शिक्षकों पर बढा अशैक्षणिक कामों का बोझ, विद्यार्थियों को कब पढाएं
अमरावती /दि.26– बच्चों को नि:शुल्क व अनिवार्य शिक्षा अधिकार अधिनियम है. परंतु इस कानून के अनुसार विद्यार्थियों को सच में पढाई-लिखाई का लाभ मिलता है अथवा नहीं, यह अपने आप में सबसे बडा सवाल है. क्योंकि बच्चों को पढाने वाले शिक्षकों पर अशैक्षणिक कामों का बोझ बढ जाने के चलते विद्यार्थियों का कक्षा में उपस्थित रहकर कब पढाया जाए, इस सवाल से सभी शिक्षक जुझ रहे है.
बता दें कि, बच्चों को पढाने-लिखाने हेतु नियुक्त शिक्षकों पर सरकारी उपक्रम, जनजागृति, निरक्षरों व मजदूरों का सर्वेक्षण व मतदाता सूची जैसे काम लाद दिए जाते है. साथ ही दो माह में 5 से 6 टेस्ट यानि परीक्षाएं लेने की भी जिम्मेदारी है. शैक्षणिक उपक्रमों के लिए स्विफ्ट एप, विनोबा एप, एमजीएम एप, स्टूडंट पोर्टल एवं यू डायस प्लस जैसे ऑनलाइन माध्यमों का प्रयोग करना पडता है. जिसके चलते शिक्षकों को इन ऑनलाइन एप व पोर्टल का भी अध्ययन करना आवश्यक हो गया है. इससे पहले शिक्षकों पर शैक्षणिक कामों के अलावा आपत्ति व्यवस्थापन व जनगणना जैसे कामों का ही जिम्मा सौंपा जाता था. परंतु विगत कुछ वर्षो के दौरान शिक्षकों पर अशैक्षणिक कामों का बोझ लगातार बढता जा रहा है. ऐसे में शिक्षकों का पूरा समय इन्हीं तरह के अशैक्षणिक कामों में खर्च हो जाता है. और वे अपनी शाला में पढने वाले बच्चों की पढाई-लिखाई पर ध्यान नहीं दे पाते.
* जिले में 1580 जिप शालाएं
जिले की 14 तहसीलों में जिला परिषद के प्राथमिक शिक्षा विभाग के अख्तियार वाली 1 हजार 580 शालाएं है. जिसमें 897 प्रायमरी, 658 उच्च प्राथमिक तथा 49 उच्च माध्यमिक शालाओं का समावेश है.
* 1.26 लाख विद्यार्थी
जिला परिषद के प्राथमिक शिक्षा विभाग द्बारा संचालित की जाने वाली प्राथमिक शालाओं में करीब 1 लाख 26 हजार 696 विद्यार्थी प्रवेशित है.
* 350 पद रिक्त
जिप के प्राथमिक शिक्षा विभाग द्बारा जिले की 14 तहसीलों में चलाई जाने वाली 1 हजार 580 प्राथमिक शालाओं में कुल 5 हजार 158 पद मंजूद है. जिसमें से प्राथमिक शिक्षकों को 350 पद रिक्त है.
* अब विविध एप्स का प्रशिक्षण लेना जरुरी
राज्य के शिक्षा विभाग द्बारा शैक्षणिक कामों के लिए दिए जाने वाले एप्स को कैसे चलाया जाए और उसमें आवश्यक जानकारी कैसे भरी जाए. इसकी जानकारी सभी शिक्षकों को प्रशिक्षण के जरिए दी जाने वाली है.
इसके लिए सभी शिक्षकों को अपने-अपने मोबाइल में संबंधित एप डाउनलोड करना है. परंतु कई शिक्षकों के मोबाइल में अब तक एप ही डाउनलोड नहीं हुए है और अब तक उन्हें इसका प्रशिक्षण भी नहीं मिला है. जिसके चलते शिक्षकों के लिए इस तरह के एप व पोर्टल का फी सिरदर्द साबित हो रहे है.
* शिक्षकों के जिम्मे रहने वाले काम
– प्रवेशोत्सव
जिला परिषद की शालाओं में प्रतिवर्ष नया शैक्षणिक सत्र शुरु होने से पहले शाला की कक्षा पहली में नये विद्यार्थियों के प्रवेश हेतु प्रयास किए जाते है. जिसके लिए शिक्षकों को गर्मी की छुट्टियों के दौरान अपनी शाला के आसपास वाले क्षेत्रों में 5 व 6 वर्ष आयु वाले बच्चों की तलाश में घुमना पडता है. इसके अलावा शैक्षणिक सत्र शुरु होने वाले दिन यानि शैक्षणिक सत्र के पहले दिन शाला में विविध उपक्रम चलाते हुए प्रवेशोत्सव कार्यक्रम की जिम्मेदारी भी पूरी करनी पडती है.
– पुस्तक व गणवेश वितरण
राज्य सरकार द्बारा जिला परिषद, नगर परिषद व महानगरपालिका की शालाओं में पढने वाले छात्र-छात्राओं को नि:शुल्क पाठ्यपुस्तकें उपलब्ध कराई जाती है. इसके अलावा नि:शुल्क गणवेश भी प्रदान किया जाता है. इसकी जिम्मेदारी भी शाला स्तर पर शाला व्यवस्थापन समिति, मुख्याध्यापकों व शिक्षकों को ही उठानी पडती है.
– मतदाता पंजीयन
प्रतिवर्ष निर्वाचन विभाग द्बारा मतदाता पंजीयन पुनर्रिक्षण कार्यक्रम चलाया जाता है. इसके लिए भी शिक्षकों पर भी जिम्मेदारी सौंपी जाती है. शिक्षकों को गांवस्तर पर मतदाता पंजीयन हेतु बीएलओ के तौर पर कामकाज करना होता है.
– आधार अपडेट
जिप शालाओं में पढाई करने वाले विद्यार्थियों के आधार को स्टूडंट पोर्टल पर अपलोड करने तथा उनके आधार कार्ड में दुरुस्ती करने जैसे कामों की जिम्मेदारी भी शिक्षकों पर ही होती है.
– परीक्षा परिणाम व प्रगती रिपोर्ट
शाला में पढने वाले विद्यार्थियों की विविध परीक्षाएं लेने और उन परीक्षाओं की उत्तर पुस्तिकाओं की जांच करते हुए परीक्षा परिणाम तथा विद्यार्थियों की प्रगती रिपोर्ट तैयार करने का काम भी शिक्षकों को ही करना होता है.
– निरक्षर सर्वेक्षण
शिक्षा विभाग द्बारा निरक्षरों के सर्वेक्षण की जिम्मेदारी भी शिक्षकों पर ही सौंपी गई है. जिसके चलते निरक्षर सर्वेक्षण के साथ ही अन्य शैक्षणिक काम भी शिक्षकों को ही करने पडते है.
* क्या कहते है शिक्षक संगठनों के पदाधिकारी?
सरकार ने विविध शैक्षणिक कामों के लिए शिक्षकों को अलग-अलग एप व पोर्टल चलाने हेतु कहा है. इन एप व पोर्टल का शिक्षकों को अपने मोबाइल में प्रयोग करना है. वहीं दूसरी ओर अंगणवाडी सेविकाओं व पटवारियों को सरकार की ओर से मोबाइल देने के साथ ही रिचार्ज के लिए पैसे भी दिए जाते है. ऐसी कोई सुविधा शिक्षकों को नहीं दी जाती. वहीं ग्रामीण एवं दुर्गम क्षेत्रों में स्थित शालाओं में मोबाइल के लिए इंटरनेट की रेंंज ही नहीं रहने के चलते ऐसे एप व पोर्टल पर काम करना मुश्किल हो गया है.
– किरण पाटील,
राज्य उपाध्यक्ष,
अभा प्राथमिक शिक्षक संघ
सरकार ने शिक्षकों को शैक्षणिक कामों के लिए 3 से 4 अलग-अलग तरह के एप्स का प्रयोग करने हेतु कहा है. जिसके लिए हमें हमारे ही मोबाइल का प्रयोग करना होता है. परंतु प्रत्येक एप्स 12 से 14 जीबी के आसपास होता है, जिसे मोबाइल पर डाउनलोड करने में काफी दिक्कतें होती है. निजी कंपनियों के एप्स देकर शिक्षकों के पीछे नाहक ही अतिरिक्त काम लगाए गए है.
– राजेश सावरकर,
राज्य प्रतिनिधि,
प्राथमिक शिक्षक समिति.