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गठित समिती ने जांच में पकडी गडबडी

टुकडा बंदी और रेरा उल्लंघन केे 10,635 मामले उजागर

* 44 दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई होगी
* सरकार जल्द ही देगी कठोर सजा
* जमीन और फ्लैट की खरीदी-बिक्री के मामले
अमरावती/दि.5– राज्य में टुकडा बंदी कानून एवं स्थायी संपत्ति व मालमत्ता (विकास व नियमन) कानून (रेरा) इन दोनों कानूनोें का उल्लंघन करने के साथ ही सक्षम प्राधिकारियों के फर्जी ‘ना-हरकत’ प्रमाणपत्र देते हुए लगभग 10 हजार 635 संपत्तियों का बोगस दस्तपंजीयन किये जाने का सनसनीखेज मामला उजागर हुआ है. इस दस्त पंजीयन के जरिये करोडों रूपये की आर्थिक गडबडियां किये जाने को लेकर समूचे राज्य के दुय्यम निबंधक कार्यालयोें में कार्यरत 44 अधिकारियों के खिलाफ पंजीयन महानिरीक्षक श्रावण हर्डीकर ने निलंबन व विभागीय जांच की कार्रवाई की है. इतने बडे पैमाने पर फर्जी दस्त पंजीयन उजागर होने का राज्य में यह पहला मौका है. जिसे लेकर अच्छा-खासा हडकंप व्याप्त है.
जानकारी के मुताबिक ‘रेरा’ व टुकडा बंदी कानून का उल्लंघन करते हुए किये गये दस्त पंजीयन की जांच करने हेतु गठित पथक ने राज्य के सभी दुय्यम निबंधक कार्यालयों में पंजीयन दस्तावेजों की जांच की. जिसके तहत 10 हजार 365 फर्जी दस्तावेजों का पंजीयन होने की बात सामने आयी. इससे संबंधित रिपोर्ट पंजीयन व मुद्रांक शुल्क विभाग ने राज्य सरकार के पास भेजा. जिसे मंजुरी देते हुए सरकार ने संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई करने के निर्देश जारी किये. जिसके चलते 44 अधिकारियों पर कार्रवाई की गई है.
इस संदर्भ में पंजीयन महानिरीक्षक श्रावण हर्डीकर का कहना रहा कि, टुकडा बंदी कानून के अनुसार कृषि योग्य जमीन का हस्तांतरण करते समय जमीन का टुकडा नहीं निकाला जाना अनिवार्य है. प्रत्येक जिले के लिए निर्धारित प्रमाणभूत क्षेत्र की तुलना में कम क्षेत्रवाले दस्त पंजीयन सक्षम प्राधिकारी की पूर्व अनुमति या एनओसी के बिना नहीं करने का भी नियम है. ‘रेरा’ के प्रावधानानुसार 500 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्र पर किये जानेवाले निर्माण तथा निर्माणवाले प्रकल्पों में 8 से अधिक फ्लैट रहने पर संबंधित प्रकल्प का पंजीयन महाराष्ट्र स्थावर संपदा नियामक प्राधिकरण (महारेरा) में करना जरूरी है. किंतु इसके लिए पंजीयन दस्तावेजों का रहना बेहद अनिवार्य है. अन्यथा महारेरा में ऐसी संपत्तियों का पंजीयन नहीं होता. लेकिन इस कानून का भी जमकर उल्लंघन हुआ है. ऐसी जानकारी सामने आयी है. जिसके चलते फर्जी दस्त पंजीयन करनेवाले 44 अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश राज्य सरकार द्वारा दिये गये है. ऐसे में संबंधितों को इस संदर्भ में लिखित आदेश भेजे जा चुके है.

* ऐसा रहेगा कार्रवाई का स्वरूप
फर्जी दस्त पंजीयन करनेवाले 44 अधिकारियों के खिलाफ किस तरह की कार्रवाई की जाये, इसे लेकर भी सरकार द्वारा मार्गदर्शक निर्देश जारी किये गये है. जिसके अनुसार 400 से अधिक फर्जी दस्त पंजीयन करनेवाले अधिकारियों को निलंबीत करते हुए उनकी विभागीय जांच की जायेगी. साथ ही 200 से 400 फर्जी दस्त पंजीयन करनेवाले अधिकारियों का तबादला करते हुए उनकी विभागीय जांच की जायेगी. 200 से कम फर्जी पंजीयन करनेवाले अधिकारियों की विभागीय जांच होगी और 10 से कम फर्जी दस्त पंजीयन करनेवाले अधिकारियों को नोटीस जारी करते हुए उनकी विभाग अंतर्गत जांच की जानी है. कार्रवाई का सामना करनेवालों में दुय्यम निबंधक वर्ग-2 स्तर के अधिकारियों सहित वरिष्ठ व कनिष्ठ लिपीकों का समावेश है. दुय्यम निबंधक नहीं रहनेवाले कार्यालयों में संबंधित कार्य लिपीकों द्वारा किया जा रहा था. ऐसी भी जानकारी पंजीयन महानिरीक्षक श्रावण हर्डीकर द्वारा दी गई है.

* उन संपत्तियों का आगे क्या होगा
टुकडा बंदी कानून व रेरा अधिनियम का उल्लंघन करते हुए दस्त पंजीयन होने पर ऐसी संपत्तियों को अनधिकृत ठहराया जायेगा. हालांकि किसी सक्षम प्राधिकारी द्वारा अनुमति दिये जाने पर ऐसी संपत्तियों की खरीदी-बिक्री हो सकेगी. जिसके लिए संबंधितों को उस जगह का नक्शा मंजूर करवाना पडेगा. इसके बिना ऐसी संपत्तियों व जमीनों की खरीदी-बिक्री नहीं हो पायेगी, ऐसा भी पंजीयन महानिरीक्षक कार्यालय द्वारा स्पष्ट किया गया है.

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