अमरावती

सत्ता की लालसा काफी बेकार है, संविधान हारेगा नहीं

राकांपा नेता जीतेंद्र आव्हाड का सत्ता संघर्ष पर विश्लेषण

* संत ज्ञानेश्वर सांस्कृतिक भवन में आयोजित संवाद कार्यक्रम में किया कथन
अमरावती/दि.22- यूथ विजन फाउंडेशन अमरावती की तरफ से ‘चलो सर्वोच्च न्यायालय का फैसला समझे’ विषय पर राकांपा नेता विधायक जीतेंद्र आव्हाड का विशेष संवाद संत ज्ञानेश्वर सांस्कृतिक भवन में आयोजित किया गया था. इस अवसर पर आव्हाड ने भारतीय संविधान समेत महाराष्ट्र सहित देश की कुल राजनीतिक परिस्थिति पर अपने विचार व्यक्त करते हुए राज्य की शिंदे-फडणवीस सरकार समेत भाजपा सरकार को आडे हाथों लिया.
सत्ता छोडना इतना आसान नहीं रहता. सत्ता की लालसा काफी बेकार है. यह पिछले 1 साल में हम सभी देख रहे हैं. लेकिन मेरे ही लोग मेरे साथ नहीं रहे, यह विचार कर मैं सत्ता में रहकर क्या करु? ऐसा विचार कर उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया. उद्धव ठाकरे ने इस्तीफा न दिया रहता तो हम उनका दुबारा विचार कर सकते थे, ऐसा सर्वोच्च न्यायालय का कहना था. ऐसा सबकुछ रहा तो भी महाराष्ट्र में नैतिकता कायम है. इसी कारण यह नैतिकता कायम रखने और देश का संविधान न हारे इसके लिए सचेत रहने का आह्वान राष्ट्रवादी कांगे्रस के नेता व विधायक जीतेंद्र आव्हाड ने अमरावती में किया. सभागृह में व्हीप निकालने का अधिकार राजनीतिक दल को है. कोई दल फूटकर गट तैयार होता होगा तो ऐसे गट व्दारा निकाला गया कोई भी व्हीप अधिकृत हो नहीं सकता, ऐसा सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में स्पष्ट किया है. लेकिन सभागृह में व्हीप की मर्यादा पार की गई. सभागृह में विश्वास मत का प्रस्ताव पारित करने के बाद अध्यक्ष का चुनाव लिया गया. शिवसेना से बगावत करनेवाले 40 सदस्यों ने व्हीप का उल्लंघन कर नार्वेकर को वहां बैठा दिया. अधिकार न रहते हुए राहुल नार्वेकर कुछ बातें की. सही मायने में नार्वेकर का उस पद पर निर्वाचन होना ही गलत है. वर्ष 2019 में उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री हुए. मुख्यमंत्री सभागृह के प्रमुख रहते उन्होंने एकनाथ शिंदे को पार्टी का गटनेता नियुक्त किया. बगावत के बाद उद्धव ठाकरे ने अजय चौधरी की गटनेता के तौर पर नियुक्ति की. उपाध्यक्ष ने अजय चौधरी के गटनेता पद को दी मान्यता अधिकृत रहने की बात सर्वोच्च न्यायालय ने भी कही है. इसका दूसरा मतलब यही है कि एकनाथ शिंदे की नियुक्ति अनाधिकृत है. अब गटनेता नियुक्त करने का जो निर्णय हुआ वह कानून के विरोध में रहने का भी सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया है. कानून के मुताबिक राजनीतिक दलों व्दारा लिया गया निर्णय ही महत्वपूर्ण है.
* महाराष्ट्र की राजनीतिक सांस्कृति
वर्ष 1960 में स्थापित हुए महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री अंतुले पर सीमेंट घोटाले का आरोप हुआ और उन्होंने शाम को इस्तीफा दे दिया. निलंबेकर की बेटी की परीक्षा के अंकों का नतीजा आया और निलंबेकर ने शाम को इस्तीफा दिया. मनोहर जोशी के दामाद पर आरोप हुए और उन्होंने भी शाम को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. विलासराव देशमुख यह रामगोपाल वर्मा को लेकर ताज होटल में गए इस कारण लोगों में द्बेष निर्माण हुआ और विलासराव देशमुख ने इस्तीफा दिया. आर. आर. पाटिल की बोलते समय थोडी गलती हुई तब लोगों ने उस प्रकरण को उठाया. तब आर. आर. पाटिल ने तत्काल इस्तीफा दिया. महाराष्ट्र में ऐसी अलग संस्कृति राजनीति में थी. वर्तमान की संस्कृति क्या है? ऐसा सवाल भी जीतेंद्र आव्हाड ने किया.
* सांप्रदायिक दंगे करवाने पर भाजपा का जोर
भाजपा अब अनेक नई स्टोरी निकाल रही है. भाजपा का सबसे अधिक जोर सांप्रदायिक दंगो पर है. धर्म विद्वेष और जाति द्बेष के अलावा अब सफलता नहीं मिलेगी, यह भाजपा को ध्यान में आया रहने की बात भी विधायक जीतेंद्र आव्हाड ने कही. वर्तमान में संपूर्ण देश में बडी महंगाई सहित अनेक समस्याओं की तरफ अनदेखी होती रहने पर खेद भी आव्हाड ने व्यक्त किया. देश के मणिपुर राज्य में भारी हिंसा जारी है, ऐसे स्थिति में देश की पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी की याद आती है. त्रिपुरा राज्य भारत में शामिल करने के लिए इंदिरा गांधी ने प्रयास किए. तब उन पर अमेरिका से दबाव था. लेकिन सीधे अमेरिका पहुंचकर त्रिपुरा बाबत हमने लिए निर्णय पर हम तटस्थ हैं, ऐसा जवाब देने का साहस इंदिरा गांधी में था. आज मणिपुर में दो समुदाय में जारी हिंसा को काबू में करने की जिम्मेदारी केंद्र शासन पर रहते यह हिंसाचार नियंत्रित नहीं हो रहा है, यह दुर्भाग्य है. देश के एक राज्य में भारी हिंसाचार जारी रहते देश के लोग शांत है. यह शांतता ज्वालामुखी के विस्फोट के पूर्व की है अथवा देश के लोग स्तब्ध है. इस कारण शांतता है यह पता नहीं चल रहा है. लोगों की शांतता का मतलब क्या है? ऐसा सवाल भी जीतेंद्र आव्हाड ने इस अवसर पर किया.
* देश में अध्यक्षीय प्रणाली लाने की साजिश
भारत यह विविधता से सजा हुआ देश है. राज्य में जिस तरह गडचिरोली से कोकण तक व्यक्ति को विधानसभा में निवार्चित होकर आने की स्वतंत्रता है उसी तरह देश की संसद में कश्मीर से दक्षिण के व्यक्ति को भी निर्वाचित होकर आने का अधिकार है. विश्व के सभी महत्व के देशों के संविधानों का अभ्यास कर डॉ. बाबासाहब आंबेडकर व्दारा लिखे गए भारतीय संविधान में संसदीय प्रणाली का महत्व दिया है. अब इस प्रणाली को छेडकर अध्यक्षीय प्रणाली लाने की साजिश है. इस कारण ऐसी साजिश को विफल करने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को जागरुक रहने और संविधान बचाने की आवश्कता है, ऐसा भी विधायक आव्हाड ने कहा.
* आदिपुरुष फिल्म पर टिप्पणी
कर्नाटक के चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘बजरंग बली की जय’ की घोषणा दी. लेकिन बजरंग बली यह सच्चाई के साथ रहनेवाले थे. इस कारण कर्नाटक में भाजपा की पराजय हुई, ऐसा जीतेंद्र आव्हाड ने कहा. अब आदिपुरुष फिल्म देशभर में प्रदर्शित हुई. इस फिल्म में हनुमान के मुंह में रहनेवाले संवाद काफी गलत है. इस फिल्म का निर्माण यदि किसी और ने किया रहता तो अमरावती में फिल्म के बोर्ड जलाए गए रहते. लेकिन यह फिल्म उन्होंने तैयार की है इस कारण सब खामोश है. हमने डॉयलॉग बदले है यह क्या मजाक है क्या? भगवान श्रीराम का सबसे पहला चित्र पंडित रवि वर्मा ने तैयार किया था. उस चित्र में राम को काफी शांतचित्त दिखाया गया है. उस चित्र में श्रीराम और हनुमान में एक दूसरे के प्रति काफी निष्ठा दिखाई देती है. लेकिन आदिपुरुष फिल्म में क्रूरता, गुस्सा दिखाया गया है. भगवान श्रीराम ने कभी मर्यादा नहीं छोडी. रावण का वध करने पर श्रीराम अपने छोटे भाई लक्ष्मण को लंका का राजा सहज ही बना सकते थे. लेकिन उन्होंने ऐसा न करते हुए रावण के भाई विभीषण को लंका का राजा बनाया. राम यह सही मायने में पुरुषोत्तम थे. लेकिन इस फिल्म के माध्यम से रामायण का मजाक उडाया गया है, ऐसी टिप्पणी भी जीतेंद्र आव्हाड ने की.

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