अमरावती

महिने का किराना और ‘टॉमी’ का खर्च एक समान

जिले में 20 से अधिक कुत्तों की प्रजातियों का पालन

* दिनों दिन बढ रहा है कुत्ते पालने का चलन
अमरावती/दि.23- जिले में 20 से अधिक विदेशी नस्ल वाले कुत्तें श्वान प्रेमियों व्दारा पाले जाते है. साथ ही अपने घर में इन कुत्तों को अच्छा व बेहतरीन गुणवत्ता वाला आहार देने की ओर शहर के रहिस लोगों व्दारा विशेष ध्यान दिया जाता है. जिसके तहत ऐसे कुत्तों के खाने-पीने के लिए प्रति माह करीब 5 हजार रुपए खर्च होते है. साथ ही इन कुत्तों की दवाईयों पर भी प्रतिमाह कम से कम 1 हजार रुपए का खर्च होता है. यानी एक आम परिवार में हर महिने जितने रुपए का किराना आता है लगभग उतनी या उससे अधिक राशि बडे घरों में कुत्तों के लालन-पालन पर खर्च हो जाती है.
उल्लेखनीय है कि घर में पकाए जाने वाले भोजन, यहां तक की मांसाहार के जरिए भी 70 से 80 फीसद न्यूट्रिशीयन नहीं मिलता. परंतु कंपनियों व्दारा तैयार किए गए पैक्ड फुड में केवल 10 फीसद पानी व शेष 90 फीसद न्यूट्रिशीन रहते है. इन दिनों कुत्तो को पेट फुड देने के साथ ही आंखों व हड्डियों का ऑपरेशन कराने व उन्हें योग्य औषधोपचार देने को लेकर रुझान बढ रहा है. साथ ही विगत कुछ वर्षो के दौरान अपने घर में कुत्ते पालने वालों की संख्या भी बढ गई है. अमुमन इन दिनों हर कोई अपने काम काज में भी काफी व्यस्त रहता है. ऐसे में घर में पाले गए कुत्तों को तैयार भोजन देने की बजाए सभी आवश्यक पोषक घटक मिलने हेतु उन्हें एक्टिव फुड दिया जाता है, ताकि कुत्तों को, विशेषकर मादा श्वान को सभी पोषक तत्व मिले और उनसे पैदा होने वाले पिल्ले भी बेहद सुदृढ रहे.
उल्लेखनीय है कि इन दिनों पोषक आहार का मामला केवल इंसानों तक ही सीमित नहीं है. बल्कि अब जानवरों के लिए भी इसकी जरुरत महसूस की जाने लगी है. जिसके चलते हार्ट ट्रबल, कोलेस्ट्राल का प्रमाण, प्रोटिन की कमी, किडनी संबंधी समस्या व एलर्जी जैसी बीमारियों के लिए कुत्तों को कौन सा आहार दिया जाए, इसका कोर्स भी न्यूट्रिशीन स्पेशालिस्ट से तय करवाया जाता है. इस आशय की जानकारी पशु वैद्यकीय अधिकारी डॉ. सागर ठोसर व्दारा दी गई.

* देखभाल के लिए आदमी का खर्च अलग
इन दिनों कुत्तों को ट्रेनिंग देने के लिए शहर में कई ट्रेनर भी उपलब्ध है. कई लोग ट्रेनर को अपने घर बुलवाकर अपने प्यारे कुत्ते को ट्रेनिंग देते है. जिसके लिए हजारों रुपए का खर्च आता है. साथ ही कुछ स्थानों पर ट्रेनिंग सेंटर भी खुल गए है. जहां पर कुत्तों को कुछ निश्चित अवधि तक प्रशिक्षण हेतु रखा जाता है और इस पर भी अच्छा खासा पैसा खर्च होता है.
इसके अलावा विदेशी नस्ल वाले कुत्तों को रोजाना सुबह-शाम घुमाने भी ले जाना पडता है और ऐसा नहीं करने पर यह कुत्ते काफी तकलीफ देते है. ऐसे में कुत्ता पालने के शौकीन कई लोगों ने अपने कुत्तों की देखभाल करने और उन्हें सुबह-शाम घुमाने के लिए अगल से कर्मचारी भी रखे है. जिन्हें इस काम के लिए वेतन अदा किया जाता है.

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