अमरावती

नामसंकीर्तन एवं संत समागम से ही ईश्वर की प्राप्ति निश्चित

जगद्गुरु स्वामी रामराजेश्वराचार्य का कथन, वल्लभगढ़ में श्रीमद् भागवत कथा में उपस्थिति

अमरावती /दि. ९- हरियाणा की पावनभुमी वल्लभगढ़ में महामंडलेश्वर भैयाजी महाराज द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के साथ संत समागम में प्रात:स्मरणीय जगदगुरू रामानंदाचार्य स्वामी रामराजेश्वराचार्यजी समर्थ माऊली सरकार ने अपनी अमृतवाणी से सभी श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया. इस कलिकाल में संत मिराबाई ने भक्ति की मिसाल कायम की, हमेंभी प्राप्त अनमोल मानव जीवन में भगवान की प्राप्ती हेतु एवम जीवन को सार्थक बनाने हेतु भक्तिभाव सेे भजन करना जरूरी है. इस बात को स्वामीजी ने मुख्य रूप से रखा. भजन का मतलब समझाते हुए भ माने भगवन, ज माने जगदीश्वर , न माने नारायण और उसीका नाम सिताराम, ऐसे सिताराम नाम को नित्य स्मरण करना साथ में संतो का समागम करना, संतो का सानिध्य प्राप्त करते रहना ही हमें हमारे मूल उद्देश को हासिल करने का मार्ग है. मनुष्य जीवन की लंबी आयु में हमें केवल नामकरण साल तो मिलते ही कुछ हासिल करनेके लिए और उसको भी हमने यथार्थ भाव से भगवतभक्ती में नहीं लगाया तो भगवान की निकटता प्राप्त नही होगी, इस बात को सदैव स्मरण में रखने के लिए प्रेरित किया. उदघाटन सत्र के पूर्व वल्लभगढ़ में संतो की शोभायात्रा बडी ध्ाूमधामसे निकाली गई. ईस कार्यक्रम में निर्मल पीठाधीश्वर श्री संत ज्ञानदेवजी महाराज, अयोध्या की छावनी से श्री महामंडलेश्वर कमलनयनदासजी महाराज कथा प्रवक्ता, आचार्य श्री धरूमदेवजी, संत ईश्वरदास, महामंडलेश्वर श्री राधे राधे बाबा, अखाडे परिषद के प्रवक्ता गौरीशंकर महाराज, एवम संपूर्ण भारतवर्ष से पधारे संत साधु महंत उपस्थित रहे.

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