अमरावती

गणेश मूर्तियों के निर्माण ने पकडी गति

पीओपी का जमकर हो रहा प्रयोग, मांग मिट्टी से बनी मूर्तियों की

* शहर में 400 मूर्तिकारों द्बारा साकार होगी 2 लाख मूर्तियां
* शहर सहित जिले में होगा 25 करोड का आर्थिक लेन-देन
अमरावती /दि.16- केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल द्बारा प्लास्टर ऑफ पैरिस की मूर्तियों पर लगाए गए प्रतिबंध को केंद्र सरकार ने एक वर्ष के लिए हटा दिया है. जिसके चलते इस बार के गणेशोत्सव हेतु जिन मूर्तिकारों के पास पहले से बनी पीओपी की मूर्तियां होगी, उनका इस बार कोई नुकसान नहीं होगा. बता दें कि, शहर के कुंभारवाडा परिसर में रहने वाले मूर्तिकारों द्बारा पारंपारिक तरीके से मिट्टी से बनी मूर्तियां बनाई जाती है. शहर में करीब 400 मूर्तिकार है. जिनके जरिए करीब 2 लाख छोटी एवं 20 हजार बडी मूर्तियां बनाई जाती है. इस जरिए अमरावती जिले में करीब 25 करोड रुपयों का व्यवहार होता है. साथ ही अमरावती शहर में बनाई जाने वाली मूर्तियां तेलंगणा, ओडिशा, दिल्ली व मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में भी भेजी जाती है.
* कच्चे माल पर लगता है जीएसटी
मूर्तिकारों को लगने वाले कच्चे माल पर पहले से जीएसटी लगकर आता है और मूर्ति पर किसी भी तरह का कोई अलग से चार्ज नहीं लगाया जाता. प्रतिवर्ष कच्चे माल की कीमत में वृद्धि होती ही है. इस बार 20 किलो पीओपी की बैग 180 रुपए में मिल रही है.
* पीओपीे की मूर्ति होती है सस्ती
मिट्टी की मूर्ति की तुलना में प्लास्टर ऑफ पैरिस की मूर्ति ग्राहकों को सस्ती दरों पर मिलती है. पीओपी की मूर्ति को बनाना और उसे मनमाफिक आकार देते है. उसकी रंगाई कुताई करना भी आसान होता है. जिसके चलते मूर्तिकारों द्बारा भी पीओपी की मूर्ति बनाने पर जोर दिया जाता है.
* कुंभारवाडा में बनती है मिट्टी की मूर्ति
स्थानीय कुंभारवाडा परिसर में रहने वाले 30 कुंभार परिवारों को चुनिंदा लोग ही अब 8 इंच से 3 फीट की उंचाई तक मिट्टी की मूर्तियां बनाते है. इस हेतु लगने वाली मिट्टी सावनेर, नागपुर व बैतुल से मंगाई जाती है. परंतु इस ढुलाई की वजह से यह मिट्टी महंगी पडती है.
* शहर में कार्यरत मूर्तिकार संगठन के साथ 200 मूर्तिकार जुडे हुए है. जिनमें से कुछ चुनिंदा लोग ही मिट्टी की मूर्तियों को बनाने का काम करते है. वहीं प्लास्टर ऑफ पैरिस से बनी मूर्तियां लोगों को काफी पसंद आती है. जो दिखने में आकर्षक भी होती है और ग्राहकों को सस्ती भी पडती है. परंतु मिट्टी से बनी मूर्तियों का चलन दुबारा शुरु करने के लिए हम लगातार प्रयासरत है.
– गजानन गुजरे,
अध्यक्ष, श्री गणेश मूर्तिकार फाउंडेशन

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