अमरावती/दि.31 – पालतु श्वान को घर में रखना आज प्रतिष्ठा का विषय बन चुका है. श्वानों के दाम भी बढती मांगों को लेकर लाखों रुपए तक पहुंच चुके है. एक श्वान का पालने का खर्च उनके मालिकों को 6 से 7 हजार रुपए महीने आता है. पालतु श्वान के लिए विविध प्रकार के खाद्य की व्यवस्था के साथ उसका टीकाकरण व शैम्पू से उसे नहलाने आदि पर हजारों रुपए खर्च आता है. यह खर्च सर्वसामान्यों के बुते के बाहर है.
अनेक लोग देशी नस्ल के श्वान को भी पालते है. देशी श्वान खुद ब खुद ही उपलब्ध हो जाते है किंतु उनकी भी देखभाल का खर्च श्वान पालकों को करना पडता है. श्वान पालक परिवार व्दारा पालतु श्वानों का पालन-पोषण घर के सदस्यों जैसा ही किया जाता है. श्वान पालनना समाज में प्रतिष्ठा का कार्य समझा जाने लगा है. लाखों रुपए खर्च कर लोग श्वान लाते है. शहर में भी अनेकों महंगे श्वान इन दिनों दिखाई दे रहे है.
इन पांच श्वानों की सर्वाधिक मांग
रॉटविलर :- दाम 1,00,000
यह डॉग 15 हजार रुपए से 1 लाख रुपए तक मिल जाता है. उसकी गुणवत्ता के अनुसार ही उसके दाम बढते है.
वूल्फडॉग :- 70 हजार
यह सफेद रंग का सभी को आकर्षित करने वाला डॉग है. यह अत्यंत चपल और फूर्तिला होता है इसके दाम 45 से 70 हजार रुपए तक है.
डॉबरमेन :- 80 हजार
यह डॉग चपल जाति का है. इसकी पूछ छोटी रहती है यह 5 हजार रुपए से 80 हजार रुपए तक मिल जाता है.
गे्रटडेन :- 70 हजार
इस डॉग की ऊंचाई घोडे के जैसी होती है और यह अत्यंत आक्रमक भी है. इसके दाम 35 हजार से 70 हजार रुपए है.
जर्मन शैफर्ड :- 70 हजार
यह डॉग अत्यंत खूखांर और खतरनाक और हिंसक है. इसके दाम 70 हजार रुपए है.
लाखों रुपए का कारोबार
पालतु श्वान के कारोबार से लोग लाखों रुपए कमा रहे है. अनेक लोग इस व्यवसाय में उतर चुके है. जिले के मोर्शी शहर में श्वान का बडा व्यवसाय है. इसकी खरीदी-बिक्री लाखों रुपए का कारोबार किया जा रहा है.
– सचिन बोंद्रे, अमरावती
शौक के साथ-साथ सुरक्षा भी
श्वान पालना एक शौक भी है. जिससे अनेक लोगों को सामाधान मिलता है. शहर में नागपुर, पुणे, कोल्हापुर से श्वान लाए जाते है. यह श्वान लोग शौक के साथ-साथ सुरक्षा के लिए भी खरीदते है.
– किशोर वानखडे
श्वान को लेकर आकर्षण
श्वान को लेकर बचपन से ही आकर्षण है. जिसमें तीन डॉग मैनें पाले है एक डॉग का खर्च महीनेभर का 1 व्यक्ति के जैसा ही आता है. डॉगी को टीकाकरण, उचित आहार भी देना होता है खासकर कोरोना काल में श्वान की विशेष रुप से घर का सदस्य समझकर देखरेख की गई.
– नितिन मोहोड