जीते थे. साथ ही साथ बडनेरा से राम मेघे व चांदूर रेल्वे से यशवंतराव शेरेकर ने भी लगातार दूसरी बार जीत हासिल की थी. वहीं मेलघाट से सन 78 का चुनाव जीतने के बाद सन 80 का मध्यावधि हारने वाले रामू पटेल ने सन 85 के चुनाव में एक बार फिर जीत हासिल की थी. विशेष उल्लेखनीय है कि, 2 मार्च 1985 को हुए विधानसभा चुनाव से कुछ माह पहले 31 अक्तूबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या हो गई थी. जिसके चलते पूरे देश में कांग्रेस के प्रति सहानुभूति की लहर व्याप्त थी. जिसका फायदा इंदिरा कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में भी मिला और इंदिरा कांग्रेस ने राज्य की 288 सीटों में से 161 सीटें जीती थी. जिसके तहत अमरावती जिले की 9 सीटों में से 7 सीटों पर इंदिरा कांग्रेस को जीत हासिल हुई थी. वहीं जिले की 1 सीट पर समाजवादी कांग्रेस व 1 सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी को सफलता मिली थी.

* 5 साल में 4 बार बदले गये मुख्यमंत्री
– इंदिरा कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत के बावजूद थी राजनीतिक अस्थिरता
सन 1985 के चुनाव में 288 सीटों में से 161 सीटों पर जीत हासिल करते हुए इंदिरा कांग्रेस ने स्पष्ट बहुमत प्राप्त किया था. इसके बावजूद भी राज्य में सरकार को लेकर काफी हद तक अस्थिरता देखी गई और 5 साल के दौरान 4 बार राज्य में मुख्यमंत्री बदले गये. चुनाव निपटते ही 10 मार्च 1985 को तत्कालीन मुख्यमंत्री वसंतदादा पाटिल ने चौथी बार राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. जिन्हें आगे चलकर कांग्रेस ने राजस्थान का राज्यपाल नियुक्त कर दिया. जिसके चलते 3 जून 1985 को शिवाजीराव पाटिल निलंगेकर को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनाया गया, जो इससे पहले सन 77 व सन 80 में अलग-अलग विभागों के मंत्री रह चुके थे. लेकिन अपनी बेटी को मेडिकल कॉलेज में प्रवेश दिलाने हेतु अंक पत्रिका में मार्क्स की गडबडी करने का आरोप लगने के चलते निलंगेकर ने 9 माह 10 दिन तक सीएम पद संभालने के बाद 13 मार्च 1986 मेें सीएम पद से इस्तीफा दे दिया. जिसके चलते 14 मार्च 1986 को शंकरराव चव्हाण ने दूसरी बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. उल्लेखनीय है कि, उस समय शरद पवार ने कांग्रेस से अलग होकर समाजवादी कांग्रेस पार्टी का गठन कर रखा था. जिसका उन्होंने दिसंबर 1986 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की उपस्थिति के बीच कांग्रेस पार्टी में विलिनीकरण किया. ऐसे में 24 जून 1988 को कांग्रेस में मुख्यमंत्री शंकरराव चव्हाण को दिल्ली बुला लिया और उन्हें केंद्रीय वित्त मंत्री के पद की जिम्मेदारी सौंपी गई तथा 25 जून 1988 को शरद पवार ने दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, जो 1990 के विधानसभा चुनाव तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे.

* अमरावती से देविसिंह शेखावत बने थे विधायक
– प्रतिभाताई की अनुशंसा पर राजीव गांधी ने दी थी कांग्रेस की टिकट
सन 1985 के चुनाव से डॉ. देविसिंह शेखावत ने पहली बार राजनीति के क्षेत्र में कदम रखा और इंदिरा कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लडते हुए करीब 27 हजार वोटों की लीड से जीत भी हासिल की. विशेष उल्लेखनीय है कि, इससे पहले डॉ. देविसिंह शेखावत शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय थे और रसायनशास्त्र के प्राध्यापक के तौर पर पढाने-लिखाने का कार्य किया करते थे. साथ ही उस समय तक उनका विवाह आदिलाबाद से विधायक रहने वाली एवं राज्य की पूर्व राज्यमंत्री रह चुकी प्रतिभाताई पाटिल से हो चुका था. जिनकी गांधी परिवार से काफी घनिष्ठता थी. उस समय राजीव गांधी ने यह नीति बना रखी थी कि, सन 80 का चुनाव हारने वाले किसी भी प्रत्याशी को सन 85 के चुनाव में रिपीट करते हुए मौका नहीं दिया जाएगा. ऐसे में चूंकि खुद प्रतिभा पाटिल सन 80 का चुनाव आदिलाबाद सीट से हार चुकी थी. अत: उन्हें सन 85 के चुनाव में इसी नीति के तहत टिकट नहीं मिलना था, यह पता चलते ही खुद राजीव गांधी ने प्रतिभाताई पाटिल से बात करते हुए उनके परिवार में किसी अन्य को टिकट देने की पेशकश की, तब प्रतिभाताई पाटिल ने अपने पति डॉ. देविसिंह शेखावत का नाम आगे बढाया था तथा राजीव गांधी ने डॉ. शेखावत के बारे में आवश्यक पडताल करने के बाद उन्हें अमरावती विधानसभा क्षेत्र से इंदिरा कांग्रेस का टिकट दिया गया था. उस समय अमरावती विधानसभा क्षेत्र से 1,36,241 मतदाता पंजीकृत थे. जिनमें से 69,739 यानि 51.19 फीसद मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था और 68,443 वोट वैध पाये गये थे. जिसमें से इंदिरा कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. देविसिंह रामसिंह शेखावत को 37,330 (54.22%) तथा उनकी निकटतम प्रतिद्वंदी व समाजवादी कांग्रेस प्रत्याशी चंद्रप्रभा नरेंद्र बोके को 15,612 (22.68%) वोट मिले थे. वहीं तीसरे स्थान पर रहने वाले निर्दलीय प्रत्याशी मो. सफदर मो. युसूफ को 12,378 (17.98%) वोट हासिल हुए थे. विशेष उल्लेखनीय है कि, सन 85 के चुनाव में अमरावती निर्वाचन क्षेत्र से इंदिरा कांग्रेस व कांग्रेस एस के 2 प्रत्याशियों के अलावा 11 निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में थे. जिसमें से तीसरे स्थान पर रहने वाले मो. सफदर को छोडकर शेष 10 निर्दलीय प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई थी. जिनमें मेहबूब खान अजीज खान सदर, गुणवंत संपत शेलके, विलास रायभान घोडेस्वार, पंजाबराव चानु आत्राम, नरेंद्र अमृतलाल बगडाई, मनोहर राजाराम बेहरे, बाल बनसोड, शंकर मोतीराम ढेकेकर, शंकरलाल घासीराम समुंद व मोहन तुलजाराम बुंदेले का समावेश था.

* बडनेरा से दूसरी बार जीत कर कैबिनेट मंत्री बने थे राम मेघे
सन 1980 में बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र से पहली बार चुनाव लडते हुए विधानसभा सदस्य बनने वाले पूर्व विधान परिषद सदस्य राम मेघे ने उस समय अपनी वरिष्ठता को ध्यान में रखते हुए राज्यमंत्री का पद लेने से इंकार कर दिया था और खुद के लिए कैबिनेट मंत्री का पद मांगा था, जो उन्हें उस समय नहीं मिल पाया. ऐसे में वर्ष 1985 के चुनाव में बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र से राम मेघे ने लगातार दूसरी बार चुनाव लडा और वे एक बार फिर इंदिरा कांग्रेस की टिकट पर विधायक निर्वाचित हुए. जिसके चलते उन्हें शिक्षा मंत्री के तौर पर कैबिनेट मंत्री के रुप में राज्य मंत्रिमंडल में शामिल किया गया. सन 85 के चुनाव में बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र से कुल 1,15,043 मतदाता पंजीकृत थे. जिसमें से 61,987 यानि 53.88% मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था और 61,118 वोट वैध पाये गये थे. इसमें से इंदिरा कांग्रेस प्रत्याशी राम कृष्णराव मेघे को 27,334 (44.79%) तथा उनके निकतटम प्रतिद्वंदी व कांग्रेस एस के प्रत्याशी अरुण विठ्ठलराव गावंडे को 18,573 (30.39%) वोट हासिल हुए थे. इसके अलावा निर्दलीय प्रत्याशी आनंद हीरामन इंगले 10,974 (17.96%) वोट हासिल करते हुए तीसरे स्थान पर थे. इसके अलावा रिपाई प्रत्याशी नेमीचंद मारोती बनसोड सहित निर्दलीय प्रत्याशी रामदास विश्वनाथ जुनघरे, लक्ष्मण नत्थु नकटे व कृष्णराव पांडुरंग गणवीर की जमानत जब्त हुई थी.

* चांदूर से दूसरी बार ‘यशवंत’ रहे शेरेकर, मंत्री पद मिला
सन 1980 के विधानसभा चुनाव में चांदूर रेल्वे से विधायक निवा्रचित होने वाले यशवंत गंगाराम शेरेकर ने सन 1985 के चुनाव में भी चांदूर रेल्वे निर्वाचन क्षेत्र से इंदिरा कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर जीत हासिल की थी. जिसके चलते उन्हें राज्य सरकार में मंत्री पद भी मिला था. सन 85 के चुनाव में चांदूर रेल्वे निर्वाचन क्षेत्र से 1,04,217 मतदाता पंजीकृत थे. जिनमें से 74,790 यानि 71.76% मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था और 73,651 वोट वैध पाये गये थे. इसमें से इंदिरा कांग्रेस प्रत्याशी यशवंत गंगाराम शेरेकर को 32,156 (46.46%) तथा उनके निकतटम प्रतिद्वंदी व भाजपा प्रत्याशी अरुण अडसड को 28,138 (38.20%) वोट मिले थे. साथ ही 8,239 (11.19%) वोट लेकर निर्दलीय प्रत्याशी केशव हरिभाउ मेश्राम तीसरे स्थान पर थे. इसके अलावा भाकपा प्रत्याशी शिवाजी सुरेंद्र देशमुख, रिपाई प्रत्याशी हरिचंद महादेव बोके तथा निर्दलीय प्रत्याशी सीताराम पुंडलीक दाभाडे, सुभाष वामनराव डोबले, भाउराव श्यामराव जाधव, शंकर झिंगुजी अवतकर, अरुण विश्वासराव घोगे व प्रभात मारोती काले की जमानत जब्त हुई थी.

* दर्यापुर से रावसाहब हाडोले ने मारी थी बाजी
दर्यापुर निर्वाचन क्षेत्र से पहली बार इंदिरा कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लडते हुए रावसाहब पांडुरंग हाडोले ने समाजवादी कांग्रेस प्रत्याशी अशोकसिंह गहरवार के साथ हुए कडे मुकाबले में लगभग सवा दो हजार वोटों की लीड से जीत हासिल की थी. उस चुनाव में दर्यापुर क्षेत्र से 1,09,792 मतदाता पंजीकृत थे. जिनमें से 73,791 यानि 67.21% मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था और 72,832 वोट वैध पाये गये थे. इसमें से इंदिरा कांग्रेस प्रत्याशी रावसाहब हाडोले को 28,043 (38.50%) व कांग्रेस एस प्रत्याशी अशोकसिंह गहरवार को 25,742 (35.34%) वोट मिले थे. वहीं 10,212 (14.02%) वोटों के साथ निर्दलीय प्रत्याशी देवराव गोंडाजी वानखडे तीसरे स्थान पर थे. इसके अलावा रिपाई प्रत्याशी देवीदास झामाजी वाकपांजर सहित निर्दलीय प्रत्याशी सुरेश राजाराम बेरड, सुरेश रामकृष्ण खेडकर, विठ्ठल महादेवराव धांडे, मोतीराम बोंडुजी कोल्हे व नामदेव गुणाजी चोरपगार की जमानत जब्त हुई थी.

* मेलघाट से रामु पटेल ने दोबारा की थी जोरदार वापसी
– रिकॉर्ड 34 हजार वोटों से हासिल की थी जीत
आदिवासी बहुल मेलघाट निर्वाचन क्षेत्र से सन 78 के चुनाव में विधायक रह चुके रामु पटेल की टिकट सन 1980 के चुनाव में कट गई थी. जिसके चलते उन्होंने सन 1980 का चुनाव निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर लडा था. जिसमें उन्हें हार का सामना करना पडा था. वहीं सन 1985 के चुनाव में कांगे्रस ने एक बार फिर रामु पटेल को अपना प्रत्याशी बनाया तथा रामु पटेल ने भी कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर दोबारा जीत हासिल की. सन 85 के चुनाव में मेलघाट क्षेत्र से कुल 1,18,748 मतदाता पंजीकृत थे. जिनमें से 51,368 यानि 43.26 फीसद मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया और 49,525 वोट वैध पाये गये. इसमें से इंदिरा कांग्रेस प्रत्याशी रामु म्हतांग व पटेल ने रिकॉर्ड 40,441 यानि 81.66 फिसद वोट हासिल करते हुए एकतरफा जीत प्राप्त की थी. वहीं उनके निकटतम प्रतिद्वंदी व भाजपा प्रत्याशी हीरालाल ओंकार सर्गे को महज 6,348 यानि 12.82% वोट मिले थे. इसके अलावा निर्दलीय प्रत्याशी मौजीलाल तुमला व भुजंग रामजी की जमानत जब्त हुई थी.

* अचलपुर में दो देशमुखों के बीच हुई थी सीधी टक्कर
– सुदाम देशमुख ने हासिल की थी दोबारा जीत, सुनिल देशमुख हारे थे
करीब 4 बार अचलपुर निर्वाचन क्षेत्र से अपना भाग्य आजमाते हुए सन 1980 के चुनाव में भाकपा प्रत्याशी के तौर पर जीत हासिल करने वाले कम्युनिस्ट नेता सुदाम उर्फ वामन दत्तात्रय देशमुख ने सन 1985 का चुनाव निर्दलीय के तौर पर लडा था और लगातार दूसरी बार शानदार जीत हासिल की थी. उस समय सुदाम देशमुख का मुकाबला राजनीति में नये-नवेले रहने वाले डॉ. सुनिल पंजाबराव देशमुख से हुआ था, जिन्हें इंदिरा कांग्रेस द्वारा अचलपुर निर्वाचन क्षेत्र से टिकट देते हुए अपना प्रत्याशी बनाया गया था. जिन्हें सुदाम देशमुख ने करीब 18 हजार वोटों की लीड से पराजीत किया था. उस चुनाव में अचलपुर निर्वाचन क्षेत्र से 1,23,614 मतदाता पंजीकृत थे. जिनमें से 18,179 यानि 63.24 फीसद मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था और 77,147 वोट वैध पाये गये थे. इसमें से निर्दलीय प्रत्याशी सुदाम देशमुख को 38,211 (49.53%), इंदिरा कांग्रेस प्रत्याशी सुनिल पंजाबराव देशमुख को 20,123 (26.08%) तथा निर्दलीय प्रत्याशी मो. जाहिरुल हसन मो. लतीफोद्दीन को 10,874 (14.10%) वोट मिले थे. वहीं रिपाई प्रत्याशी किसन बाजीराव वानखडे व कांग्रेस एस प्रत्याशी नारायणदास हेमराज मालू सहित निर्दलीय प्रत्याशी पंजाब उत्तमराव शंकरपाले, मियाज अहमद खान मियाज अमानत खान, गंगासागर शालिकराम चांदूरकर, गंगाप्रसाद अजगरप्रसाद पाण्डेय व नरहरी नारायणराव हिरुलकर की जमानत जब्त हुई थी.

* मोर्शी में पुरुषोत्तम मानकर ने खोला था खाता
वर्ष 1985 के विधानसभा चुनाव में मोर्शी निर्वाचन क्षेत्र से पहली बार पुरुषोत्तम मानकर को इंदिरा कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी बनाया था तथा पुरुषोत्तम मानकर ने मोर्शी विधानसभा क्षेत्र से जीत हासिल करते हुए अपना खाता खोला था, जिन्हें कांग्रेस एस प्रत्याशी दौलतराव ठाकरे ने काफी कडी चुनौती दी थी. लेकिन बमुश्किल सवा दो हजार वोटों की लीड से पुरुषोत्तम मानकर अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे. उस समय मोर्शी विधानसभा क्षेत्र में 1,08,999 मतदाता पंजीकृत थे. जिनमें से 71,260 यानि 65.38% मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था और 69,953 वोट वैध पाये गये थे. इसमें से इंदिरा कांग्रेस प्रत्याशी पुरुषोत्तम गुलाबराव मानकर को 27,651 (39.53%) व कांग्रेस एस प्रत्याशी दौलतराव लक्ष्मणराव ठाकरे को 25,401 (36.31%) वोट मिले थे. वहीं 12,896 (18.44%) वोट लेते हुए निर्दलीय प्रत्याशी जतर खान फतेह खान तीसरे स्थान पर थे. इसके अलावा रिपाई प्रत्याशी बालकृष्ण रतीराम बागले सहित निर्दलीय प्रत्याशी भाउराव श्यामराव भुजाडे, ईशा मधुकर आत्राम, रंगराम रामभाउ जावरे, प्रयोगराव भिमराव कोकाटे, भाउराव रामभाउ कोरडे, सुखदेव किसनराव वानखडे, शंकर नत्थुजी घोरनाडे, बालकृष्ण नारायण तायडे व बालासाहब सखाराम साबले की जमानत जब्त हुई थी.

* तिवसा से जीते थे शरद तसरे, भैयासाहब की कटी थी टिकट
सन 1980 के विधानसभा चुनाव में तिवसा निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर जीत दर्ज करने के बावजूद भी भैयासाहब उर्फ चंद्रकांत ठाकुर की टिकट सन 85 के चुनाव में कांग्रेस द्वारा काट दी गई थी तथा कांग्रेस में विश्वास देशमुख को अपना प्रत्याशी बनाया था. जिन्हें सन 1980 के चुनाव में भैयासाहब के हाथों हार का सामना करने वाले कांग्रेस एस के प्रत्याशी शरद तसरे ने हरा दिया था. उपलब्ध जानकारी के मुताबिक उस समय भैयासाहब ठाकुर का कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वसंत साठे के साथ कुछ वैचारिक मतभेद चल रहा था. वहीं दूसरी ओर विश्वास देशमुख की वसंत साठे के साथ अच्छी खासी घनिष्ठता थी. जिसके चलते वसंत साठे के कहने पर भैयासाहब ठाकुर की टिकट काटकर विश्वास देशमुख को इंदिरा कांग्रेस का प्रत्याशी बनाया गया था. जिन्हें कांग्रेस एस के प्रत्याशी शरद तसरे ने करीब 6 हजार वोटों की लीड हासिल करते हुए पराजीत किया था. शरद तसरे इससे पहले चांदूर रेल्वे निर्वाचन क्षेत्र से विधायक रह चुके थे और उन्होंने सन 1980 का चुनाव तिवसा निर्वाचन क्षेत्र से लडा था. जिसमें उन्हें हार का सामना करना पडा था. लेकिन वे सन 85 के चुनाव में तिवसा से जीतने में कामयाब रहे. सन 1985 के चुनाव में तिवसा निर्वाचन क्षेत्र से कुल 1,04,661 मतदाता पंजीकृत थे. जिनमें से 69,580 यानि 66.48% मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था तथा 68,532 वोट वैध पाये गये थे. इसमें से कांग्रेस एस प्रत्याशी शरद मोतीराम तसरे को 31,425 (45.85%), इंदिरा कांग्रेस प्रत्याशी विश्वास कृष्णराव देशमुख को 25,508 (37.22%) व निर्दलीय प्रत्याशी अरुण शालिकराम चव्हाण को 9,549 (13.93%) वोट हासिल हुए थे. जबकि रिपाई प्रत्याशी चिरकुट गेंदाजी तायडे तथा निर्दलीय प्रत्याशी सुभाष देवीदास श्रीखंडे व सुभाष वामन वाढोणकर की जमानत जब्त हुई थी.

* वलगांव से अनिल वर्‍हाडे ने मारी थी बाजी
वलगांव निर्वाचन क्षेत्र से सन 1985 में पहली बार चुनाव लडने वाले अनिल गोपालराव वर्‍हाडे ने इंदिरा कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर 12 हजार वोटों की लीड के साथ जीत हासिल की थी. उस चुनाव में वलगांव निर्वाचन क्षेत्र से 1,06,866 मतदाता पंजीकृत थे. जिनमें से 60,537 यानि 56.65% मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था. जिसमें से कांग्रेस प्रत्याशी अनिल वर्‍हाडे को 28,080 (47.10%) व कांग्रेस एस प्रत्याशी नीलकंठ महादेवराव देशमुख को 16,479 (27.64%) वोट मिले थे. साथ ही निर्दलीय प्रत्याशी प्रल्हाद बाजीराव गायकवाड ने तीसरे स्थान पर रहते हुए 11,941 (20.03%) वोट हासिल किये थे. इसके अलावा रिपाई प्रत्याशी उत्तम जंगलुजी गवई सहित अ. जमील शेख मोहम्मद, अनिल बालकृष्ण गोंडाणे व रावसाहेब काशीराव शेलके की जमानत जब्त हुई थी.

* विधानसभा निहाय हुए मतदान तथा वैध मतदान व प्रतिशत की स्थिति
विधानसभा       क्षेत्र कुल       मतदाता प्रत्यक्ष    मतदान वैध वोट    मतदान प्रतिशत
अमरावती        1,36,241     69,739                   68,843        51.19
बडनेरा            1,15,043     61,987                  61,118        53.88
दर्यापुर            1,09,792     73,791                  72,832        67.21
मेलघाट           1,18,748     51,368                  49,525        42.26
चांदूर रेल्वे       1,04,217      74,790,                73,651        71.76
अचलपुर         1,23,614      78,179                 77,147        63.24
मोर्शी              1,08,999      71,260                69,953         65.38
वलगांव           1,06,866      60,537                59,613         56.65
तिवसा            1,04,661      69,580                68,532          66.48
कुल               10,28,181     6,11,231            6,01,214        59.78

* सन 85 के चुनाव में विजयी प्रत्याशी व उनके हासिल वोट
निर्वाचन क्षेत्र विजयी प्रत्याशी प्राप्त वोट वोट प्रतिशत
अमरावती देवीसिंह रामसिंह शेखावत (कांग्रेस) 37,330 54.22
बडनेरा राम कृष्णराव मेघे (कांग्रेस) 27,374 44.79
दर्यापुर रावसाहेब पांडुरंग हाडोले (कांग्रेस) 28,043 38.50
मेलघाट रामू म्हतांग पटेल (कांग्रेस) 40,441 81.66
चांदूर रेल्वे यशवंत गंगाराम शेरेकर (कांग्रेस) 32,156 43.66
अचलपुर सुदाम देशमुख (निर्दलीय) 38,211 49.53
मोर्शी पुरुषोत्तम गुलाब मानकर (कांग्रेस) 27,651 38.53
वलगांव अनिल गोपालराव वर्‍हाडे (कांग्रेस) 28,080 37.10
तिवसा शरद मोतीराम तसरे (आयसीएस) 31,425 45.85

* विधानसभा क्षेत्र निहाय प्रमुख प्रत्याशियों की स्थिति (हासिल वोट व प्रतिशत)
– अमरावती
देवीसिंह रामसिंह शेखावत (कांग्रेस) 37,330 54.22
चंद्रप्रभा नरेंद्र बोके (कांग्रेस एस) 15,612 22.68
मो. सफदर मो. युसूफ (निर्दलीय) 12,378 17.98
महबूब खान अजीज खान (निर्दलीय) 1,178 1.71
गुणवंत चंपत शेलके (निर्दलीय) 668 0.97
विलास रायभान घोडेस्वार (निर्दलीय) 508 0.74
पंजाबराव चानू आत्राम (निर्दलीय) 296 0.43
नरेंद्र अमृतलाल बगडाई (निर्दलीय) 257 0.37
मनोहर राजाराम बेहरे (निर्दलीय) 248 0.36
बालू बनसोड (निर्दलीय) 165 0.24
शंकर मोतीराम ढेकेकर (निर्दलीय) 116 0.17
शंकर घासीराम समुंद (निर्दलीय) 45 0.07
मोहन तुलीराम बुंदेले (निर्दलीय) 42 0.06

बडनेरा
राम कृष्णराव मेघे (कांग्रेस) 27,374 44.79
अरुण विठ्ठलराव गावंडे (कांग्रेस एस) 18,573 30.39
आनंद हिरामन इंगले (निर्दलीय) 10,974 17.96
नेमीचंद मारोती बनसोड (रिपाइं) 3,431 5.61
रामदास विश्वनाथ जुनघरे (निर्दलीय) 267 0.44
लक्ष्मण नत्थु नकटे (निर्दलीय) 264 0.43
कृष्णराव पांडुरंग गणवीर (निर्दलीय) 235 0.38

– दर्यापुर
रावसाहेब पांडुरंग हाडोले (कांग्रेस) 28,043 38.50
अशोकसिंह लक्ष्मणसिंह गहरवार (कांग्रेस एस) 25,743 35.34
देवराव गोंडाजी वानखडे (निर्दलीय) 10,212 14.02
सुरेश राजाराम बेराड (निर्दलीय) 3,589 4.93
देवीदास झामाजी वाकपांजर (रिपाइं) 3,301 4.53
सुरेश रामकृष्ण खेडकर (निर्दलीय) 1,423 1.95
मोतीराम गोंडुजी कोल्हे (निर्दलीय) 162 0.22
नामदेव गुणाजी चौरपगार (निर्दलीय) 135 0.19

– मेलघाट
रामू म्हतांग पटेल (कांग्रेस) 40,441 81.66
हिरालाल ओंकार सरगे (भाजपा) 6,348 12.82
मौजीलाल तुमला (निर्दलीय) 1,482 2.99
भुजंग रामजी (निर्दलीय) 1,254 2.53

– चांदूर रेल्वे
यशवंत गंगाराम शेरेकर (कांग्रेस) 32,156 43.66
अरुण जनार्दन अडसड (भाजपा) 28,138 38.20
केशव हरीभाऊ मेश्राम (निर्दलीय) 8,239 11.19
शिवाजी सुरेंद्र देशमुख (भाकपा) 3,202 4.35
हरीचंद्र महादेव बोरकर (रिपाइं) 533 0.72
सीताराम पुंडलिक दाभाडे (निर्दलीय) 433 0.59
सुहास वामनराव ढोबले (निर्दलीय) 259 0.35
भाऊराव श्यामराव जाधव (निर्दलीय) 223 0.30
शंकर झिंगुजी आव्हाडकर (निर्दलीय) 200 0.27
अरुण विश्वासराव भोगे (निर्दलीय) 158 0.21
प्रभात मारोती काले (निर्दलीय) 110 0.15

– अचलपुर
सुदाम उर्फ डब्ल्यू. डी. देशमुख (निर्दलीय) 38,211 49.53
सुनील पंजाबराव देशमुख (कांग्रेस) 20,123 26.08
मो. जाहीरुल हसन (निर्दलीय) 10,874 14.10
पंजाब उत्तमराव तंतरपाले (निर्दलीय) 4,673 6.06
किसन बाजीराव वानखडे (रिपाइं) 1,607 2.08
नियाज अहमद खान (निर्दलीय) 988 1.28
गंगासागर चांदुरकर (निर्दलीय) 243 0.31
नारायण हेमराज मालू (कांग्रेस एस) 225 0.29
गणेशप्रसाद पाण्डेय (निर्दलीय) 118 0.15
नरहरी नारायण हिरुलकर (निर्दलीय) 85 0.11

– मोर्शी
पुरुषोत्तम गुलाब मानकर (कांग्रेस) 27,651 38.53
दौलत लक्ष्मण ठाकरे (कांग्रेस एस) 25,401 36.31
जतर खान फतेह खान (निर्दलीय) 12,896 18.44
भाऊराव भुजाडे (निर्दलीय) 1,416 2.02
उषा मधुकर आत्राम (निर्दलीय) 804 1.15
रंगराव रामभाऊ जावरे (निर्दलीय) 481 0.60
प्रयास भीमराव कोकाटे (निर्दलीय) 296 0.42
बालकृष्ण रतिराम बागडे (रिपाइं) 291 0.40
भाऊराव रामभाऊ गोरडे (निर्दलीय) 248 0.33
सुखदेव किसनराव वानखडे (निर्दलीय) 195 0.28
शंकर नत्थुजी घोरनाडे (निर्दलीय) 156 0.22
बालकृष्ण नारायण तायडे (निर्दलीय) 87 0.12
बालासाहब सखाराम साबले (निर्दलीय) 31 0.04

– वलगांव
अनिल गोपालराव वर्‍हाडे (कांग्रेस) 28,080 37.10
नीलकंठ महादेव देशमुख (कांग्रेस एस) 16,479 27.64
प्रल्हाद बाजीराव गायकवाड (निर्दलीय) 11,941 20.03
अ. जमील शे. महंमद (निर्दलीय) 1,703 2.86
उत्तम जंगलुजी गवई (रिपाइं) 1,068 1.79
अनिल बालकृष्ण गोंडाने (निर्दलीय) 216 0.36
रावसाहेब काशीराव शेलके (निर्दलीय) 126 0.21

– तिवसा
शरद मोतीराम तसरे (कांग्रेस एस) 31,425 45.85
विश्वास कृष्णराव देशमुख (कांग्रेस) 25,508 37.22
अरुण शालिकराम चव्हाण (निर्दलीय) 9,549 13.93
चिरकुट गेंडाजी तायडे (रिपाइं) 1,180 1.72
सुभाष देवीदास श्रीखंडे (निर्दलीय) 606 0.88
सुभाष वामन वाढोणकर (निर्दलीय) 264 0.39

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