अमरावती

संविधान ने समानता दी, लेकिन देश में है क्या?

पूर्व पालकमंत्री डॉ. सुनील देशमुख का प्रतिपादन

* उपजिलाधिकारी अनिल भटकर ने किया संविधान की उद्देशिका का सामूहिक पठन
अमरावती/दि. 27– भारतीय संविधान ने देश के हर नागरिक को समानता का अवसर प्रदान किया है. लेकिन क्या देश में समानता है? देश के मुख्य चार आधारस्तंभ को साल 2014 से क्षति पहुंचाने की कोशिश की जा रही है. जनहित के कानून पर विगत चार सालों से कोई फैसला नहीं हो रहा है. विरोधियों पर ईडी की कार्रवाई हो रही है. अब संविधान के मूलभूत तत्व सभी तक पहुंचाने की आवश्यकता है. जनजागृति नहीं हुई तो आने वाली पीढ़ी हमें माफ नहीं करेगी, ऐसा प्रतिपादन पूर्व पालकमंत्री डॉ. सुनील देशमुख ने किया.
स्थानीय इर्विन चौक स्थित डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की प्रतिमा के पास रविवार को सुबह 10.30 बजे 74वें संविधान दिन निमित्त सामूहिक संविधान पठन का आयोजन समिति की ओर से किया गया. इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रुप में बोल रहे थे. कार्यक्रम में वरिष्ठ विधि विशेषज्ञ एड. डॉ. पी.एस. खडसे की अध्यक्षता में पुलिस आयुक्त नवीनचंद्र रेड्डी, उपजिलाधीश तथा एसडीओ अनिल भटकर, समाज कल्याण प्रादेशिक उपायुक्त सुनील वारे, पूर्व पालकमंत्री एड. यशोमति ठाकुर, पूर्व महापौर विलास इंगोले, शहराध्यक्ष बबलू शेखावत, विधायक बलवंत वानखडे, पूर्व कुलगुरू डॉ. गणेश पाटिल, जिला वकील संघ अध्यक्ष शिरीश जाखड, मरा. प्रदेश कांग्रेस कमिटी महासचिव तथा संविधान दिन आयोजन समिति सदस्य किशोर बोरकर, प्राचार्य गोपीचंद मेश्राम, रामेश्वर अंभ्यकर, प्रा. जगदीश गोर्वधन, रमेश रामटेके, कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता मिलिंद चिमोटे, डॉ. बी.आर. देशमुख, भैया पवार, समाधान वानखडे, डॉ. कमल राऊत, प्रा. विनायक दुधे, अमरावती तहसील शहर युवक कांग्रेस अध्यक्ष वैभव देशमुख, प्रा. ओमप्रकाश झोड आदि प्रमुखता से उपस्थित थे.

कार्यक्रम का संचालन जगदीश गोवर्धन व आभार रामेश्वर अभ्यंकर ने माना. उपजिलाधीश अनिल भटकर द्वारा भारतीय संविधान की उद्देशिका का सामूहिक पठन किया गया. कार्यक्रम में गरीब व वंचित किसानों के लिए कार्य करने वाले एड. विश्वासराव काले को ‘संविधान गौरव पुरस्कार’ से समिति द्वारा सम्मानित किया गया. कार्यक्रम को सफल बनाने आयोजन समिति के प्रा. जगदीश गोर्वधन, रविकांत गवई, रमेश रामटेके, उत्तमराव गवई, प्रा. ओमप्रकाश झोड, वैभव देशमुख, जिला युवक कांग्रेस के पंकज मोरे, विजय वानखडे, प्रा. अनिल देशमुख, राजाभाऊ चौधरी, राजू भेले, प्राचार्य प्रफुल्ल गवई, नीलेश गुहे, संकेत कुलट, एड. एम. एन. चोखांद्रे, राम पाटिल, पंकज मेश्राम, राजा गडलिंग, विवेक जवंजाल, गौतम वानखेडे, काशीनाथ बनसोड, प्रा. डी. के. वासनिक, एड. महेंद्र तायडे, एड. दिलीप घरडे, हरिदास शिरसाठ, नयन मोंढे, वाल्मीक डोंगरे, एड. एम. के. रोकडे, प्रदीप ढेंबरे, एड. रवींद्रकुमार वरठी, एस. वी. खोब्रागडे, एड. प्रेमदास गणवीर, समाधान वानखडे, किरण गुडधे, सिद्धार्थ वानखडे, नाना रमतकार, प्रभाकर घोडेस्वार, एड. उमेश इंगले, प्रा. दिलीप नंदागवली, दीपक इंगले, राजू चौथमल, गंगाधर खडसे, प्रा. भाई सरकटे, महादेवराव सिरसाठ समेत अन्य ने अथक परिश्रम कियेअधिकार ं के साथ सौहार्द्रता, सहिष्णुता की सीख कार्यक्रम की प्रस्तावन रखते हुए किशोर बोरकर ने कहा कि, डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर पुतला परिसर में विगत 12 सालों से संविधान दिन का समिति द्वारा आयोजन किया जा रहा है. इस अवसर पर विविध मान्यवरों की उपस्थिति रहती है. देश के पहले कृषिमंत्री डॉ. पंजाबराव देशमुख ने भी संविधान निर्मिती में सदस्य के रुप में भूमिका निभाई थी. जिसके कारण संविधान की मूल प्रति अत्यंत सम्मान के साथ आज भी शिवाजी शिक्षण संस्था के ग्रंथालय में उपलब्ध है. संविधान ने देशवासियों को कई अधिकार दिये हैं. हर व्यक्ति को इंसान की तरह जीने का अधिकार, सौहार्दयता, सहिष्णुता की सीख दी है. हम केवल अधिकारों के लिए संघर्ष करते हैं. उसी प्रकार हमें अपने कर्तव्य का पालन करने भी संघर्ष करना चाहिए. ‘हिंदू भाई गीता पर चलता है, मुस्लिम भाई कुरान पे चालता है, ख्रिश्चन भाई बायबल पर चलता है, लेकिन भारत देश संविधान पर चलता है…’, उक्त विचारों को याद रखने की बात आयोजन समिति प्रमुख किशोर बोरकर ने कही.

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