यवतमाल-अचलपुर रेलमार्ग बंद होने से रेल्वे स्टेशन की अवस्था दयनीय

यात्रियों के सपनों की शकुंतला कब दौंडेंगी?

अमरावती/दि.28 – विदर्भ के गरीबरथ के रुप में पहचानी जाने वाली शकुंतला का पटरी पर दौडना बंद होने से 108 वर्ष पूर्व यवतमाल-मूर्तिजापुर-अचलपुर नैरोगेज रेलमार्ग के स्टेशन अब वर्तमान में विरान और दयनीय अवस्था में है. ऐसी स्थिति में इस रेलमार्ग का विस्तार होकर उस पर ट्रेन कब दौंडेंगी, ऐसा सवाल नागरिकों का है.
यवतमाल-मूर्तिजापुर-अचलपुर नैरोगेज रेलमार्ग को ब्रॉडगेज करने के लिए विदर्भ की अनेक समिति, संगठना और सामाजिक कार्यकर्ताओं की तरफ से रेल मंत्रालय स्तर पर लगातार प्रयास शुरु है. सांसद बलवंत वानखडे, पूर्व सांसद नवनीत राणा व अन्य जनप्रतिनिधियों ने इस मुद्दे को लेकर संसद में आवाज भी उठाई है. ऐसा रहते हुए भी केंद्र सरकार व मध्यरेल्वे की शकुंतला रेलमार्ग की तरफ अभी भी अनदेखी है. वर्ष 1916 में ब्रिटीशराज में अचलपुर-मूर्तिजापुर वाया कारंजा-यवतमाल ऐसे 190 किमी नैरोगेज का रेलमार्ग तैयार किया गया और उस पर शकुंतला एक्सप्रेस दौडने लगी. यवतमाल जिले में भारी संख्या में खेतों में आने वाली कपास की फसल इस मार्ग से मूर्तिजापुर लाकर ट्रेन से ही मुंबई और वहां से लंडन के मैंचेस्टर शहर ले जायी जाती थी. 1994 में इस ट्रेन को डीजल इंजिन लगाया गया. इस ट्रेन को स्वाधीनता सेनानी बलवंतराव देशमुख की पत्नी का नाम दिये जाने से वह शकुंतला एक्सप्रेस हो गई थी. वर्ष 2016 में ब्रॉडगेज का काम शुरु करने के लिए शकुंतला बंद थी. लेकिन 2020 में वह बंद हो गई, जो अब तक बंद है. लोकमान्य सीपी रेल्वे नामक निजी कंपनी की तरफ से इस रेलमार्ग का मालकी अधिकार हस्तांतरीत करने के आदेश रेल मंत्रालय को प्राप्त हुए है. लेकिन यह प्रश्न अभी भी चर्चा में हल नहीं है. सीपी रेल्वे कंपनी को भारतीय रेल्वे की तरफ से करोडों रुपए की नुकसान भरपाई देनी पडेंगी. इस कारण यह प्रकरण ठंडे बस्ते में है. विभागीय रेल्वे व्यवस्थापक और मध्य रेल्वे के महाव्यवस्थापकों की इसके पूर्व ही बैठक हुई है. लेकिन उसमें भी समाधानकारक हल नहीं निकल पाया है.
* लोकसभा में प्रयास
शकुंतला का प्रश्न लोकसभा में अनेक जनप्रतिनिधियों ने रखकर इस मार्ग का ब्रॉडगेज में रुपांतर करने की मांग केंद्र शासन के पास अब तक की गई है. इसमें अमरावती की पूर्व सांसद नवनीत राणा, आनंदराव अडसूल, वाशिम-यवतमाल लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के सांसद संजय देशमुख का समावेश है. अचलपुर, दर्यापुर, मूर्तिजापुर, कारंजा, दारवा व यवतमाल शहर को जोडने वाले इस रेलमार्ग से वापस ट्रेन दौडने लगी, तो आत्महत्याग्रस्त यवतमाल जिला तथा वाशिम जिले के विकास में गति आएगी, ऐसा भी उन्होंने विशेष रुप से कहा है. साथ ही अमरावती जिले के अचलपुर, दर्यापुर, तहसीलों का भी विकास होगा. इस रेलमार्ग का डीपीआर रेल्वे बोर्ड को सुपूर्द करने के लिए मध्यरेल्वे ने इसके पूर्व दो दफा अवधि दी थी. फिर भी वह प्रस्तुत नहीं हुआ. मार्च 2025 तक यह रिपोर्ट रेल्वे बोर्ड को प्रस्तुत की जाने वाली थी. लेकिन 60 साल बाद भी जगह और मालकी का प्रश्न कायम है.

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