राष्ट्रीय एसटी आयोग की विश्वसनीयता सवालों के घेरे में
शिकायत सहित अदालती निर्णय व नोटीस की भी अनदेखी
अमरावती/दि.21– दिल्ली स्थित राष्ट्रीय जनजाति आयोग द्वारा शिकायतों के साथ ही कानूनी नोटिसों की गंभीर दखल नहीं ली जाती है. साथ ही विगत कुछ वर्षों से शिकायतकर्ताओं की शिकायतों पर कोई सुनवाई भी हीं हो रही. जिसके चलते राष्ट्रीय एसटी आयोग की विश्वसनीयता दिनोंदिन घट रही है. साथ ही आदिवासी समाज में जबर्दस्त रोष भी व्याप्त है.
बता दें कि, मुख्य विभागीय रिटेल सेल्स मैनेजर, इंडियन ऑइल कार्पोरेशन लिमिटेड (पुणे) द्वारा उम्मीदवार का चयन करते समय आयुनुसार अंक नहीं देने, अनुभव प्रमाणपत्र को अंक नहीं देने, जाति वैधता प्रमाणपत्र की जांच नहीं करने, विज्ञापन में दिये गये नियमों का उल्लंघन कर असल आदिवासी उम्मीदवारों की अनदेखी करने तथा जाति वैधता नहीं रहने वाले गैर आदिवासी उम्मीदवार को आदिवासियों हेतु आरक्षित रहने वाला पेट्रोल पंप देने जैसे मामलों को लेकर विगत 16 वर्षों से संघर्ष कर रही पुणे निवासी तेजश्री सावले ने 21 मई 2024 को राष्ट्रीय जनजाति आयोग के नाम कानूनी नोटीस भेजने के साथ ही इस मामले में त्वरित सुनवाई करने का निवेदन भी किया था. लेकिन इसके बावजूद आयोग द्वारा कोई सुनवाई नहीं की गई. जिसके चलते 18 जुलाई 2024 को स्मरण नोटीस भेजी गई. लेकिन आयोग द्वारा इस नोटीस पर भी कोई ध्यान नहीं दिया गया.
जानकारी के मुताबिक तेजश्री साबले ने 22 मई 2008 को इंडियन ऑइल कार्पोरेशन (पुणे) के विभागीय रिटेल सेल्स मैनेजर के ध्यान में यह बात लाकर दी थी कि, विज्ञापन में उल्लेखीत नियमों के अनुसार सांगली, पुणे व कोल्हापुर विभाग में नियमों का उल्लंघन कर नागपुर विभाग के आवेदकों को पेट्रोल पंप दिये गये. साथ ही उन्होंने 29 मई 2010 को इंडियन ऑइल कार्पोरेशन के रिटेल मैनेजर को पत्र भेजकर उम्मीदवारों का गुणांकन गलत तरीके से होने की ओर ध्यान दिलाया था. जिसके बाद कार्पोरेशन ने उम्मीदवारों को दिये गये अंकों में सुधार किया था. लेकिन कडेगांव के रिटेल आउटलेट डिलरशीप की अनुमति नहीं दी. जिसके चलते 11 अगस्त 2010 को गैर कानूनी पेट्रोल पंप वितरण को लेकर विभागीय रिटेल सेल्स मैनेजर के नाम कानूनी नोटीस भेजी गई और 15 दिन के भीतर अपेक्षित आदेश जारी नहीं होने पर अदालत जाने की चेतावनी दी गई. लेकिन इसके बावजूद इस आवेदन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. साथ ही इसे लेकर दर्ज कराई गई शिकायत पर राष्ट्रीय एसटी आयोग द्वारा भी कोई सुनवाई नहीं ली गई.