दो बडी अदालतों के चक्कर में लटका पडा है नवाथे मल्टीप्लेक्स का मामला
हाईकोर्ट द्वारा दी गई तत्कालीक व्यवस्था के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर हुई है याचिका
* अब हाईकोर्ट के साथ ही सुप्रीम कोर्ट में भी मामला विचाराधीन
अमरावती/दि.6– स्थानीय नवाथे परिसर में रेल्वे क्रॉसिंग के पास मनपा की खाली पडी जमीन पर मनपा द्वारा बनाये जानेवाले कमर्शिअल कॉम्प्लेक्स व मल्टीप्लेक्स का मामला अब और भी अधिक दूर की कौडी बन गया है, क्योेंकि अब तक इस मामले को लेकर केवल हाईकोर्ट में ही सुनवाई चल रही थी. किंतु अब मामले की सुनवाई के दौरान नया टेंडर बुलवाने को लेकर हाईकोर्ट द्वारा दी गई तत्कालीक व्यवस्था के खिलाफ याचिकाकर्ता व पुरानी ठेकेदार कंपनी द्वारा सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगायी गई है. ऐसे में अब यह मामला दो-दो बडी अदालतों के समक्ष विचाराधीन है. जिसका हाल-फिलहाल कोई हल निकलने की संभावना नहीं दिखाई दे रही.
बता दें कि, वर्ष 2005 में अमरावती महानगरपालिका द्वारा नवाथे मल्टीप्लेक्स के लिए निविदा प्रक्रिया चलाई गई थी और श्रीराम बुलिकॉन लिमिटेड नामक कंपनी द्वारा नवाथे परिसर की 8 हजार 100 स्क्वेअर मीटर जमीन पर कमर्शिअल कॉम्प्लेक्स व मल्टीप्लेक्स बनाने का टेंडर हासिल किया गया था. जिसके बाद इस कंपनी को तमाम तरह की एनओसी मुहैया कराने की जिम्मेदारी खुद महानगरपालिका पर थी. विशेष उल्लेखनीय है कि, जहां किसी भी आम इमारत के लिए स्थानीय स्तर पर ही ना-हरकत प्रमाणपत्र प्राप्त करने होते है. वहीं किसी भी मल्टीप्लेक्स के लिए राज्य के गृह मंत्रालय से भी ना-हरकत प्रमाणपत्र प्राप्त करना जरूरी होता है. जिसमें इमारत के प्रवेश द्वार व निकासी द्वार पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाता है. किंतु महानगर पालिका इस कंपनी को सभी आवश्यक ना-हरकत प्रमाणपत्र दिलाने में नाकाम रही. ऐसे में नवाथे मल्टीप्लेक्स के काम का ठेका प्राप्त करनेवाली श्रीराम बुलिकॉन लिमिटेड आवश्यक प्रमाणपत्रों के अभाव में काम ही शुरू नहीं कर पायी. बल्कि यह भी कहा जा सकता है कि, इस कंपनी को खुद अमरावती महानगरपालिका ने ही काम नहीं शुरू करने दिया. इसी दौरान काम शुरू होने में हो रहे विलंब के चलते अमरावती महानगरपालिका द्वारा ठेकेदार कंपनी की ओर से दी गई बैंक गारंटी को जप्त करने का कदम उठाया गया. ऐसे में श्रीराम बुलिकॉन लिमिटेड द्वारा इसके खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर की गई थी. पश्चात हाईकोर्ट ने मनपा आयुक्त को पूरे मामले में ध्यान देते हुए इसकी समीक्षा करने और काम को आगे बढाने का निर्देश दिया. जिसके उपरांत तत्कालीन आयुक्त अरूण डोंगरे ने कुछ हद तक सामंजस्यपूर्ण भूमिका अपनाते हुए काम को आगे बढाने का प्रयास किया. किंतु इसी बीच आयुक्त डोंगरे का तबादला हो गया और तब से लेकर अब तक यह काम पूरी तरह से रूका हुआ है. जिसे लेकर आरोप लगाया गया है कि, अरूण डोंगरे के बाद अमरावती मनपा में आयुक्त के पद पर आये अधिकारी शायद राजनीतिक दबाव में आ गये और वे इस काम को लेकर आगे कुछ भी नहीं कर पाये. इस बात की ओर भी श्रीराम बुलिकॉन लिमिटेड कंपनी द्वारा हाईकोर्ट का ध्यान दिलाया गया है. ऐसे में हाईकोर्ट ने अमरावती महानगरपालिका के दो तत्कालीन आयुक्तों द्वारा इस मामले में किये गये काम की जांच के आदेश संभागीय आयुक्त पीयूष सिंह व तत्कालीन जिलाधीश शैलेश नवाल को दिये थे. वहीं इस बीच हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई जारी रहते समय अपने आदेश में एक तत्कालीक व्यवस्था दी. जिसके तहत कहा गया कि, अमरावती महानगरपालिका नवाथे मल्टीप्लेक्स के निर्माण हेतु नये सिरे से टेंडर बुलवाये और किसी नये ठेकेदार की इस काम हेतु नियुक्ति करे. वहीं दूसरी ओर पुराने ठेकेदार की अपील पर अदालत में सुनवाई जारी रहेगी और यदि अंतिम फैसला पुरानी ठेकेदार कंपनी यानी श्रीराम बुलिकॉन लिमीटेड के पक्ष में जाता है, तो यह ठेका अपने आप श्रीराम बुलिकॉन लिमीटेड कंपनी को सुपुर्द हो जायेगा और उस स्थिति में नई ठेकेदार कंपनी का इस काम पर कोई क्लेम नहीं बचेगा. साथ ही हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि, उसके आदेश पर अमरावती मनपा के दो तत्कालीन आयुक्तों की जांच जारी रहेगी और जांच की रिपोर्ट के आधार पर राज्य सरकार द्वारा संबंधित अधिकारियों के संदर्भ में कोई फैसला लिया जाये.
ऐसे में अपनी याचिका पर अंतिम सुनवाई व फैसला प्रलंबित रहने के दौरान ही हाईकोर्ट द्वारा अमरावती मनपा को नये सिरे से निविदा प्रक्रिया शुरू करने और नये ठेकेदार की नियुक्ति कर काम की शुरूआत करने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था दिये जाने को पुरानी ठेकेदार कंपनी श्रीराम बुलिकॉन लिमीटेड द्वारा सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. जिसमें कहा गया है कि, श्रीराम बुलिकॉन लिमीटेड ने वर्ष 2005 में तमाम नियमों व शर्तों का पालन करते हुए यह ठेका हासिल किया था, ऐसे में इस ठेके पर वैध रूप से अब भी उसका ही दावा है और उसकी बैंक गारंटी अब भी अमरावती महानगर पालिका के पास है. अत: मामले की सुनवाई पूरी होने तक यह ठेका किसी अन्य को नहीं दिया जा सकता है. साथ ही यदि हाईकोर्ट द्वारा दी गई वैकल्पिक व्यवस्था के तहत यह ठेका किसी अन्य कंपनी को दे भी दिया जाता है और आगे चलकर यदि हाईकोर्ट का फैसला श्रीराम बुलिकॉन लिमीटेड के पक्ष में आता है, तो नई ठेकेदार कंपनी को बीच में से हटाकर उसके द्वारा किये गये काम को आगे बढाने या नई कंपनी के दावों का सेटलमेंट करने में भी कई तरह की कानूनी व तकनीकी दिक्कतेें पेश आयेगी. अत: हाईकोर्ट द्वारा दी गई वैकल्पिक व्यवस्था को निरस्त किया जाये.
ऐसे में अब श्रीराम बुलिकॉन लिमीटेड की याचिका हाईकोर्ट के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट के समक्ष भी विचाराधीन है और दोनों ही स्थानों पर मामले की सुनवाई प्रलंबीत रहने के चलते नवाथे मल्टीप्लेक्स के निर्माण का मसला अधर में लटका हुआ है.
* पीएमसी की तलाश पर भी उठेगी सवालों की उंगलिया
उधर दूसरी ओर हाईकोर्ट द्वारा दी गई वैकल्पिक व्यवस्था से उत्साहित होकर अमरावती महानगरपालिका द्वारा जहां एक ओर नवाथे मल्टीप्लेक्स के निर्माण हेतु ठेकेदार कंपनी का चयन करने नये सिरे से निविदा प्रक्रिया चलाने की तैयारी की जा रही है. वहीं दूसरी ओर नवाथे परिसर में अपनी मिल्कीयत रहनेवाली 8 हजार 100 स्क्वेअर फीट क्षेत्रफल की जमीन पर किस तरह का कमर्शियल कॉम्प्लेक्स व मल्टीप्लेक्स साकार किया जाये, यह तय करने हेतु प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कन्सलटंट यानी पीएमसी की भी तलाश की जा रही है, लेकिन मनपा द्वारा इस काम के लिए की जानेवाली पीएमसी की तलाश पर भी अब सवाल उठाये जा रहे है. जिसके तहत पूछा जा रहा है कि, जब एक ओर महानगरपालिका की आर्थिक स्थिति पहले ही बेहद खस्ताहाल है, तो ऐसी स्थिति में करोडों रूपयों का खर्च करते हुए पीएमसी को नियुक्त करने की क्या जरूरत है. क्योेंकि पीएमसी द्वारा मनपा के ही कर्मचारियों व संसाधनों का प्रयोग करते हुए नवाथे परिसर में किस तरह का कमर्शिअल कॉम्प्लेक्स व मल्टीप्लेक्स बनना है, इसका नक्शा तैयार किया जायेगा. जिसकी ऐवज में कन्सलटंसी के नाम पर करोडों रूपयों की फीस ली जायेगी. चूंकि नवाथे मल्टीप्लेक्स का निर्माण बीओटी यानी ‘बिल्ड, ऑपरेट एन्ड ट्रान्सफर’ के तत्व पर होना है. ऐसे में मनपा को अधिक से अधिक किराया दिलाने और अपनी लागत जल्द से जल्द निकालने के लिहाज से निर्माण कार्यों का प्रदीर्घ अनुभव रहनेवाली ठेकेदार कंपनी के साथ बैठकर खुद मनपा प्रशासन द्वारा नवाथे मल्टीप्लेक्स का नक्शा ुफाईनल किया जाना चाहिए. ऐसा करने से कन्सलटंसी के नाम पर होनेवाला करोडों रूपयों का खर्च भी बचेगा.
* विधानमंडल में भी प्रलंबित है ‘एलएक्यू’
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, इससे पहले अमरावती संभाग के शिक्षक विधायक रहनेवाले प्रा. श्रीकांत देशपांडे ने इस मामले को लेकर विधान परिषद में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पेश किया था. किंतु विगत लंबे समय से यह ध्यानाकर्षण प्रस्ताव विधान मंडल में प्रलंबीत है और पिछली व मौजूदा सरकारों द्वारा इस ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर कोई ध्यान नहीं दिया गया. जिसके चलते यह प्रस्ताव सरकार के समक्ष भी अधर में लटका हुआ है.
* 23 अप्रैल को जारी हुए हैं पीएमसी टेंडर
बता दें कि, नवाथे मल्टीप्लेक्स निर्मिति का प्रकल्प नये सिरे से तैयार करने के लिए पीएमसी (प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग कमिटी) नियुुक्ति के लिए मनपा प्रशासन द्बारा विगत 23 अप्रैल को टेंडर जारी किए गये. यह टेेंडर प्रक्रिया अभी अंतिम चरण में रहने की जानकारी निगमायुक्त तथा प्रशासक डॉ. प्रवीण आष्टीकर ने दी. जो नई पीएमसी नियुक्त होंगी उसके माध्यम से नवाथे मल्टीप्लेक्स का प्रोजेक्ट तैयार कराने का नियोजन मनपा प्रशासन द्बारा किया गया है.