ओमायक्रॉन की संसर्ग क्षमता अधिक; डेढ़ से दो दिनों में दोगुनी होती है मरीजों की संख्या
सतर्कता व नियमों का पालन करें : डॉ. श्यामसुंदर निकम
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विश्व के सामने तीसरी लहर का खतरा
अमरावती/दि.22 – ओमायक्रॉन वेरिएंट सौम्य होने का निष्कर्ष निकालकर उसकी ओर दुर्लक्ष करना उचित नहीं. इसकी संसर्ग क्षमता अधिक होने के कारण पॉजीटीव संख्या भी बड़े पैमाने पर हो सकती है. विलगीकरण, उपचार आदि प्रक्रिया व्यापक प्रमाण पर किए जाने से यंत्रणा पर भी इसका असर पड़ता है. इसलिए तीसरी लहर न आये, इसलिए टीकाकरण के साथ ही कोविड प्रतिबंधक नियमों का पूरी तरह से पालन करने का आवाहन जिला शल्य चिकित्सक डॉ. श्यामसुंदर निकम ने किया.
गत वर्ष अप्रैल में पहली लहर- अमरावती में 4 अप्रैल 2020 को कोविड का पहला मरीज पाया गया और जिले में कोरोना की पहली लहर शुरु हुई. अप्रैल माह में कुल 40 पॉजीटीव मरीजों से शुरुआत हुई तो सितंबर 2020 में एक ही महीने में 7 हजार713 पॉजीटीव मरीज पाये गये. अमरावती में यह पहली लहर थी. अक्तूबर 2020 से केसेस कम होने की शुरुआत हुई और पहली लहर दिसंबर तक खत्म हुई.
इस वर्ष की शुरुआत में दूसरी लहर – जनवरी 2021 में दो हजार तक वाले पॉजीटीव की संख्या फरवरी माह में साढ़े छह गुना बढ़कर 13 हजार से अधिक हुई. वहां से दूसरी लहर की अमरावती में शुरुआत हुई. यह बढ़ोत्तरी लगातार मार्च, अप्रैल व मई तक बढ़कर मई माह में 26500 पॉजीटीव मरीज एक ही महीने में पाये गए. जून 2021 से पॉजीटीव की संख्या कम होने लगी व दूसरी लहर कम होने की शुरुआत हुई.
अमरावती में वर्ष 2020 में अगस्त, सितंबर, अक्तूबर इन तीन महीने में पॉजीटीव की संख्या अधिक थी. 2021 में फरवरी, मार्च, अप्रैल और मई इन चार महीने में अधिक मात्रा में पॉजीटीव मरीज थे. पहली लहर में तीन महीने, तो दूसरी लहर में चार महीने कोरोना के चटके सहन करने पड़े. इसलिए ओमायक्रॉन के बारे में गाफिल न रहते का आवाहन डॉ. निकम ने किया है.
डेढ़ से दो दिनों में मरीज संख्या दोगुनी होती है- अब संपूर्ण विश्व के सामने तीसरी लहर का धोखा है. ओमायक्रॉन वेरिएंट के बारे में अब तक संपूर्ण जानकारी नहीं मिली है. फिर भी संसर्ग क्षमता काफी अधिक होने की बात साबित हुई है. मरीजों की संख्या दोगुनी होने का समय यह डेढ़ से दो दिन है. यानि एक दिन में 100 पॉजिटीव पाये गये होंगे तो इसके बाद डेढ़ से दो दिनों में यह संख्या 200 तक होगी. यह अत्यंत धोखादायक है. विगत दो लहर में एक बात का अनुभव किया गया है. जिस महीने में पॉजीटीव संख्या अधिक थी, उस महीने में मरीजों की संख्या की तुलना में मृत्यु संख्या भी अधिक थी. इसलिए ओमायक्रॉन वेरिएंट को सौम्य होने का निष्कर्ष निकालकर उसकी ओर दुर्लक्ष करना उचित नहीं.
विश्व के 94 देशों में ओमायकॉन का संसर्ग- ओमायक्रॉन 20 दिसंबर तक विश्व के 94 देशों में पहुंचा है. इसमें भारत का भी समावेश है. सबसे अधिक केसेस इंग्लैंड में है. भारत में 19 दिसंबर तक 128 केसेस पाये गए व मृत्यु शून्य है. महाराष्ट्र में 40 मरीज पाये गए.
टीकाकरण से होता है संरक्षण- टीकाकरण के कारण प्रतिकार शक्ति बढ़कर संसर्ग से संरक्षण मिलेगा, ऐसी उम्मीद है. उपचार पद्धति में फिलहाल किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं होगा. मात्र ओमायक्रॉन के सभी केसेस हमें अलग स्वंतत्र कोविड सेंटर में रखने पड़ेंगे. जिससे संसग को रोका जा सकेगा.
पंचसूत्रा का पालन करना होगा प्रभावी पर्याय- तीसरी लहर को रोकने के लिए पंचसूत्री के तहत स्वॅब की जांंच, बाधितों के सहवासितों की खोज, उपचार, टीकाकरण और कोविड अनुरुप रहन सहन इन बातों का ही इस्तेमाल करा है. कोना नाम के शत्रु को कमजोर न समझते हुए पंचसूत्री का पालन करने का आवाहन डॉ. निकम ने किया.