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साधू संतों की अवमानना रोकी जाए

रामायण एक्सप्रेस में भोजन परोसने के लिए रखे गए वेटरो की वेशभूषा बदली जाए

* हिंदू जनजागृति समिति का केंद्रीय रेलमंत्री को ज्ञापन

अमरावती/ दि.22 – रेल मंत्रालय की ओर से रामायण एक्सप्रेस चलाई जा रही है. इस एक्सप्रेस को लोगों का भरपुर प्रतिसाद भी मिल रहा है, लेकिन इस रामायण एक्सप्रेस में यात्रियों को भोजन व अल्पोपहार परोसने के लिए जो वेटर रखे गए हेै, उनकी वेशभूषा साधू संतों की तरह नजर आती है. ऐसे में साधू संतों की अवमानना रोकने के लिए साध्ाू संतों की वेशभूषा वाले वेटर रखने की अपमानजनक कृतियों को तत्काल रोका जाए, इस आशय की मांग को लेकर हिंदू जनजागृति समिति की ओर से जिलाधिकारी के माध्यम से केंद्रीय रेलमंत्री को ज्ञापन भेजा गया.
ज्ञापन में बताया गया है कि, विश्वभर के करोडों हिंदुओं का श्रद्धास्थान रहने वाले भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर अयोध्या में साकार किया जा रहा है. यह काफी हर्षवाली बात है. इसी पृष्ठभूमि पर रेलमंत्रालय ने रामायण एक्सप्रेस शुरु की हेै, लेकिन रामायण एक्सप्रेस में भोजन व अल्पोपहार परोसने के लिए जो वेटर रखे गए है वे केसरिया वस्त्र, धोती और रुद्राक्ष माला पहने हुए है. साधू संतों का भी वेश इसी तरह होता है. हिंदू धर्म में साधू संतों का सम्मान किया जाता है. यदि उन्हें नौकरी की तरह भोजन व अल्पोपहार परोसने के लिए रखा जाए तो यह साधू संतों की अवमानना है. रामायण एक्सप्रेस में साधू संतों की वेशभूषा परिधान करने वाले वेटर को यात्रियों की झूटन के अलावा थाली व प्लेट्स् उठाते हुए दिखाई देते है. जिससे देश विदेश में साधू संतों की गलत छवि निर्माण हो सकती है. इसलिए रामायण एक्सप्रेस में साधू संतों की वेशभूषा में रखे गए वेटरों की वेशभूषा को हटाकर नई वेशभूषा उपलब्ध कराई जाए ताकि साधू संतों की अवमानना को रोका जा सके. निवेदन सौंपते समय हिंदू जनजागृति समिति के निलेश टवलारे, आनंद डावू, अल्पेश संभे, डॉ.रमेश वरुडकर, विमल पांडे उपस्थित थे.

कांग्रेस नेता सलमान खुर्शिद की पुस्तक पर प्रतिबंध लगाए

हिंदुत्व की तुलना आतंकवाद से करने वाले कांग्रेस नेता सलमान खुर्शिद की पुस्तक सनराइज ओवर अयोध्या: नेशनल हूड इन अवर टाईम्स पर प्रतिबंध लगाने के साथ ही हिंदुओं की धार्मिक भावनाएं आहत करने वाले सलमान खुर्शिद पर कानूनी कार्रवाई करने की मांग हिंदू जनजागृति समिति की ओर से केंद्रीय गृहमंत्री को निवेदन भेजकर की गई हेै.

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