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लगातार विवादों के घेरे में है आईआईएमसी का केंद्र

केंद्र सरकार द्वारा बंद किया जा सकता है सेंटर

अमरावती/दि.21– जिस समय मूलत: अमरावती से वास्ता रखनेवाली श्रीमती प्रतिभाताई पाटील देश की प्रथम राष्ट्रपति निर्वाचित होकर देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर विराजमान हुई, तब अमरावती शहर व जिले के हिस्से में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां आयी. जिनमें मॉडल रेलवे स्टेशन, रेलवे वैगन कारखाने, भारत डायनामिक के मिसाईल कारखाने सहित अमरावती से मुंबई व तिरूपति के लिए चलाई जानेवाली ट्रेनों का समावेश रहा. इन्हीं उपलब्धियोें में भारतीय जनसंचार विभाग द्वारा चलाये जानेवाले जनसंचार विभाग के प्रादेशिक केंद्र का भी समावेश था. जिसके तहत संत गाडगेबाबा अमरावती विद्यापीठ में स्थित डॉ. श्रीकांत जिचकार भवन में इंडियन इन्स्टिटयूट ऑफ मास कम्युनिकेशन यानी आईआईएमसी का केंद्र खोला गया. जहां पर मराठी व अंग्रेजी भाषा में पत्रकारिता का पाठ्यक्रम पढाया जाता है. किंतु यह महत्वपूर्ण उपलब्धि इन दिनों स्तरहीन राजनीति और विवादों के घेरे में घिरती नजर आ रही है. जिसके चलते बहुत संभव है कि, केंद्र सरकार द्वारा इस सेंटर को हमेशा-हमेशा के लिए बंद करवा दिया जाये, ऐसे संकेत लगातार मिल रहे है.
बता दें कि, पत्रकारिता के क्षेत्र में छात्रों के समक्ष आदर्श प्रस्तुत करने की जिम्मेदारी रखनेवाले आईआईएमसी में इन दिनों केंद्र संचालक व यहां के फैकल्टी यानी प्राध्यापकों के बीच बेवजह की बातों को लेकर बिना वजह का विवाद बना हुआ है और यह स्थिति विगत लंबे समय से चली आ रही है. कई बार यह विवादास्पद स्थिति प्राध्यापकों व विद्यार्थियों के बीच भी बन जाती है. ऐसे ही किसी विवाद को लेकर आईआईएमसी से वास्ता रखनेवाले प्राध्यापक द्वारा फ्रेजरपुरा पुलिस थाने में केंद्र संचालक के खिलाफ शिकायत दर्ज करायी गई. वहीं इसे अनुशासनहीनता मानते हुए केंद्र संचालक द्वारा संबंधित प्राध्यापक को निलंबीत कर दिया गया. ऐसे में यहां पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर काफी तेज है. अत: आये दिन पैदा होनेवाले विवाद को देखते हुए अब इस केंद्र को हमेशा के लिए बंद करने के पर्याय पर ही विचार किया जा रहा है. यदि ऐसा होता है, तो यह पत्रकारिता क्षेत्र की पढाई करने और पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्य करने के इच्छुक विद्यार्थियों के लिए काफी नुकसानवाली बात होगी.
बता दें कि, राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के कार्यकाल के दौरान अमरावती के वैभव को बढ़ाते हुए, 2011 में यहां एक प्रतिष्ठित भारतीय जनसंचार संस्थान शुरू किया गया था. हालांकि, पिछले कई दिनों से व्यक्तिगत विवादों के गिरते स्तर, रुके हुए विकास और छात्रों के नुकसान को देखते हुए सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने इन क्षेत्रीय केंद्रों को बंद करने के लिए एक जोरदार प्रयास शुरू किया है. अमरावती के वैभव को 2011 में अमरावती विश्वविद्यालय के परिसर में भारतीय जनसंचार संस्थान के एक क्षेत्रीय केंद्र की स्थापना से बढ़ाया गया था, ताकि पत्रकारिता के क्षेत्र को सशक्त बनाकर लोकतंत्र को और मजबूत किया जा सके, जो लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है. मराठी और अंग्रेजी पत्रकारिता को और अधिक सक्षम बनाने का काम चल रहा है, लेकिन केंद्र का अविकसित विकास, छात्रों का इलाज, संविदा शिक्षक की गोपनीय जानकारी का संग्रह, संस्था विरोधी कार्रवाई के कारण विवाद का केंद्र बन गया है. सूचना और प्रसारण विभाग ने विदर्भ में पत्रकारिता और शिक्षा के क्षेत्र में बड़े शहरों में केंद्र को स्थानांतरित करने या बंद करने के विकल्प के साथ एक जोरदार प्रयास शुरू किया है, जिसके तहत आईआईएमसी को छात्रों और पत्रकारिता के लिए अनुपयोगी बनाने के लिए दोषी ठहराया जा रहा है.
ज्ञात रहे कि, अमरावती में भारतीय जनसंचार संस्थान का पश्चिमी क्षेत्रीय केंद्र अंग्रेजी पत्रकारिता के लिए वर्ष 2011 में शुरू किया गया था. वहीं यहां पर मराठी पत्रकारिता पाठ्यक्रम की शुरुआत वर्ष 2017 में हुई थी. दोनों पाठ्यक्रमों के लिए देशभर से 17-17 छात्रों का चयन किया जाता है. इस साल पहली बार मराठी के लिए 16 और अंग्रेजी के लिए 13 छात्रों का दाखिला हुआ है. अमरावती विश्वविद्यालय के डॉ. श्रीकांत जिचकर भवन के एक हॉल में बहुत ही कम जगह में संस्थान संचालित हो रहा है और इसे ध्वस्त करने के लिए अब तक विश्वविद्यालय कई नोटिस जारी कर चुका है.
जानकारी के मुताबिक 2016 में भारतीय जनसंचार संस्थान में मराठी पत्रकारिता पाठ्यक्रम शुरू होने के बाद एक छात्र और एक (महिला) शिक्षक के बीच तूफान आ गया. कर्मचारी देवानंद गाडलिंग का 2020 में असामयिक निधन, दो साल पहले नवनियुक्त क्षेत्र निदेशकों की नियुक्ति को लेकर आंतरिक राजनीति से भड़की स्थिति, दो साल पहले नवनियुक्त फील्ड निदेशक की नियुक्ति और केंद्रीय संस्थान से गोपनीय जानकारी व्हायरल करने को लेकर जारी कारण बताओ नोटिस को खारिज करने को लेकर पुलिस में शिकायत दर्ज होने के बाद संस्थान फिर विवादों में घिर गया है. इससे शिक्षा प्रभावित हो गई है. जिसके चलते मराठी, अंग्रेजी पत्रकारिता विद्यार्थी में भी चिंता की स्थिति दिख रही है.

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