अमरावती

‘द चेंज मेकर’ को राजस्तरीय वाड:मय पुरस्कार

अनाथों के नाथ शंकरबाबा पहुंच रहे घर-घर

* स्व. सुर्यकांतादेवी पोटे वाड:मय पुरस्कार जाहीर
अमरावती/दि.19 – जिले के वझ्झर स्थित आश्रम में 125 मतीमंद अनाथ युवक-युवतियों का पालन पोषण कर रहे अनाथों के नाथ शंकरबाबा पापलकर पर लिखित द चेंज मेकर पुस्तक को स्व. सुर्यकांतादेवी पोटे वाड:मय पुरस्कार 2021 यह राज्यस्तरिय पुरस्कार घोषित किया गया है. इस पुस्तक को शासन स्तर पर स्वाधिनता के अमृत महोत्सव पर्व पर आयोजित पंचायत समिति पोभुर्णा द्बारा वाड:मय सम्मान पुरस्कार दिया गया है. अब इस किताब को राज्यस्तरीय स्व. सुर्यकांतादेवी पोटे वाड:मय पुरस्कार घोषित होने से शंकरबाबा के कार्य समूचे राज्य में घर-घर पहुंच रहे है. द चेंज मेकर की प्रथम आवृत्ती को भारी प्रतिसाद मिलने के बाद अब इस किताब के दुसरी आवृत्ती का काम शुरु है. इससे शंकरबाबा के कार्यों की झलक दिखती है.
एक बार मां-बाप बनना आसान है, लेकिन दिव्यांग बच्चों का पालक होना आसान नहीं है. सैकडों मतीमंद अनाथ बच्चों का पालकत्व स्विकार कर उनका पालन-पोषण करने का यज्ञ शंकरबाबा ने प्रज्वलित किया है. यह किसी चमत्कार से कम नहीं है. वर्ष 1990 में वैराग्यमूर्ति संत गाडगे बाबा की प्रेरणा से गोपाला शिक्षण संस्था की स्थापना कर शंकरबाबा ने सेवाकार्य शुरु किया. अब वहीं संस्था वटवृक्ष बन गई है. समाज द्बारा बहिष्कृत, नदी किनारे, मंदिर के बाहर छोड दिये गये अनाथ दिव्यांग बच्चों को उठाकर उन्होंने अपने संस्था में जगह दी. सैकडों मतीमंद बच्चें आज उनकी छत्रछाया में अपना जीवन प्रकाशमान कर रहे है. लेकिन 18 वर्ष आयु के बाद उन सभी दिव्यांग मतीमंद बच्चों का क्या? यह सवाल शंकरबाबा को आज भी सता रहा है. शंकरबाबा जो कार्य कर रहे है, वह सभी तक पहुंचाने के लिए प्रदिप चौधरी ने द चेंज मेकर यह किताब लिखी है. इस किताब में शंकरबाबा को लेकर प्रसिद्ध लेख संकलित कर उनका प्रकाशन किया गया है. उसी किताब को अब राज्यस्तरीय स्व. सुर्यकांतादेवी रा. पोटे वाड:मय पुरस्कार 2021 से सम्मानित किया जा रहा है.

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