बाप समझ में आते ही बेटियां हुई भावुक, पिता को लगाया गले
प्रबोधनकार वसंत हंकारे ने बेटियों को समझाया पिता का अर्थ
अमरावती /दि.3– दुनिया में माता-पिता से बडा कोई भगवान नहीं है. बचपन में जिस पिता की हम बडी आतुरता से राह देखा करते थे. आज हम उसी पिता को भुलते जा रहे है. जबकि उस पिता ने अपने आप को भुलाकर हमें पालने पोसने के लिए अपने सभी सुखों का त्याग किया. ऐसे में बेहद जरुरी है कि, हम एक बार फिर अपने पिता को अपने नजदीक करें. इस आशय का आवाहन प्रबोधनकार वसंत हंकारे द्वारा किये जाते ही कई बेटियां बेहद भावूक हो गई और उन्होंने अपने-अपने पिता के गले लगकर आसू बहाते हुए अपनी भावनाओं को व्यक्त किया.
बता दें कि, भीमा कोरेगांव स्मृति दिवस के उपलक्ष्य में भीम ब्रिगेड संगठन द्वारा इर्विन चौराहे पर विजयस्तंभ मानवंदना कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. जिसके तहत प्रबोधनकार वसंत हंकारे का ‘माय-बाप समजुन घेतांना’ विषय पर व्याख्यान आयोजित किया गया था. जिसमें उपरोक्त प्रतिपादन करते हुए वसंत हंकारे ने पिता व पुत्री के प्रेम बंधन को और अधिक मजबूत किया. इस समय वसंत हंकारे ने कहा कि, हममें से हर कोई जब छोटा बच्चा था, तो मां अथवा किसी भी अन्य द्वारा मारे जाने पर अपने पिता के घर लौटने की राह देखा करता था और पिता के घर लौटते ही उनके गले लगकर उनके पास शिकायत किया करता था. लेकिन आगे चलकर हम जैसे-जैसे बडे होते चले गये. वैसे-वैसे अपने माता-पिता से दूर भी होते चले गये. यहीं वजह है कि, जिस पिता को हम बचपन में अपना सुपर हीरो मानते थे, उसे हम कभी का भूल गये है और पिता को गले लगाना तो दूर हम उनके साथ रोजाना बात तक नहीं करते. ऐसे में आज घर जाने पर केवल इतना करो कि, अपने पिता या मां को कसकर गले लगाओ, फिर देखना पहाड जैसी मजबूती रखने वाले तुम्हारे पिता के आंखों से आसू निकलते है या नहीं और वे एक बार फिर तुम्हे छोटा बच्चा समझकर पूछते या नहीं कि, ‘मेरे बच्चे… क्या हुआ’. बस इतना सुनना था कि, इस व्याख्यान में उपस्थित कई युवतियां बेहद भावुक हो गई और उन्होंने कार्यक्रम में मौजूद अपने-अपने पिता के गले लगते हुए बिल्कुल किसी छोटे बच्चे की तरह रोना शुरु कर दिया. यह देखकर उनके पिता ने उन्हें प्यार वाली थप्पी देते हुए चुप कराया. वहीं पिता-पुत्री के इस मिलाप को देखकर कार्यक्रम में उपस्थित कई लोगों की आंखे नम हो गई थी.