अमरावती

मुक्त वसाहत योजना से घरकुल का लाभ

अमरावती/दि.2 – विमुक्त जाति व भटक्या जनजाति के हमेशा ही इधर से उधर स्थलांतरीत होने वाले लोगों को विकास की मुख्य धारा में लाने, उनके जीवनस्तर को उंचा उठाने और उन्हें स्थिरता प्राप्त करवाने हेतु उन्हें जमीन उपलब्ध करवाते हुए वहां पर वसाहत बनाकर देने और उन्हें आर्थिक रुप से स्वयंपूर्ण बनाने हेतु राज्य सरकार ने यशवंतराव चव्हाण मुक्त वसाहत योजना शुरु की है. जिसका संबंधितों द्बारा लाभ लेते हुए अपना खुदका घरकुल प्राप्त किया जा सकता है और भटकंती को रोककर अपने जीवन को स्थिरता प्रदान की जा सकती है.

* योजना की शर्तें
लाभार्थी परिवार विमुक्त जाति-भटक्या जनजाति इस मूल प्रवर्ग से वास्ता रखने के साथ ही गांव-गांव भटककर अपनी आजीविका चलाने वाला होना चाहिए.

* कैसे करें आवेदन
इस योजना के आवेदन का प्रारुप सामाजिक न्याय विभाग में उपलब्ध है. इसके साथ ही सामाजिक न्याय विभाग की वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन किया जा सकता है.

* क्या है योजना
गरीब लोगों के लिए अपने दम पर अपना घर बनाना कदापि संभव नहीं है. ऐसे में आर्थिक रुप से दुर्बल घटक के परिवारों को इस योजना के जरिए घर बनाकर दिया जाता है. यहीं इस योजना का प्रमुख उद्देश्य है. ताकि इस जरिए नागरिकों के जीवनस्तर को उंचा उठाया जा सके.

* घरकुल के लिए कितना अनुदान मिलता है
लाभार्थियों को इस योजना के तहत सामूहिक एवं व्यक्तिगत तौर पर लाभ देने का प्रयास किया जा रहा है.
– पर्वतीय क्षेत्र वाले लाभार्थियों को 1.30 लाख एवं सर्वसाधारण क्षेत्र के लाभार्थियों को 1.20 लाख रुपए का अनुदान दिया जाता है.

* कौनसे दस्तावेज है आवश्यक
जाति प्रमाणपत्र, अधिवास प्रमाणपत्र, अपने नाम पर जमीन नहीं रहने का प्रमाणपत्र तथा सरपंच व पुलिस पाटिल का प्रमाणपत्र आदि दस्तावेज जरुरी होते है.

* साल भर में 374 लोगों को घरकुल
अमरावती जिले में 1981 प्रस्ताव प्रस्तूत किए गए, जिसमें से 374 लाभार्थियों को इस योजना का लाभ दिया गया. वहीं 1607 प्रस्ताव प्रलंबित है.

* 2 वर्ष से नहीं मिली निधि
– विगत 2 वर्ष से निधि की किल्लत चल रही है. जिसका परिणाम इस योजना पर भी पडा है.
– इस योजना के तहत 1607 घरकुलों के लिए 20 करोड 5 लाख रुपए की मांग का प्रस्ताव भेजा गया है.

इस योजना का नियमानुसार लाभ दिया जाता है. जिसके लिए पात्र व्यक्तियों से आवेदन मंगाए जाते है. साथ ही संबंधित योजना के लाभ हेतु नागरिकों में आवश्यक जागृति भी की जाती है.
– माया केदार,
उपायुक्त, सामाजिक न्याय विभाग

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