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राजनीतिक उथलपुथल से भरा रहा सन 78 का विधानसभा चुनाव

आपातकाल के बाद कांग्रेस में हुई थी दोफाड, इंदिरा कांग्रेस व रेड्डी कांग्रेस का हुआ था गठन

* जिले में इंदिरा कांग्रेस ने 6 सीटों पर हासिल की थी जीत
* कई प्रस्थापितो को करना पडा था हार का सामना
* कई नए चेहरे उभरकर आए थे सामने
* जांबुवंतराव धोटे नई ताकत के तौर पर उभरे थे
* परिसीमन में तिवसा सीट का हुआ था गठन
* जिले में विस क्षेत्रो की संख्या हुई थी 9
अमरावती /दि. 17- सन 1978 में महाराष्ट्र विधानसभा हेतु कराया गया चुनाव जबरदस्त राजनीतिक उथलपुथल से भरा था. क्योंकि, सन 1972 के बाद हुए चुनाव पश्चात 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक देश में आपातकाल लगा रहा. जिसके बाद इंदिरा गांधी के नेतृत्व को लेकर कांग्रेस पार्टी में फूट पड गइ तथा कांग्रेस दो हिस्सो में विभाजित हो गई. साथ ही इसी दौरान देश में जनता पार्टी का भी उदय हुआ और क्षेत्रीय व स्थानीय स्तर पर भी कई छोटे-मोटे राजनीतिक दल बने. जिन्होंने कुछ बडे दलो के साथ हाथ मिलाते हुए गठबंधन किया. जिसकी वजह से अब तक चले आ रहे तमाम राजनीतिक समीकरण पूरी तरह से धराशाई हो गए. तथा सन 1977 के चुनाव में कई प्रस्थापितो को हार का सामना करना पडा. जिसके चलते कई नए चेहरे उभरकर सामने आए और इन्हीं नए चेहरो में से कुछ लोक विधायक निर्वाचित होते हुए विधानसभा में पहुंचे. खास बात यह रही कि, सन 1972 के विधानसभा चुनाव तक लीड वोटो के साथ ही एक से अधिक बार चुनाव जीतते हुए रिकॉर्ड बनानेवाले कई नेता को सन 78 के चुनाव में मतदाताओं ने घर का रास्ता दिखा दिया. साथ ही कुछ निर्वाचन क्षेत्र में वोटो के बंटवारे का भी सशक्त प्रत्याशियों को खामियाजा भुगतना पडा. इसके साथ ही सन 1978 के विधानसभा चुनाव हेतु विधानसभा क्षेत्रो का नए सिरे से परिसीमन किया गया. जिसके चलते राज्य में विधानसभा सीटों की संख्या 277 से बढकर 288 हो गई थी. जिसके तहत अमरावती जिले में भी 8 की बजाए 9 विधानसभा क्षेत्र तय किए गए थे और तिवसा विधानसभा क्षेत्र का नए सिरे से गठन किया गया था.

* सन 78 में बनी थी जनता पार्टी की सरकार
आपातकाल के बाद कांग्रेस में हुई उथलपुथल के बीच राष्ट्रीय स्तर पर यशवंतराव चव्हाण ब्रह्मानंद रेड्डी ने इंदिरा कांग्रेस के नेतृत्व को खारिज करते हुए रेड्डी कांग्रेस की स्थापना की. इसका परिणाम महाराष्ट्र में भी हुआ तथा यशवंतराव चव्हाण, वसंतदादा पाटिल व शरद पवार जैसे नेता रेड्डी कांग्रेस में शामिल हुए. वहीं दूसरी ओर इंदिरा गांधी के नेतृत्व में इंदिरा कांग्रेस यानी कांग्रेस (आय) का गठन हुआ. जिसमें नाशिकराव तिरपुडे जैसे नेता शामिल हुए. वहीं दूसरी ओर आपातकाल के दौरान ही कई विपक्षी दलो ने एक साथ आते हुए जनता पार्टी का गठन किया. जिसमें पूरे देश में इंदिरा गांधी के नेतृत्व को कडी चुनौती दी. जिसके चलते सन 1977 के लोकसभा चुनाव में इंदिरा गांधी और उनकी कांग्रेस बुरी तरह पराजित हुई. खुद इंदिरा गांधी रायबरेली सीट को हार का सामना करना पडा और 23 मार्च 1977 को जनता पार्टी के मोरारजी देसाई देश के प्रधानमंत्री बने. इसके साथ ही देश के इतिहास में पहली बार गैर कांग्रेसी सरकार केंद्रीय सत्ता में आई.

* महाराष्ट्र में दोनों कांग्रेस ने हाथ मिलाकर बनाई थी सरकार
वहीं दूसरी ओर महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों में से 95 सीटों पर जनता पार्टी, 69 सीटों पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (रेड्डी कांग्रेस), 62 सीटों पर इंदिरा कांग्रेस ने जीत हासिल की थी. जिसके चलते कहा जा सकता है कि, सन 68 व सन 72 के चुनाव में क्लिन स्वीप करनेवाली कांग्रेस का सन 78 के चुनाव में आपसी फूट के चलते सुपडा साफ हो गया था. हालांकि चुनाव के बाद सत्ता के लिए कांग्रेस के दोनों गुट एक बार फिर एक साथ आए और वसंतदादा पाटिल के नेतृत्वतले महाराष्ट्र में पहली बार संयुक्त सरकार स्थापित हुई. जिसमें शरद पवार भी उद्योग मंत्री के तौर पर शामिल हुए थे. जिन्होंने सन 78 के जुलाई माह दौरान विधान मंडल का पावस सत्र जारी रहते समय 40 विधायकों को साथ लेकर सरकार से बाहर निकलने का निर्णय लिया और समाजवादी कांग्रेस की स्थापना करते हुए जनता पार्टी, शेतकरी कामगार पार्टी व कम्युनिस्ट पार्टी के साथ हाथ मिलाकर पुरोगामी लोकशाही दल यानी पुलोद की स्थापना की. जिसके चलते महज चार माह के भीतर वसंतदादा पाटिल की सरकार अल्पमत में आकर गिर गई और 18 जुलाई 1978 को शरद पवार ने महज 38 वर्ष की उम्र में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.

* महज दो वर्ष ही चली थी गैर कांग्रेसी सरकारे
* सन 79 में इंदिरा गांधी की हुई थी जोरदार वापसी.
विशेष उल्लेखनीय है कि, प्रचंड बहुमत के दम पर केंद्र की सत्ता में आई जनता पार्टी की सरकार अपनी आपसी फूट के चलते महज दो वर्ष में ही गिर गई और सन 1979 में लोकसभा के मध्यावधी चुनाव हुए. इसके बाद केंद्रीय सत्ता में एक बार फिर इंदिरा गांधी ने जोरदार वापसी की. इसके पश्चात इंदिरा गांधी ने देश के अलग-अलग राज्यों की सत्ता में रहनेवाली 9 गैर कांग्रेसी सरकारो को बर्खाश्त कर दिया. इसके तहत 17 फरवरी 1980 को इंदिरा गांधी की सिफारिश कर राष्ट्रपति ने शरद पवार की पुलोद सरकार को बर्खाश्त करते हुए महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगा दिया था. जिसके चलते सन 1980 में राज्य विधानसभा हेतु दुबारा चुनाव कराए गए और इंदिरा कांग्रेस ने महाराष्ट्र में भी बहुमत हासिल किया. इसके दम पर बॅरि. ए. आर. अंतुले को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनाया गया. सन 80 के विधानसभा चुनाव में शरद पवार की समाजवादी कांग्रेस को हार का सामना करना पडा. जिसके चलते अगले 6 साल तक समाजवादी कांग्रेस ने विपक्ष के तौर पर काम किया और फिर सन 1987 में शरद पवार ने एक बार फिर राजीव गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस में प्रवेश किया.

* अमरावती सहित विदर्भ में धोटे का बढा था प्रभाव
सन 1978 का दौर आते-आते अपातकाल के दौरान इमर्जन्सी का विरोध करनेवाले नेताओ में यवतमाल से वास्ता रखनेवाले जांबुवंतराव धोटे का नाम सबसे प्रमुख तौर पर उभरा. जिन्होंने सबसे पहले स्वतंत्र विदर्भ की मांग भी उठाई. ऐसे में जांबुवंतराव धोटे को ‘विदर्भ वीर’ की उपाधि भी मिली. उस दौरान कई युवा जांबुवंतराव धोटे एवं उनके राजनीतिक दल फॉरवर्ड ब्लॉक से भी काफी प्रभावित हुए थे. तथा धोटे के साथ जुड गए थे. इसमें से कई नेता ऐसे भी रहे, जो यूं तो कांग्रेस के साथ जुडे हुए थे. लेकिन स्थानीय स्तर पर धोटे के भी कट्टर समर्थक थे. ऐसे कई युवा नेताओ ने सन 1978 के चुनाव में शानदार प्रदर्शन किया और वे आगे चलकर बडा नाम भी बने.


* अमरावती से इंका के सुरेंद्र भुयार जीते थे
सन 1978 के विधानसभा चुनाव में अमरावती निर्वाचन क्षेत्र से इंदिरा कांग्रेस के सुरेंद्र भुयार ने चुनाव जीता था. जो हकिकत में जांबुवंतराव धोटे के कट्टर समर्थक थे. सन 78 के चुनाव में अमरावती विधानसभा क्षेत्र से कुल 1,16,603 मतदाता पंजीकृत थे. जिनमें से 77,466 यानी 66.44 फीसद मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था. तथा 76,098 वोट वैध पाए गए थे. इसमें से इंका प्रत्याशी सुरेंद्र छत्रपाल भुयार को 38,560 यानी 50.60 फीसद वोट मिले थे. वहीं उनके निकटतम प्रतिद्वंदी व जनता पार्टी के प्रत्याशी मुनीर खान उस्मान खान को 20,296 यानी 26.67 फीसद वोट प्राप्त हुए थे. उस चुनाव की खासियत यह रही की इससे पहले एक बार अमरावती निर्वाचन क्षेत्र के विधायक रह चुके तथा स्थानीय स्तर पर कांग्रेस के सबसे कद्दावर नेता रहनेवाले उमरलाल केडिया कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर तीसरे स्थान पर रहे. जिन्हें मात्र 12,843 यानी 16.88 फीसद वोट मिले थे. इसके अलावा अमरावती विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लडनेवाले 7 निर्दलीय प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई थी. जिनमें वसंतराव कोल्हटकर, नुरुल हसन अब्दुल हसन, हरीभाऊ ब्राह्मने, भाऊराव कोहले, साहेबराव डोंगरे, प्रकाशचंद्र इंदुरकर व राधेश्याम चांडक का समावेश था.


* बडनेरा से ऐन समय पर मंगलदास यादव की लगी थी लॉटरी
– पूर्व विधायक रह चुके के. बी. श्रुंगारे की जमानत हुई थी जब्त
सन 78 के चुनाव में सबसे रोचक बात बडनेरा विधानसभा क्षेत्र में दिखाई दी थी. जहां पर पुरुषोत्तम येते की टिकट इंदिरा कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर लगभग तय हो गई थी. परंतु ऐन समय पर पुरुषोत्तम येते अपने किसी पारिवारिक कार्यक्रम में व्यस्त हो गए. जिसके चलते उन्होंने अपने बेहद नजदिकी रहनेवाले मंगलदास भोलाराम यादव को फॉर्म ए के साथ फॉर्म बी भी भरने के लिए कहा और इंका प्रत्याशी के तौर पर मंगलदास यादव का नाम फायनल भी हो गया. जिन्होंने 40,828 यानी 58.87 फीसद वोट हासिल करते हुए लगभग 28 हजार वोटो की लीड के साथ चुनाव जीता था. वहीं इससे पहले बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र से विधायक रह चुके रिपाइं प्रत्याशी के. बी. उर्फ कृष्णार श्रुंगारे इस चुनाव में सीधे पांचवे स्थान पर चले गए थे. जिसकी जमानत तक जब्त हो गई थी. उस चुनाव में बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र से 96,699 मतदाता पंजीकृत थे. जिनमें से 70,964 यानी 73.39 फीसद मतदाताओं ने वोट डाले थे और 69,356 वोट वैध पाए गए थे. इसमें से इंका प्रत्याशी मंगलदास यादव को 40,828 यानी 58.87 फीसद, निर्दलीय प्रत्याशी प्रवीण ढेपे को 11,908 यानी 17.17 फीसद, रिपाइं कवाडे गुट प्रत्याशी गजानन नन्नावरे को 7,999 यानी 11.53 व भाकपा प्रत्याशी भालचंद्र दिवानजी को 4,614 यानी 6.65 फीसद वोट मिले थे. इसके अलावा चुनावी मैदान में रहनेवाले रिपाइं प्रत्याशी के. बी. श्रुंगारे सहित निर्दलीय प्रत्याशी जे. एम. धारिया, यशवंत खंडारे व किसन गुडधे की जमानत जब्त हुई थी.


* चांदुर रेलवे से सुधाकर सव्वालाखे ने खोला था खाता
– विधायक रह चुके शरद तसरे को करना पडा था हार का सामना
इंदिरा कांग्रेस के नेता नाशिकराव तिरपुडे के बेहद नजदिकी रहनेवाले सुधाकर सव्वालाखे को इंदिरा कांग्रेस द्वारा चांदुर रेलवे से अपना प्रत्याशी बनाया गया था. जिन्होंने 52,622 यानी रिकॉर्ड 71.01 फीसद वोट हासिल करने के साथ ही करीब 40 हजार वोटो की लीड के साथ जीत हासिल की थी. वहीं उनके निकटतम प्रतिद्वंदी व जनता पार्टी के प्रत्याशी अरुण अडसड को 12,656 यानी 17.08 फीसद वोट प्राप्त हुए थे. जबकि इससे पहले चांदुर रेलवे के विधायक रह चुके शरद तसरे को कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर करारी हार का सामना करना पडा था. जिन्हें 4,552 यानी मात्र 6.14 फीसद वोट हासिल हुए थे और वे तीसरे स्थान पर रहे. इसके अलावा चुनावी अखाडे में रहनेवाले निर्दलीय प्रत्याशी फतेहसिंह मोरे, रामचंद्र चौबे, अंबादास ठोंबरे, काशीनाथ देशमुख, मनोहर कडू व परसराम मेश्राम की जमानत जब्त हो गई थी. सन 78 के चुनाव में चांदुर रेलवे निर्वाचन क्षेत्र से 94,243 मतदाता पंजीकृत थे. जिनमें से 75,512 यानी 80.12 फीसद मतदाताओं ने वोट डाले थे और 74,109 वोट वैध पाए गए थे.


* दर्यापुर में पूरी तरह बदली थी राजनीति, शंकरराव बोबडे जीते थे
सन 1952 से लेकर 1972 के चुनाव तक यानी लगभग 20 साल दर्यापुर विधानसभा क्षेत्र की राजनीति जे. डी. गावंडे पाटिल उर्फ बालासाहब सांगलुदकर परिवार के ही इर्दगिर्द घुमती रही. लेकिन सन 1978 के चुनाव में दर्यापुर निर्वाचन क्षेत्र का राजनीतिक दृष्य पूरी तरह से बदल गया. क्योंकि, सांगलुदकर परिवार ने इस चुनाव से खुद को अलग रखा था. वहीं अब तक कांग्रेस व रिपाइं का प्रभुत्व रहनेवाले दर्यापुर निर्वाचन क्षेत्र से सन 1978 के चुनाव में विदर्भ वीर जांबुवंतराव धोटे की पार्टी फॉरवर्ड ब्लॉक के प्रत्याशी शंकरराव बोबडे ने शानदार प्रदर्शन करते हुए करीब 26 हजार वोटो की लीड के साथ जीत हासिल की थी. इस चुनाव में दर्यापुर निर्वाचन क्षेत्र से कुल 95,030 मतदाता पंजीकृत थे. जिनमें से 74,476 यानी 78.37 फीसद मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था और 72,845 वोट वैध पाए गए थे. जिसमें से फॉरवर्ड ब्लॉक प्रत्याशी शंकरराव बोबडे को 38,021 यानी 52.19 फीसद, रिपाइं प्रत्याशी वसंत सूर्यभान गवई को 12,678 यानी 17.40 फीसद, पीडब्ल्यूपी प्रत्याशी रामराव हुटके को 10,060 यानी 13.81 फीसद, जनता पार्टी प्रत्याशी शंकर झोंबाडे को 9,456 यानी 12.98 फीसद वोट प्राप्त हुए थे. इसके अलावा चुनावी अखाडे में रहनेवाले कवाडे गुट के प्रत्याशी कृष्णराव पाटिल सहित निर्दलीय प्रत्याशी मोहन पाखरे, रामदास गुल्हाने, गोविंद बिजवे, माणिकराव सावले व गणेशराव पाटिल की जमानत जब्त हुई थी.


* मेलघाट से रामू पटेल ने लगातार दूसरी जीत हासिल की थी
आदिवासी बहुल मेलघाट निर्वाचन क्षेत्र से सन 1972 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर जीत हासिल करनेवाले रामू पटेल ने कांग्रेस में हुई दोफाड के बाद इंदिरा कांग्रेस का दामन थामा था. जिन्हें पार्टी ने सन 1978 के चुनाव में अपना प्रत्याशी बनाया था और रामू पटेल ने इंका प्रत्याशी के तौर पर मेलघाट से लगातार दूसरी बार जीत हासिल की थी. उस चुनाव में मेलघाट निर्वाचन क्षेत्र से 97,307 मतदाता पंजीकृत हुए थे. जिनमें से 60,633 यानी 62.31 फीसद मतदाताओं ने वोट डाले थे. तथा 57,291 वोट वैध पाए गए थे. जिसमें से इंकां प्रत्याशी रामू म्हतांग पटेल को 34,998 यानी 61.09 फीसद, जनता पार्टी प्रत्याशी हिरालाल सरगे को 14,444 यानी 25.21 फीसद तथा कांग्रेस प्रत्याशी मोतीराम पटेल को 7,849 यानी 13.70 फीसद वोट मिले थे.


* अचलपुर में हुआ था सबसे बडा उलटफेर, टॉकीज मैनेजर वामन भोकरे बने थे विधायक
– वामन भोकरे ने निर्दलीय के तौर पर लडा था चुनाव, दो बार के विधायक नरसिंग देशमुख हारे थे
जिले में सबसे बडा राजनीतिक उलटफेर अचलपुर विधानसभा क्षेत्र में हुआ था. जहां पर ख्यातनाम फिल्म वितरक व्यवसायी शंकरलाल राठी की श्याम टॉकीज में मैनेजर के तौर पर काम करनेवाले वामन राजीराव भोकरे ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लडते हुए शानदार जीत हासिल की थी और सबसे खास बात यह रही कि, इससे पहले लगातार दो बार अचलपुर के विधायक रह चुके नरसिंगराव देशमुख अपने तीसरे चुनाव में हारने के साथ ही तीसरे स्थान पर रहे थे. वहीं भाकपा के सुदाम देशमुख ने दूसरे स्थान पर रहने के साथ ही विजेता प्रत्याशी वामन भोकरे को कडी टक्कर भी दी थी. लेकिन सुदाम देशमुख को महज 732 वोटो से हार का सामना करना पडा था. विशेष उल्लेखनीय यह भी रहा कि, सन 78 के चुनाव में मिली जीत के बाद विधायक बने वामन भोकरे आगे चलकर मराठा कुणबी समाज के काफी बडे नेता के तौर पर भी उभरकर सामने आए. सन 78 के चुनाव में अचलपुर निर्वाचन क्षेत्र से 1,08,430 मतदाता पंजीकृत थे. जिनमें से 81,896 यानी 75.53 फीसद मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था और 80,284 वोट वैध पाए गए थे. इसमें से निर्दलीय प्रत्याशी वामन भोकरे को 24,178 (30.12%), भाकपा प्रत्याशी सुदाम उर्फ वामन देशमुख को 23,446 (29.20%), कांग्रेस प्रत्याशी व दो बार विधायक रह चुके नरसिंग देशमुख को 10,560 (13.15%), निर्दलीय प्रत्याशी विनायक कोरडे को 9,346 (11.64%) व जनता पार्टी के प्रत्याशी गंगाधर वाटाणे को 8,535 (10.63%) वोट मिले थे. वहीं निर्दलीय के तौर पर चुनाव लडनेवाले किसन वानखेडे, भगवंत इंगले, कमलकिशोर उपाध्याय, प्रभाकर शिरसाठ व शंभूदयाल श्रीवास की जमानत जब्त हुई थी.


* मोर्शी में महादेव आंडे ने किया था उलटफेर
– विधायक रह चुके मल्हार माहुलकर थे चौथे स्थान पर, जमानत हुई थी जब्त
मोर्शी निर्वाचन क्षेत्र से तत्कालीन राज्यमंत्री रहनेवाली प्रतिभाताई पाटिल ने अपने बेहद विश्वासपात्र महादेव आंडे को इंदिरा कांग्रेस की टिकट दिलवाई थी और महादेव आंडे ने करीब 38 हजार वोटो की लीड के साथ एकतरफा जीत हासिल की थी. वहीं सन 72 के चुनाव में मोर्शी से विधायक निर्वाचित होनेवाले मल्हारराव माहुलकर को इस बार कांग्रेस प्रत्याशी के तौर करारी शिकस्त का सामना करना पडा था. जो सीधे चौथे स्थान पर चले गए थे, जो अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए थे. सन 78 के चुनाव में मोर्शी निर्वाचन क्षेत्र से कुल 94,022 मतदाता पंजीकृत थे. जिनमें से 73,552 यानी 78.23 फीसद मतदाताओं ने वोट डाले थे और 71,333 वोट वैध पाए गए थे. इसमें से इंदिरा कांग्रेस प्रत्याशी महादेव आंडे को 48,012 (67.30%), जनता पार्टी के गिरीश गांधी को 9,895 (13.87%), निर्दलीय प्रत्याशी नागोराव देशमुख को 6,868 (9.63%) वोट मिले थे. वहीं तत्कालीन विधायक रह चुके कांग्रेस प्रत्याशी मल्हारराव माहुलकर सहित पीडब्ल्यूपी प्रत्याशी नरेशचंद्र ठाकरे व निर्दलीय प्रत्याशी भाऊराव भुजाडे की जमानत जब्त हुई थी.


* वलगांव से इंकां के भाऊ साबले हुए थे विजयी, धोटे के थे करीबी
वलगांव विधानसभा क्षेत्र में जांबुवंतराव धोटे के कट्टर समर्थक रहनेवाले भाऊ बापुराव साबले ने इंदिरा कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लडते हुए करीब 35 हजार वोटो की लीड के साथ एकतरफा जीत हासिल की थी. उस चुनाव में वलगांव निर्वाचन क्षेत्र से 96,664 मतदाता पंजीकृत थे. जिनमें से 70,978 यानी 73.43 फीसद मतदाताओं ने वोट डाले थे और 69,259 वोट वैध पाए गए थे. जिसमें से इंकां प्रत्याशी भाऊ साबले को 45,789 (66.11%) तथा उनके निकटतम प्रतिद्वंदी व कांग्रेस प्रत्याशी भगवान इंगोले को 10,259 (14.81%) वोट मिले थे. साथ ही निर्दलीय प्रत्याशी विश्वास वानखेडे ने 6,704 (9.68%) वोट हासिल करते हुए जैसे-तैसे अपनी जमानत बचाई थी. वहीं निर्दलीय प्रत्याशी गणेश पाटिल, सुदाम खंडारे, पांडुरंग जामनेकर, काशीनाथ झगडे, धरमवीर देशमुख व सैयद सिबतैन की जमानत जब्त हुई थी.


* नवगठित तिवसा सीट के पहले विधायक चुने गए थे भैयासाहब ठाकुर
– निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर जीता था चुनाव
नए परिसीमन के चलते सन 1978 के चुनाव में अस्तित्व में आए तिवसा विधानसभा क्षेत्र से भैयासाहब उर्फ चंद्रकांत रामचंद्र ठाकुर ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लडते हुए करीब 25 हजार वोटो की लीड के साथ जीत हासिल की थी. बता दे कि, आगे चलकर भैयासाहब ठाकुर की परंपरा को उनकी बेटी यशोमति ठाकुर ने तिवसा निर्वाचन क्षेत्र में आगे बढाया, जिन्होंने तिवसा निर्वाचन क्षेत्र से लगातार तीन बार जीत हासिल की और वे महाविकास आघाडी सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रही. सन 1978 के चुनाव में नवगठित तिवसा विधानसभा क्षेत्र में 90,810 मतदाता पंजीकृत थे. जिनमें से 71,145 यानी 78.34 फीसद मतदाताओं ने वोट डाले थे और 69,276 वोट वैध पाए गए थे. जिसमें से निर्दलीय प्रत्याशी भैयासाहब उर्फ चंद्रकांत ठाकुर ने 41,455 (59.84%), भाकपा प्रत्याशी नत्थुजी उर्फ भाई मंगले ने 14,965 (21.60%), जनता पार्टी प्रत्याशी अजाबराव चोरे ने 5,127 (7.40%) वोट हासिल किए थे. वहीं कांग्रेस प्रत्याशी उत्तम भोले सहित निर्दलीय प्रत्याशी कृष्णा ठाकरे, उषा चौधरी व शे. महेबूब शे. रसूल की जमानत जब्त हुई थी.

* विधानसभा निहाय हुए मतदान तथा वैध मतदान व प्रतिशत की स्थिति
विधानसभा क्षेत्र      कुल मतदाता       प्रत्यक्ष मतदान        वैध वोट मतदान    प्रतिशत
अमरावती            1,16,603             77,466               76,098               66.44
बडनेरा                96,699               70,964               69,356                73.39
दर्यापुर                95,030               74,476                72,845               78.37
मेलघाट               97,307               60,633                57,291              62.31
चांदूर रेल्वे            94,243               75,512               74,109               80.12
अचलपुर              1,08,430            81,896               80,284               75.53
मोर्शी                   94,022               73,552               71,337              78.23
वलगांव                96,664               70,978               69,259              73.46
तिवसा                 90,810                71,145              69,276              78.34
कुल                    8,89,808             6,52,622           6,39,846             74.02

* सन 72 के चुनाव में विजयी प्रत्याशी व उनके हासिल वोट
निर्वाचन क्षेत्र विजयी प्रत्याशी प्राप्त वोट वोट प्रतिशत
अमरावती सुरेंद्र भुयार (इंदिरा कांग्रेस) 38,507 50.60
बडनेरा मंगलदास यादव (इंदिरा कांग्रेस) 40,828 58.87
दर्यापुर शंकरराव बोबडे (एफबीएल) 38,021 52.19
मेलघाट रामू म्हतांग पटेल (इंदिरा कांग्रेस) 34,998 61.09
चांदूर रेल्वे सुधाकर सव्वालाखे (इंदिरा कांग्रेस) 53,622 71.01
अचलपुर वामन भोकरे (निर्दलीय) 24,178 30.12
मोर्शी महादेव आंडे (इंदिरा कांग्रेस) 48,012 67.30
वलगांव भाऊ साबले (इंदिरा कांग्रेस) 45,789 66.11
तिवसा चंद्रकांत ठाकुर (निर्दलीय) 41,455 59.84

* विधानसभा क्षेत्र निहाय प्रमुख प्रत्याशियों की स्थिति (हासिल वोट व प्रतिशत)
– अमरावती
सुरेंद्र भुयार (इंदिरा कांग्रेस) 38,507 50.60
मुनीर खान उस्मान खान (जनता पार्टी) 20,296 26.67
उमरलाल केडिया (कांग्रेस) 12,843 16.88
वसंतराव कोल्हटकर (निर्दलीय) 2,837 3.73
नुरुल हसन अ. हसन (निर्दलीय) 431 0.57
हरीभाऊ ब्राह्मने (निर्दलीय) 357 0.47
भाऊराव कोहले (निर्दलीय) 278 0.37
साहेबराव डोंगरे (निर्दलीय) 198 0.26
प्रकाशचंद्र नरसय्या (निर्दलीय) 179 0.24
राधेश्याम चांडक (निर्दलीय) 172 0.23

– बडनेरा
मंगलदास यादव (इंदिरा कांग्रेस) 40,828 58.87
प्रवीण ढेपे (निर्दलीय) 11,908 17.17
गजानन नन्नावरे (रिपा. कवाडे) 7,999 11.53
भालचंद्र दिवानजी (भाकपा) 4,614 6.65
के. बी. श्रुंगारे (रिपाइं) 2,643 3.81
जे. एम. धारिया (निर्दलीय) 591 0.85
यशवंत खंडारे (निर्दलीय) 587 0.85
किसन गुडधे (निर्दलीय) 186 0.27

– दर्यापुर
शंकरराव बोबडे (एफबीएल) 38,021 52.19
वसंत सु. गवई (रिपाइं) 12,678 17.40
रामराव फुटके (पीडब्ल्यूपी) 10,060 13.81
शंकर झोंबाडे (जनता पार्टी) 9,456 12.98
मोहन पाखरे (निर्दलीय) 817 1.12
रामदास गुल्हाने (निर्दलीय) 720 0.99
कृष्णराव पाटिल (रिपा. कवाडे) 344 0.47
गोविंद बिजवे (निर्दलीय) 314 0.43
माणिकराव सावले (निर्दलीय) 270 0.37
गणेशराव पाटिल (निर्दलीय) 165 0.23

– मेलघाट
रामू म्हतांग पटेल (इंदिरा कांग्रेस) 34,998 61.09
हिरालाल स्वर्गे (जनता पार्टी) 14,444 25.21
मोतीराम पटेल (कांग्रेस) 7,849 13.70

– चांदूर रेल्वे
सुधाकर सव्वालाखे (इंदिरा कांग्रेस) 53,622 71.01
अरुण अडसड (जनता पार्टी) 12,656 17.08
शरद तसरे (कांग्रेस) 4,552 6.14
फत्तेसिंग मोरे (निर्दलीय) 2,087 2.82
रामचंद्र चौबे (निर्दलीय) 672 0.91
अंबादास ठोंबरे (निर्दलीय) 619 0.84
काशीनाथ देशमुख (निर्दलीय) 496 0.67
मनोहर कडू (निर्दलीय) 294 0.40
परसराम मेश्राम (निर्दलीय) 111 0.51

– अचलपुर
वामन भोकरे (निर्दलीय) 24,178 30.12
सुदाम देशमुख (भाकपा) 23,446 29.20
नरसिंग देशमुख (कांग्रेस) 10,560 13.15
विनायक कोरडे (निर्दलीय) 9,346 11.64
गंगाधर वाटाणे (जनता पार्टी) 8,535 10.63
किसन वानखेडे (निर्दलीय) 1,795 2.24
भगवंतराव इंगले (निर्दलीय) 1,608 2.00
कमलकिशोर उपाध्याय (निर्दलीय) 389 0.48
प्रभाकर सिसट (निर्दलीय) 215 0.27
शंभूदयाल श्रीवास (निर्दलीय) 212 0.26

– मोर्शी
महादेव आंडे (इंदिरा कांग्रेस) 48,012 67.30
गिरीश गांधी (जनता पार्टी) 9,895 13.87
नागोराव देशमुख (निर्दलीय) 6,868 9.63
मल्हार माहुलकर (कांग्रेस) 3,264 4.57
नरेशचंद्र ठाकरे (पीडब्ल्यूपी) 2,382 3.34
भाऊराव भुजाडे (निर्दलीय) 917 12.29

– वलगांव
भाऊ साबले (इंदिरा कांग्रेस) 45,789 66.11
भगवंत इंगोले (कांग्रेस) 10,259 14.81
विश्वास वानखेडे (निर्दलीय) 6,704 9.68
गणेश पाटिल (निर्दलीय) 2,127 3.07
सुदाम खंडारे (निर्दलीय) 1,980 2.86
पांडुरंग जामनेकर (निर्दलीय) 1,006 1.45
काशीनाथ झगडे (निर्दलीय) 735 1.06
धर्मवीर देशमुख (निर्दलीय) 565 0.82
सैयद सिबतैन (निर्दलीय) 94 0.14

– तिवसा
चंद्रकांत ठाकुर (निर्दलीय) 41,455 59.84
नत्थुजी मंगले (भाकपा) 14,965 21.60
अजाबराव चोरे (जनता पार्टी) 5,127 7.40
उत्तम भोले (कांग्रेस) 4,075 5.88
कृष्णा ठाकरे (निर्दलीय) 3,366 4.86
उषा चौधरी (निर्दलीय) 174 0.25
शे. महबूब शे. रसूल (निर्दलीय) 114 0.16

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