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चौथे दिन हनुमान गढी में भीड ने बनाया नया रिकॉर्ड

पिछले तीन दिनों की भीड का रिकॉर्ड टूटा

* सुबह 6 बजे से ही भानखेडा मार्ग पर उमडी भाविकों की भीड
* दुपहिया वाहनों का भी छत्री तालाब से आगे बढना हुआ मुहाल
* पदयात्रियों का एक के पीछे एक लगा रहा जबर्दस्त रेला
* कथास्थल पर हर ओर शिवाय नमस्त्युभ्यम् की गूंज
* कथास्थल से लाइव कवरेज – संजय पंड्या
अमरावती/दि.19 – समिपस्थ भानखेड मार्ग स्थित हनुमान गढी में चल रही शिवमहापुराण कथा के चौथे दिन शिवभक्तों की उपस्थिति ने विगत तीन दिनों के रिकॉर्ड को तोड दिया और आज सुबह से ही कथास्थल पर रहने वाली भीड ने एक नया रिकॉर्ड बनाया है. जिसके चलते आज सुबह से ही कथास्थल सहित दस्तुर नगर से भानखेड की ओर जाने वाले रास्ते पर तौबा गर्दी यानि जबर्दस्त भीड का नजारा दिखाई दिया.
आज चौथे दिन की कथा के लिए सुबह 6 बजे से ही भाविक श्रद्धालु के कदम दस्तूर नगर से छत्री तालाब होते हुए भानखेडा की ओर बढने लगे थे और इस रास्ते पर भीड का आलम कुछ इस कदर था कि, सुबह 8 बजे से ही इस मार्ग पर दुपहिया वाहनों तक की आवाजाही को रोक दिया गया था तथा केवल पैदल यात्रियों को ही दस्तूर नगर से आगे जाने दिया जा रहा था. जिसके चलते कई दुपहिया वाहन धारकों को अपने-अपने वाहन गोरक्षण संस्था की पार्किंग में खडे करते हुए हनुमान गढी की ओर रवाना होना पडा.
दस्तूर नगर से छत्री तालाब होते ही भानखेडा की ओर जाने वाले रास्ते पर सुबह से ही किसी ख्यातनाम धार्मिक स्थल के पहाडी रास्ते वाला नजारा दिखाई दे रहा था और इस रास्ते से गुजरने वाले भाविक श्रद्धालूओं की भीड द्वारा रह-रहकर ‘श्री शिवाय नमस्त्युभ्यम्’ का जयघोष किया जा रहा था. लगभग यही स्थिति हनुमान गढी पर कथास्थल में भी थी. जहां पर पहले से करीब डेढ लाख भाविक श्रद्धालु अपना डेरा जमाए बैठे है तथा सुबह 6 बजे से अलग-अलग दिशाओं से भाविक श्रद्धालुओं का आना शुरु हो गया है तथा कथास्थल पर पहुंचे श्रद्धालुओं द्वारा भजन-कीर्तन का दौर शुरु करने के साथ ही ‘श्री शिवाय नमस्त्युभ्यम्’ का जयघोष भी किया जा रहा है.

* विभिन्न सेवाभावी व्यक्तियों व संस्थाओं द्वारा दी जा रही चाय-नाश्ते की सेवा
उल्लेखनीय है कि, राज्य के दूसरे जिलों एवं अन्य राज्यों में रहने वाले भाविक श्रद्धालू विगत 14-15 दिसंबर से ही हनुमान गढी पहुंच चुके थे तथा वे लगातार कथास्थल पर ही अपना डेरा जमाए बैठे है. यद्यपि ऐसे भाविक श्रद्धालुओं के भोजन, निवास व विश्राम की व्यवस्था आयोजकों द्वारा की गई है. लेकिन इसके साथ ही अमरावती शहर के कई सेवाभावी व्यक्तियों व सामाजिक संगठनों द्वारा भी भाविक श्रद्धालुओं हेतु चाय-नाश्ते व भोजन का इंतजाम किया जा रहा है. जिसके तहत जगह-जगह पर रोजाना सुबह से ही कई लोगों व संगठनों द्वारा चाय-नाश्ते का वितरण करना शुरु कर दिया जाता है. आज सुबह कथास्थल पर बुधवारा चौक निवासी ब्रजकिशोर बंसीलाल जायस्वाल द्वारा 10 क्विंटल मसाला चावल, मसानगंज निवासी सूरज मोहनलाल साहू (चावलवाले), 3 क्विंटल फराली चिवडा, बजरंग जायस्वाल द्वारा 10 क्विंटल खिचडी व 400 बक्से पानी की बोतल, पांढरी खानमपुर (अंजनगांव) निवासी कमलेश पटेल द्वारा 700 कैरेट केले, राठी नगर निवासी किरण तायवाडे, दिनकर बोंडे, अरुण सावदे व राम प्रोविजन्स मित्र परिवार द्वारा 100 बक्से पानी की बोतल, साई नगर निवासी भास्करराव भटकर द्वारा 100 लीटर दूध की चाय, वलगांव सेवा समिति द्वारा 1 क्विंटल ज्वारी की भाकरी व 60 क्विंटल झुनका, लारा कनेक्शन के राजू दवे, लता दवे, रोशन कोवाचे, राजेश हुकरे व लसनकरताई द्वारा 50 किलो मसाला चावल तथा चोपडा (जलगांव) निवासी विठ्ठल महल्ले (गुरुकृपा फ्रूड्स) द्वारा 8 क्विंटल बूंदी का वितरण भाविक श्रद्धालुओं के बीच किया गया.

* कई भाविकों ने सुनाये अपने चमत्कारिक अनुभव
कथा परिसर में कई ऐसे भाविक श्रद्धालू भी है, जिन्होंने शिवमहापुराण कथा को लेकर अपने चमत्कारिक अनुभवों को एक-दूसरे के साथ साझा किया और बताया कि, जब से उन्हें व उनके परिवार को शिवमहापुराण कथा से लाभ हुआ है, तब से वे नियमित तौर पर शिवमहापुराण कथा का श्रवण कर रहे है. साथ ही आज उनके परिवार की सारी समस्याएं दूर हो गई है और वे पूरी तरह से राजी-खुशी है. इस समय कई भाविक श्रद्धालू अपनी कहानियां व अनुभव सुनाते हुए रोने भी लगे और उन्होंने शिवमहापुराण कथा को बेहद चमत्कारिक बताया.

* कल की कथा के लिए आज से ही तैयारी
– अमरावती के भी कई श्रद्धालुओं ने कथा पंडाल में जमाया डेरा
विशेष उल्लेखनीय है कि, विगत 4 दिनों से हनुमान गढी में पं. प्रदीप मिश्रा द्वारा रोजाना दोपहर 1 से 4 बजे तक शिवमहापुराण की कथा सुनाई जा रही है. वहीं कल पांचवे और अंतिम दिन सुबह 8 से 11 बजे तक कथा चलेगी. ऐसे में आज चौथे दिन की कथा के बाद कथास्थल से वापिस अपने घर आने की बजाय कई अमरावतीवासी श्रद्धालुओं ने पांचवे दिन की कथा के लिए कथास्थल पर ही यात्रि विश्राम करने का नियोजन किया है. जिसके चलते आज सुबह अमरावती में रहने वाले कई श्रद्धालू अपना ओढना-बिछाना साथ लेकर कथा पंडाल में पहुंचे और पंडाल के भीतर जगह मिलने के लिहाज से सभी ने आज सुबह थोडा जल्दी ही अपना घर छोडकर भानखेडा का रास्ता पकडा. ज्ञात रहे कि, रोजाना शाम 4 बजे कथा समाप्ति पश्चात पैदल एवं वाहनधारक श्रद्धालुओं को हनुमान गढी से अमरावती वापिस आने में कम से कम ढाई-तीन घंटे का समय लग जाता है. साथ ही दोपहर 1 बजे शुरु होने वाली कथा के लिए लोगबाग सुबह 7-8 बजे से ही हनुमान गढी के लिए रवाना हो जाते है और 11 बजते-बजते कथा पंडाल पूरी तरह से भर जाता है. ऐसे में कल सुबह 8 बजे शुरु होने वाले कथा को ध्यान में रखते हुए कई भाविक श्रद्धालुओं ने आज शाम 4 बजे कथा समाप्त होने के बाद वहां से वापिस लौटने की बजाय वहीं पर पूरी रात गुजारने का निर्णय लिया है, ताकि अंतिम दिन की कथा हेतु आने व जाने की झंझट से बचा जा सके.

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