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‘उस’ बच्ची की मौत कोविड की श्रेणी में ही

स्वास्थ्य महकमे ने दिल्ली टीम के साथ विमर्श पश्चात लिया निर्णय

* घाटलाडकी निवासी 12 वर्षीय बच्ची की कोविड अस्पताल में हुई थी मौत
* रैपीड टेस्ट रिपोर्ट में दिखाई दिये थे बेहद अल्प लक्षण
* आरटीपीसीआर टेस्ट रिपोर्ट आयी थी निगेटीव
अमरावती/दि.30– विगत 27 अप्रैल को घाटलाडकी परिसर निवासी 12 वर्षीय बच्ची में कोविड सदृश्य हलके लक्षण दिखाई देने पर उसेे इलाज हेतु स्थानीय सुपर कोविड अस्पताल में भरती कराया गया था. जहां पर उसकी रैपीड एंटीजन टेस्ट पॉजीटीव आयी थी. किंतु इस बच्ची में कोविड के लक्षण पूरी तरह दिखाई नहीं दे रहे थे. परंतू बच्ची की स्थिति काफी गंभीर थी. ऐसे में उसे तुरंत ही इलाज के लिए भरती कर लिया गया था, लेकिन इलाज जारी रहते समय 24 घंटे के भीतर इस बच्ची की मौत हो गई. ऐसे में स्थानीय स्वास्थ्य प्रशासन के समक्ष यह प्रश्न उपस्थित हो गया कि, इस मामले को कोविड संक्रमण से हुई मौत माना जाये अथवा नहीं, क्योेंकि उस समय तक इस बच्ची की आरटीपीसीआर टेस्ट रिपोर्ट आना बाकी था. वहीं दो दिन पूर्व इस बच्ची की आरटीपीसीआर टेस्ट रिपोर्ट भी निगेटीव आ गई. जिसके चलते इस मौत को कोविड मृत्यु मानने अथवा नहीं मानने को लेकर संदेह और भी गहरा गया. ऐसे समय दिल्ली से केंद्रीय स्वास्थ्य महकमे की एक टीम अमरावती पहुंची और पूरे मामले का अध्ययन करने के बाद अब कहीं जाकर यह फैसला लिया गया कि, घाटलाडकी निवासी 12 वर्षीय बच्ची की मौत को कोविड संक्रमण की वजह से हुई मौत का मामला ही माना जायेगा.
बता दें कि, विगत लंबे समय से अमरावती शहर सहित जिले में कोविड संक्रमण का असर काफी हद तक खत्म हो गया है और पिछले दो सप्ताह से अमरावती जिले में एक भी नया संक्रमित मरीज नहीं पाया गया है. साथ ही अब अमरावती जिले में कोई भी व्यक्ति एक्टिव पॉजीटीव भी नहीं है. वहीं विगत करीब एक-डेढ माह से अमरावती में कोविड संक्रमण की वजह से होनेवाली मौतों का सिलसिला भी रूक गया है. जिसके चलते सभी ने राहत की सांस ली है, लेकिन दो दिन पूर्व अकस्मात ही मीडिया के जरिये यह जानकारी सामने आयी कि, घाटलाडकी निवासी 12 वर्षीय बच्ची की सुपर कोविड अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई है. जिसकी वजह से प्रशासन सहित जिले के आम जनमानस में हडकंप मच गया. साथ ही हर कोई यह जानना चाह रहा था कि, आखिर यह बच्ची संक्रमण की चपेट में कब और कैसे आयी तथा इसके कोविड संक्रमित होने और उसकी कोविड अस्पताल में मौत हो जाने की जानकारी प्रशासन की ओर से आम लोगों को क्योें नहीं दी गई. इन सवालों का जवाब खोजने की कोशिश में पता चला कि, घाटलाडकी निवासी 12 वर्षीय बच्ची किसी वायरल बुखार से पीडित थी और उसके स्वास्थ्य की स्थिति लगातार बिगड रही थी. ऐसे में उसे इलाज के लिए घाटलाडकी से अमरावती लाया गया और यहां पर ऐहतियात के तौर पर उसकी रैपीड एंटीजन टेस्ट की गई. जिसकी रिपोर्ट करीब 20 मिनट बाद पॉजीटीव दिखाई दी. यानी इस बच्ची में कोविड संक्रमण के लक्षण बेहद नगण्य अथवा बेहद कम थे. ऐसा अक्सर सारी व इली सहित किसी वायरल फीवर के मामले में भी हो सकता है. ऐसे में इस बच्ची का थ्रोट स्वैब सैम्पल लेकर आरटीपीसीआर टेस्ट हेतु भिजवाया गया. वहीं बच्ची की लगातार बिगडती स्थिति को देखते हुए इस बच्ची को इलाज हेतु सुपर कोविड अस्पताल में ही भरती कर लिया गया, ताकि उसे बेहतरीन चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करायी जा सके. परंतु तमाम प्रयासों के बावजूद अगले 24 घंटे के भीतर इस बच्ची की मौत हो गई. चूंकि इस समय तक आरटीपीसीआर टेस्ट की रिपोर्ट मिलना बाकी था. ऐसे में स्वास्थ्य महकमा व प्रशासन इस नतीजे पर पहुंच ही नहीं पायी कि, इस मौत को कोविड मृत्यु माना जाये अथवा नहीं. वहीं दो दिन बाद इस बच्ची की आरटीपीसीआर टेस्ट निगेटिव आने के चलते इस मामले को लेकर संभ्रम और भी अधिक बढ गया. ऐसे में पूरे मामले से आयसीएमआर को अवगत कराया गया. पश्चात दिल्ली की एक टीम तुरत-फुरत में अमरावती पहुंची और यहां पर पूरे मामले के तथ्यों की पडताल करते हुए निर्णय लिया गया कि, चूंकि उस बच्ची को रैपीड एंटीजन टेस्ट के आधार पर कुछ हद तक कोविड संक्रमित मानकर कोविड अस्पताल में भरती कराया गया था. ऐसे में उसकी मौत को कोविड संक्रमण से हुई मौत ही माना जाये. ऐसे में अब इस पूरे मामले का एक तरह से पटापेक्ष हो गया है.

* घाटलाडकी में तेजी से फैल रहा जापानी बुखार
इस संदर्भ में जानकारी देते हुए स्वास्थ्य महकमे के सुत्रों ने बताया कि, इन दिनों घाटलाडकी परिसर में जापानी बुखार नामक बीमारी बडी तेजी से पांव पसार रही है, जिसकी चपेट में बडे पैमाने पर छोटे बच्चे आ रहे है. जिस बच्ची की बीते दिनों मौत हुई है, वह भी एक तरह से जापानी बुखार की चपेट में ही थी. इस बीमारी से संक्रमित मरीजों में रोग प्रतिकारक क्षमता बेहद कम हो जाती है और उनमें अन्य बीमारियों के संक्रमण का खतरा काफी हद तक बढ जाता है. साथ ही इस बीमारी से संक्रमित मरीज में सर्दी-खांसी के साथ-साथ तेज बुखार की तकलीफ होती है एवं इसके लक्षण भी कुछ हद तक लगभग कोविड संक्रमण की तरह ही रहते है. ऐसा ही कुछ इस मामले में भी हुआ. जिसकी वजह से इस बच्ची की रैपीड एंटीजन टेस्ट की रिपोर्ट पॉजीटीव आयी. हालांकि रिपोर्ट के पॉजीटीव आने में करीब 20 मिनट का समय लग गया. वहीं बाद में पूरी तरह से अधिकारिक व विश्वसनीय मानी जाती आरटीपीसीआर टेस्ट रिपोर्ट निगेटीव आयी. ऐसे में स्वास्थ्य महकमा भी संभ्रम का शिकार हो गया कि, इसे कोविड मृत्यु माना जाये अथवा नहीं. परंतु अब तमाम विचार-विमश के पश्चात स्वास्थ्य महकमे ने इसे कोविड संक्रमण से हुई मौत मानने का निर्णय लिया है तथा इसकी जानकारी से जिला प्रशासन को अवगत करा दिया गया है.

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