
* ठेठ जयपुर से अमरावती पधारी लोकनृत्य सिखाने
* परिवार का संपूर्ण समर्थन
* सोशल मीडिया पर लाखों फॉलोअर्स
अमरावती/दि.8- गरबा और भांगडा को देश के विभिन्न भागों में जो लोकमान्यता प्राप्त है, उसे देखकर मुझे मेरे प्रांत राजस्थान का लोकनृत्य घूमर सभी प्रदेशों में पहुंचाने की चाह हुई. उसी प्रकार घूमर के प्रति देश विदेश के लोगों के आकर्षण से भी अपने चाव को जुनून में बदलने का प्रयत्न किया. परिवार से संपूर्ण साथ समर्थन, सहयोग मिलने के कारण आज 1100 किमी दूर जयपुर से अमरावती विशेष रूप से घूमर सिखलाने आयी हूं. एकही चाह है कि हमारा प्रिय लोकनृत्य घूमर घर-घर पहुंचे. कम से कम राजस्थानी, मारवाडी समाज के लोग घूमर के सभी अंदाज और शालीनता और सादगी से परिपूर्ण इस नृत्य विधा को आत्मसात करें. यह प्रतिपादन मोनिका नरेंद्र शेखावत ने किया. वे आज पूर्वाह्न अमरावती मंडल से बातचीत कर रही थी. उनसे यह वार्तालाप जिजाउ नगर स्थित अग्रवाल महिला मंडल की एक्टीव अध्यक्षा डॉ. माधुरी छावछरिया के निवास ‘मधुबन’ में किया गया. डॉ. छावछरिया की उत्साहपूर्ण उपस्थिति में स्वाभाविक रूप से थी. बाईसा के नाम से पुकारा जाना पसंद करने वाली युवा लोकनृत्य कलाकार ने बडी सादगी और सहजता से अपना कुछ वर्षों का लोकनृत्य का प्रचार प्रसार और सोशल मीडिया पर पसंदीदा कलाकार बनने की यात्रा के बारे में बतलाया.
* पारिवारिक पृष्ठभूमि फौज की
राजस्थान के राजपूत समाज की मोनिका शेखावत के पीहर और ससुराल दोनों की पक्ष भारतीय सेना से जुडे हैं. उनके पिता और ससुर फौज में बडे ओहदे पर रहे हैं. यजमान नरेंद्र शेखावत मर्चंट नेवी में अधिकारी के रूप में कार्यरत हैं. घर परिवार में मंगल प्रसंगों तथा उत्सवों में मां किरणदेवी शेखावत को घूमर करते देखा. घूमर का कोई अलग से प्रशिक्षण मोनिका शेखावत ने नहीं लिया. अपितु, उनकी अपनी प्रतिभा के बूते उन्होंने आज के दौर को देखते हुए घूमर को इंप्रोवाइज करने का प्रयत्न किया हे.
* उच्च शिक्षित है नृत्य प्रशिक्षिका
अमरावती से पहले परभणी, नांदेड, औरंगाबाद, जलगांव में भी घूमर नृत्य की ऑनलाइन और ऑफलाइन क्लास लेने वाली मोनिका शेखावत उच्च शिक्षित हैं. उन्होंने एमकॉम पश्चात मानव संसाधन क्षेत्र में डिप्लोमा प्राप्त किया. कुछ वर्षों तक निजी कंपनी में कार्य किया. उन्हें 6 बरस की बेटी अमायरा है, जो अब दूसरी कक्षा की छात्रा हैं. अपने घर परिवार और परंपरा व संस्कृति को कौशल से सहेजते हुए मोनिका शेखावत ने घूमर के नृत्य का चाव जारी रखा.
* सोशल मीडिया पर डाली रील
मोनिका शेखावत ने बताया कि, उन्होंने नृत्य के प्रति अपने लगाव के कारण रील बनाई और परिवार के वरिष्ठ सदस्यों की सहमति से केवल घूमर की सहज स्टेप्स के प्रचार हेतु यूट्यूब पर प्रसारित किया. उनके रील्स को न केवल राजस्थान बल्कि सभी ओर से लोगों ने पसंद किया, जिसे आज के दौर की भाषा में लाईक्स कहा जाता है. जिससे उन्हें और बेहतर करने की प्रेरणा मिली. उनकी उर्जा बढी. उन्होंने अपने यजमान नेवी ऑफिसर नरेंद्र शेखावत से मिले साथ सहयोग और समर्थन से घूमर की अपनी रील्स के प्रसार सोशल मीडिया पर जारी रखे. दिनोंदिन लाईक्स बढते गए. लोगों के क्वेरीज भी आने लगे. इन्स्टाग्राम पर उनके फॉलोअर्स की संख्या 98 हजार पार कर गई है.
* किया इंप्रोवाइज, बनी पहचान
बाईसा के नाम से लोकप्रिया युवा घूमर कलाकार ने बताया कि, उन्होंने घूमर को परंपरा से जोडे रखा. पारंपरिक हावभाव और मुद्राओं को कायम रखते हुए कोरियोग्राफ किया. उनका यह अंदाज भी घूमर के चाहने वालों को बडा पसंद आया, भा गया. घूमर के कारण मकराना के पास की यह युवा कलाकार जयपुर से लेकर दिल्ली, मुंबई तक पहचाने जाने लगी.
* दिल्ली में दो हजार महिलाओं को एक साथ प्रशिक्षण
अपने पूरे पारंपरिक पेहराव में जब मोनिका शेखावत घूमर प्रस्तुत करती है तो सभी उन्हें देखते रह जाते हैं. उसी प्रकार लोगों का घूमर के प्रति चाव, लगाव बढ जाता हैं. इसी की बानगी हैं कि, दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशनल क्लब में पिछले दिनों मोनिका शेखावत ने एक साथ दो हजार महिलाओं को प्रशिक्षण दिया. जिसका उन्हें विशेष अवार्ड भी दिया गया. अन्य कई पुरस्कार और मान्यता गत सात वर्षों में बाईसा अर्थात मोनिका शेखावत ने प्राप्त की है.
* अमरावती की गृहणियां अत्यंत प्रभावित
बाईसा कहलाना पसंद करने वाली लोकनृत्य कलाकार शेखावत ने अपनी सरलता और घूमर के प्रति समर्पण भाव से अमरावती और कह सकते हैं की महाराष्ट्र की गृहणियों को प्रभावित किया है. उनकी छोटी छोटी मुद्राओं को ठीक करने का प्रयत्न वे मनोयोग से करती हैं. सभी गृहणियां बेहद प्रभावित होने की जानकारी डॉ. माधुरी छावछरिया ने दी. डॉ. छावछरिया ने बताया कि, श्रीमती शेखावत के प्रशिक्षण के दो दौर रखे गए. ऑनलाइन और ऑफलाइन. ऑफलाइन से पहले ऑनलाइन में भी जुडने वाली प्रत्येक नारी पर बाईसा ने ध्यान दिया. उन्हें घूमर की मुद्राएं और भावभंगिमाएं की बारीकियां सिखलायी. अब तो वे अमरावती पधार चुकी है. यहां सात दिनों का उनका प्रशिक्षण चल रहा है. राजस्थानी महिलाएं विशेष रूप से और चाव से घूमर सीख रही हैं.
अवसर को नहीं किया मिस
अपने चाव को फॉलो किया. मिले अवसर को मिस करने की भूल नहीं की. जिसके कारण सोशल मीडिया पर लाखों फॉलोअर्स प्राप्त हो गए हैं. बाईसा मोनिका शेखावत ने यह कहते हुए बारंबार अपने घर परिवार से मिले सकारात्मक समर्थन और प्रोत्साहन का उल्लेख तनिक गर्व से किया.
‘बाईसा’ कहलाना पसंद
श्रीमती मोनिका शेखावत ने कहा कि, प्रशिक्षण दौरान महिलाएं उन्हें मैडम पुकारती. उन्हें मैडम की बजाय ‘बाईसा’ सुनना भला लगा. उनके अनुसार बाईसा में सम्मान के साथ स्नेह जुडा है. यह शब्द उन्हें अच्छा लगता है.