अमरावती

भ्रष्टाचारियों के कर्दनकाल, अब बने देहदान के प्रणेता

68 वे जन्मदिन पर विशेष

अमरावती-/दि.2 कई भ्रष्ट अधिकारियों को पकडाकर सरकार व समाज को सहयोग देनेवाले तथा वर्तमान में देहदान के लिए प्रेरित करने के मिशन में समर्पित संतोष शर्मा का आज 2 सितंबर को 68 वां जन्मदिन है. महान साहित्यकार मैथिलीशरण गुप्त की रचना है, जिसमें कहा गया है कि, पशु प्रवृत्ति है कि आप-आप ही चरे, वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे. संतोष शर्मा पर यह पंक्तियां चरितार्थ होती है. वर्ष 1990 के दशक में जहां उन्होंने अपना सामाजिक दायित्व समझ भ्रष्ट अधिकारियों को रिश्वत लेते रंगेहाथों पकडवाने का महत्वपुर्ण कार्य किया. वही पर अब शरीर की सार्थकता के लिए देहदान अभियान में सक्रिय है.
90 के दशक में उन्होंने दो सिविल सर्जन, यवतमाल के अतिरिक्त जिला न्यायाधीश व लिपीक के अलावा एमएसईबी के कनिष्ठ अभियंता, मनपा के वरिष्ठ लिपीक, दो पुलिस उपनिरीक्षक, सार्वजनिक लोकनिर्माण विभाग के कर्मचारी, सहायक क्रीडा अधिकारी, फसल मंडी के सचिव, जीआरपी बडनेरा के पुलिस कर्मी को रंगेहाथ रिश्वत लेते पकडवाया.
सामाजिक चेतना की इस अभियान के बाद वे देहदान अभियान को समर्पित हो गये है. आमतौर पर लोग अभियान छेडते तो है, पर स्वयं पहल नहीं करते. संतोष शर्मा ने देहदान की पहल स्वयं से की. 61 वे जन्मदिन के अवसर उन्होंने देहदान का पीडीएमसी में संकल्प पत्र देकर जनसामान्य को देहदान के लिए प्रेरित करना प्रारंभ कर दिया. उनसे प्रेरिता होकर अब तक 9 लोगों ने देहदान का संकल्प लिया है. इसमें मुख्य रूप से नारायण सोनी, मीना सोनी, विजय गुप्ता, मंगल गुप्ता, नंदकिशोर मिश्रा, शरद तायडे, कमलाकर चिखलकर, पप्पु शर्मा, महिलाओं में शांति यादव शामिल है. अपने देहदान के संकल्प के बारे में संतोष शर्मा का कहना है कि, स्वर्ग और मोक्ष से बढकर नश्वर शरीर किसी के काम आए यह मेरा लक्ष्य है. ऐसे उन्नत विचारवाले संतोष शर्मा के जन्मदिवस पर हार्दीक बधाई.
-मित्र परिवार

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