मामला न्यायप्रविष्ठ रहने से आयुक्त ने कहना टाला
हाऊस टैक्स को लेकर कृति समिति के साथ निगमायुक्त ने की चर्चा
* संपत्ति धारको का मूल्यांकन निश्चित कर समाधान होना चाहिए
* नागरिक कृति समिति की सचिन कलंत्रे से मांग
अमरावती/दि. 26 – मनपा परिक्षेत्र के संपत्ति धारकों पर लगाए गए बेतहाशा टैक्स के विरोध में आज अमरावती नागरिक कृति समिति के प्रतिनिधि मंडल ने मनपा आयुक्त सचिन कलंत्रे से मुलाकात कर गहन चर्चा की. यह प्रकरण मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में न्यायप्रविष्ठ रहने से मनपा आयुक्त ने ज्यादा कुछ कहने से इंकार किया. लेकिन मनपा प्रशासन के इस निर्णय के कारण फैले असंतोष को देखते हुए संपत्ति धारकों का टैक्स मूल्यांकन निश्चित करते समय समाधान होना चाहिए, इस बाबत उन्हें ज्ञापन सौंपा गया.
नागरीक कृति समिति के मुन्ना राठोड, पूर्व नगरसेविक रश्मी नावंदर, समीर जवंजाल, प्रवीण डांगे, देवा राठोड, संजय गवाले, जनार्दन अलसपुरे सहित सभी सदस्यों ने मनपा आयुक्त कलंत्रे के साथ हुई बैठक में बताया कि, तत्कालीन आयुक्त व प्रशासक ने मनपा क्षेत्र के सभी संपत्ति का सर्वेक्षण व मूल्यांकन करनेबाबत 20 जून 2022 को निजी कंपनी नियुक्त करने के लिए निविदा प्रकाशित की थी. यह निविदा प्रक्रिया करते समय तत्कालीन आयुक्त और कर अधीक्षक ने इस निविदा में स्थापत्य कंपनी को ठेका देने का पहले ही षडयंत्र रचा था और स्थापत्य कंसलटंट एनटीएस इंडिया प्रा. लि. कंपनी की निविदा को मंजूरी दी गई. कुल 2 लाख 30 हजार संपत्ति का सर्वेक्षण मूल्यांकन का ठेका दिया गया. इस कंपनी ने प्रत्येक संपत्ति के 775 रुपए के मुताबिक दर निश्चित किए है. लेकिन यह कंपनी पनवेल मनपा व अन्य मनपा में 387 रुपए में काम कर रही है. जो अमरावती मनपा की तुलना में ‘ब’ और ‘क’ श्रेणी की मनपा है. इस भाव के अंतर के कारण अमरावती मनपा व संपत्ति धारकों का 18 से 20 करोड रुपए का नुकसान हो रहा है. इसी तरह मनपा के तत्कालीन आयुक्त व कर अधीक्षक ने संबंधित कंपनी से संपत्ति कर बाबत सॉफ्टवेअर एक करोड रुपए में खरीदी किया है. जबकि इसी कंपनी ने अन्य मनपा को यही सॉफ्टवेअर 10 लाख रुपए में दिया है. कंपनी द्वारा राज्य के अन्य मनपा व नगर पालिका में इसी तरह की धांधली किए जाने से वर्ष 2003 में मानसून अधिवेशन नियम 105 के तहत विधायक शिरिष चौधरी ने ध्यानाकर्षण सूचना रखी थी. इस निमित्त कंपनी बाबत जांच शुरु है, ऐसा कहा जाता है. कृति समिति ने नागरिकों पर थोपे गए बेतहाशा हाऊस टैक्स के बिल को कम कर समाधानकारक निर्णय लेने का अनुरोध किया. इस गहन चर्चा में निगमायुक्त ने अप्रत्यक्ष रुप से माना कि, मनपा की तरफ से हाऊस टैक्स बढाते समय मूल्यांकन करने में कुछ गलती हुई है, लेकिन मामला न्यायप्रविष्ठ रहने से इस पर कुछ कहने से इंकार किया. अब देखना है, आगे क्या होता.