अमरावती

पीसे हुए आटे की चपाती ही स्वास्थ्य के लिए उत्तम पर्याय

पैकिंग की बजाय घर के अनाज का आटा फायदेमंद

अमरावती-/दि.10 पहले हरएक के आहार में नैसर्गिक अनाज का समावेश होता था. लेकिन आज आधुनिकीकरण के युग में प्रत्येक खाद्य पदार्थ पर किसी न किसी प्रकार की प्रकार की प्रक्रिया की जाती है. आज का अनाज यानि रासायनिक रंग, रसायन, अधिक पैमाने पर शक्कर व प्रक्रिया किये हुए तेल आदि ठूसकर भरे रहते हैं. गत कुछ वर्षों में शहरी भागों के घरों में चक्की से लाये गए आटे की जगह रेडिमेड आटे ने लिये जाने से अब स्वास्थ्य को धोखा होने का निरीक्षण आहार तज्ञों ने किया है.
एक ओर भागदौड़ भरे जीवन में नौकरी करने वाले घरेलु अनाज से आटा पिसवाकर लाना टालते हैं. लेकिन पैकिंग में आने वाला आटा स्वास्थ्य के लिए कितना फायदेमंद है, इस बाबत जानकारी न लेते हुए बिनधास्त होकर इसका इस्तेमाल करते हैं. जिसके चलते स्वास्थ्य की दृष्टि से घरेलु अनाज से आटा चक्की के माध्यम से पिसवाकर लाया गया आटा कभी भी फायदेमंद होने की बात कही जा रही है.
इस मौसम में पिसवाकर लाया गया आटा 20 से 22 दिन अच्छा रहता है. आटा कम पिसवाकर लाना चाहिए. वातावरण के कारण आटा खराब होने की संभावना रहती है. ठंड के दिनों में आटा चक्की से पिसवाया गया आटा महीनेभर अच्छा रह सकता है.
पैकिंग किया हुआ आटा अच्छा रहने की कालावधि अधिक समय तक होती है. क्योंकि इस पर प्रक्रिया की गई होती है. लेकिन प्रक्रिया किये जाने से स्वास्थ्य की दृष्टि से हानिकारक है. आटा अधिक दिनों तक अच्छा रहे,इसके लिए बेंझोयल्पर ऑक्साइड यह रसायन फ्लोअर इंप्रुव्हर के रुप में भी इस्तेमाल किया जाता है. रेडिमेड रसायन इस्तेमाल की अनुमति मर्यादा चार मिलिग्राम है, लेकिन आटा तैयार करने वाली कंपनियां 400 मिलीग्राम तक इस रसायन का इस्तेमाल करती है. पीस कर लाये गए आटे में भरपूर पैमाने पर फायबर्स एवं मिनरल्स होते है. अन्न पचन के लिए फायबर की मदद होती है. साथ ही खून में शक्कर का प्रमाण कम होता है. गेहूं के आटे में विटामिन ई व बी कॉम्प्लेक्स होता है. यह पोषकतत्व अन्न पचन में त्वचा व बालों का स्वास्थ्य सुधारने में मदद करते हैं. इसके लिए पीसकर लाया गया आटा फायदेमंद होता है.

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