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चारों 15 फरवरी से मध्यवर्ती कारागृह में
अमरावती/दि.25 – निगमायुक्त डॉ.प्रवीण आष्टीकर के शरीर पर स्याही फेंकने के मामले में गुरुवार को अदालत ने दोनों पक्षों की दलीले सुनी. न्यायमूर्ति एसबी जोशी ने गिरफ्तार किये गए चारों की जमानत पर अब तक आदेश नहीं दिये. जिसके कारण वे चारों 15 फरवरी से मध्यवर्ती कारागृह में ही है.
युवा स्वाभिमान के कुछ कार्यकर्ताओं ने 9 फरवरी को निगमायुक्त डॉ.प्रवीण आष्टीकर व्दारा राजापेठ उडानपुल के नीचे जमा पानी दिखाने के लिए बुलाया था. निगमायुक्त के अंडरबायपास पहुंचते ही विधायक रवि राणा के कुछ कार्यकताओं ने मनपा आयुक्त के साथ धक्कामुक्की कर उनके शरीर पर स्याही फेंकी. इस मामले में राजापेठ पुलिस ने विधायक रवि राणा समेत 11 कार्यकर्ताओं के खिलाफ जानलेवा हमला करने का अपराध दर्ज कर रवि राणा के पीआरओ अजय बोबडे, सुरेश मिश्रा, संदीप गुल्हाने, महेश मुलचंदानी, विनोद येवतीकर को गिरफ्तार किया था, मगर गिरफ्तार किये गए विनोद येवतीकर की तबीयत ठिक न होने के कारण उसे अस्पताल में भर्ती किया गया था और चारों को पांच दिन पुलिस कस्टडी में रखने के आदेश दिये थे. पुलिस कस्टडी समाप्त होने के बाद 15 फरवरी को चारों को अदालत में पेश किया. इसपर अदालत ने न्यायालयीन कस्टडी के तहत चारों को जेल रवाना करने के आदेश दिये. तब से चारों जेल में है. इस मामले में मंगलवार को अदालत ने विनोद येवतीकर की जमानत मंजूर कर ली और जेल में रहने वाले आरोपी जमानत पर कल गुरुवार की दोपहर जिला व सत्र न्यायालय क्रमांक 5 के न्यायमूर्ति एस.बी.जोशी की अदालत में सुनवाई ली गई. अदालत ने दोनों पक्षों की दलीले सुनी.
इस मामले में दफा 164 के अनुसार गवाहों के बयान अदालत के समक्ष लिये गए. जिसके कारण उन्हें जमानत दी तो वे गवाहों पर दबाव ला सकते है, ऐसा पुलिस ने अदालत को बताया. इसी तरह सरकारी वकील ने अदालत से कहा कि, उच्च अधिकारी पर स्याही फेंकने के कारण अधिकारी का मनोबल गिर गया है, ऐसी करतूत रुकना चाहिए, चारों आरोपी प्रभावशाली है. उसके कारण गवाहों पर दबाव ला सकते है, इसे नकारा नहीं जा सकता और बचाव पक्ष ने अदालत के सामने अपनी जिरह रखते हुए बताया कि, निगमायुक्त के सिने व गर्दन पर जो जख्म है वे नाखूनों के है, पेचकस का कही उल्लेख नहीं है और निगमायुक्त एक दिन भी अस्पताल में भर्ती नहीं थे. निगमायुक्त पर स्याही फेेंकने वाली तीन महिलाएं व कुछ पुरुष थे. वीडियों में वे चारों कही नहीं दिखाई दे रहे है. चारों सामान्य नागरिक है और इस मामले में जो गवाह है वे सभी सरकारी कर्मचारी होने के कारण उनपर दबाव नहीं बना सकते. इसके कारण इन चारों को जमानत देने में कोई परेशानी नहीं, ऐसी दलीले बचाव पक्ष के वकील एड.प्रशांत देशमुख, एड.दीप मिश्रा ने रखी. अदालत ने दोनों पक्षों की जिरह सुन ली. मगर आदेश नहीं दिया, इसके कारण चारों की जमानत पर अदालत कब और क्या आदेश देगी इसपर सभी की नजर टीकी हुई है.