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दुराचारी को अदालत ने सुनाई 10 साल की सजा

अमरावती/दि.29 – स्थानीय तपोवन परिसर स्थित प्रबोधिनी प्रशिक्षण केंद्र में रसोईए के तौर पर काम करने वाले संदिप लक्ष्मण परतेकी (34) को जिला न्यायाधीश क्रमांक-5 श्रीमती पीएन राव की अदालत ने बलात्कार के मामले में दोषी करार देते हुए विभिन्न धाराओं के तहत अधिकतम 10 वर्ष के कारावास तथा कुल 5 हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनााई.
इस संदर्भ में पेश की गई चार्जशीट के मुताबिक वर्ष 2018 के दौरान प्रबोधिनी प्रशिक्षण केंद्र में एक तलाकशुदा महिला करीब 15 दिनों से रोटी बनाने का काम कर रही थी. जहां पर संदीप लक्ष्मण परतेकी (34, शहानिहा, तह. कारंजा लाड, जि. वाशिम) भी रसोईए का काम किया करता था और पीडिता की ओर गलत निगाहे से देखा करता था. घटना से 4-5 दिन पहले उसने पीडिता का मोबाइल नंबर लिया था और घटना से दो दिन पहले उसे अपनी बाहो में भरकर अपने पास बैठने हेतु मजबूर किया था. ऐसे में अपनी बदनामी होने के डर से पीडिता ने काम पर जाना बंद कर दिया, तो 3 दिसंबर 2018 को दोपहर 12 बजे संदीप परतेकी उक्त महिला के घर पर पहुंच गया और उसे घर में अकेली पाकर उसके साथ जबरन शारीरिक संबंध बनाए तथा इस बारे में किसी को भी कुछ भी बताने पर देख लेने की धमकी देते हुए वहां से चला गया. पश्चात पीडिता ने अपने पडोस में रहने वाली एक महिला को पूरी घटना बताई और उसे अपने साथ लेकर फ्रेजरपुरा पुलिस थाने पहुंचते हुए शिकायत दर्ज कराई. जिसके आधार पर फ्रेजरपुरा पुलिस ने भादंवि की धारा 376, 354, 451 व 506 के तहत अपराधिक मामला दर्ज करते हुए आरोपी को गिरफ्तार किया तथा जांच पूरी करते हुए अदालत में चार्जशीट पेश की गई. जहां पर अतिरिक्त सरकारी वकील प्रफुल तापडिया ने 7 गवाह पेश करते हुए प्रभावी युक्तिवाद किया. जिसे ग्राह्य मानते हुए न्या. पी. एन. राव की अदालत ने आरोपी संदीप परतेकी को दोषी करार देते हुए उसे धारा 376 के तहत 10 वर्ष कारावास व 3 हजार रुपए के जुर्माने, धारा 354 के तहत एक वर्ष के कारावास व 1 हजार रुपए के जुर्माने, धारा 451 के तहत 2 वर्ष के कारावास व 500 रुपए के जुर्माने तथा धारा 506 के तहत 5 वर्ष के कारावास व 500 रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई. आरोपी द्वारा जुर्माना अदा किए जाने पर न्यायालय की ओर से पूरी रकम पीडिता को नुकसान भरपाई के तौर पर दी जाएगी. वहीं आरोपी द्वारा जुर्माना अदा नहीं किए जाने पर उसे अधिकतम एक माह के अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी.
इस मामले में जांच अधिकारी के तौर पर एपीआई निलिमा सातव एवं पैरवी अधिकारी के तौर पर एएसआई गजानन नागे व नापोकां अरुण हटवार ने अभियोजन पक्ष को सहयोग किया.

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