अमरावती

नागपुर का विकास यानी विदर्भ का विकास नहीं, वर्‍हाड अब तक विकास से कोसों दूर

पूर्व राज्यमंत्री डॉ. सुनील देशमुख ने व्यक्त किया दर्द

* संभाग के विकास हेतु 50 हजार करोड के विशेष पैकेज की जरुरत बताई
अमरावती/दि.26– विगत कुछ समय से विदर्भ का विकास करने के नाम पर केवल नागपुर शहर और विदर्भ के कुछ जिलों पर ही जमकर पैसा खर्च किया जा रहा है. जिसके तहत अकेले नागपुर शहर में ही 1 लाख 10 हजार करोड रुपयों के विविध विकास कार्य व प्रकल्प शुरु किए गए है. संभवत: इसके जरिए मान लिया गया है कि, नागपुर का विकास करने से ही पूरे विदर्भ का विकास हो जाएगा. जबकि ऐसा नहीं है क्योंकि वर्‍हाड कहे जाते पश्चिम विदर्भ यानी अमरावती संभाग के पांचो जिले अब भी विकास से कोसों दूर है. ऐसे में पूर्वी एवं पश्चिमी विदर्भ के बीच विकास को लेकर असंतुलन गहरा रहा है. जिसे दूर करने के लिए पश्चिम विदर्भ हेतु 50 हजार करोड रुपए का विशेष पैकेज दिया जाना चाहिए. इस आशय का प्रतिपादन अमरावती जिले के पूर्व पालकमंत्री डॉ. सुनील देशमुख व्दारा किया गया.
यहां जारी एक प्रेस विज्ञप्ती में पश्चिम विदर्भ के पिछडेपन को लेकर अपना दर्द बयान करते हुए पूर्व पालकमंत्री डॉ. सुनील देशमुख ने कहा कि, संयुक्त महाराष्ट्र में विदर्भ का विलिनीकरण होने के बाद विदर्भ के हिस्से में हमेशा उपेक्षा व अनदेखी ही आई है. जिसके चलते यह क्षेत्र अनुशेष ग्रस्त व पिछडा बनकर रह गया. जिसके चलते पश्चिम महाराष्ट्र के तत्कालीन नेतृत्व से संघर्ष करने हेतु पश्चिम विदर्भ के नेतओं को काफी आक्रामक भूमिका अपनाने वााले और सदन के भीतर व सदन के बाहर सत्ताधारी दल में रहने के बावजूद स्वपक्षीय नेतृत्व को विदर्भ के विकास की ओर ध्यान देने पर मजबूर करने वाले हम जैसे नेताओं में निराशा व संताप का भाव है. डॉ. देशमुख के मुताबिक किसी समय तत्कालीन विधायक प्रा. बी.टी. देशमुख के नेतृत्व में बैकलॉक के खिलाफ संघर्ष शुरु किया गया था. जिसके चलते सिंचाई क्षेत्र दूर करने में काफी हद तक सहायता प्राप्त हुई. लेकिन अन्य कई क्षेत्रों में पश्चिम विदर्भ अब भी काफी हद तक पिछडा हुआ है. ऐसे में मौजूदा सरकार व्दारा विकास की दौड में पिछडे रहनेवाले पश्चिम विदर्भ की ओर ध्यान देना चाहिए था. परंतु भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार व्दारा विदर्भ के विकास के नाम पर केवल नागपुर शहर में ही मेट्रो ट्रेन, नई रेलवे लाइन, एम्स अस्पताल, रेलवे स्टेशन, लॉ यूनिवर्सिटी, कैंसर इस्टिट्यूट व राष्ट्रीय महामार्ग प्राधिकरण प्रकल्प जैसे हजारों करोडों रुपयों के प्रकल्प नागपुर में शुरु किए जा रहे है. एक ओर तो पीएम मोदी की उपस्थिति में नागपुर विमानतल का विस्तार करने की घोषणा की जाती है. वहीं विभागीय मुख्यालय रहने वाले अमरावती के बेलोरा विमानतल तथा अकोला में स्थित विमानतल की अनदेखी की जाती है. इसी तरह संभागीय मुख्यालय रहने के बावजूद भी अमरावती में सरकारी मेडिकल कॉलेज शुरु करने को लेकर कोई हलचल दिखाई नहीं दे रही. इसके अलावा अमरावती संभाग सहित समूचे विदर्भ क्षेत्र की सिंचाई समस्या को हल करने की क्षमता रहने वाले वैनगंगा व नलगंगा नदी जोड प्रकल्प पूरा करने में भी सरकार की अनास्था दिखाई दे रही है. जबकि इस प्रकल्प की वजह से विदर्भ क्षेत्र की सिंचाई क्षमता 3 लाख 71 हजार हेक्टेयर से बढ सकती है और इस प्रकल्प का भंडारा, नागपुर, वर्धा, यवतमाल, अमरावती, अकोला व बुलढाणा जिले को फायदा हो सकता है. लेकिन इसके बावजूद भी 60 हजार करोड रुपए की लागत वाले इस प्रकल्प की अनदेखी की जा रही है. वहीं पूर्वी विदर्भ मेें बडे-बडे सिंचाई प्रकल्प के लिए करोडों रुपए की निधि उपलब्ध कराई जा रही है. जबकि सिंचाई सुविधा का अभाव रहने के चलते पश्चिम विदर्भ में आज तक 18 हजार 595 किसानों ने आत्महत्या की है. परंतु सरकार के पास इस ओर संवेदना के साथ देखने का समय नहीं है.
पूर्व पालकमंत्री डॉ. सुनील देशमुख ने इस प्रेस विज्ञप्ती में यह भी कहा है कि, फिलहाल नागपुर में राज्य विधानमंडल का शीतसत्र चल रहा है और इस अधिवेशन के दौरान भी पश्चिम विदर्भ की गंभीर समस्याओं की ओर सरकार व्दारा अनदेखी की जा रही है जो काफी तकलीफदेह है. डॉ. देशमुख के मुताबिक नागपुर का विकास होने को लेकर पश्चिम विदर्भ के लोगों में किसी तरह की कोई दुर्भावना नहीं है, बल्कि समूचे विदर्भ के विकास हेतु संघर्ष करने वाले सभी लोगों की तरह उन्हें भी इसका निश्चित रुप से आनंद है. लेकिन विदर्भ का दूसरा विभागीय मुख्यालय रहनेवाले अमरावती संभाग के हिस्से में विशेष निधि के तौर पर एक छदाम भी नहीं दिया जाना हमारे संवैधानिक अधिकारों का हनन है. ऐसे में जिस तरह कभी हमें विदर्भवादी के रुप में पश्चिम महाराष्ट्र के नेताओें के साथ संघर्ष करना पडता था उसी तरह से अब वर्‍हाडवासी के तौर पर पूर्व विदर्भ के साथ संघर्ष करने की तैयारी भी करनी पडेगी, ऐसी नौबत आ गई है. जिसके लिए पूरी तरह से मौजूदा सत्तापक्ष को जिम्मेदार बताया जा सकता है.
पूर्व राज्य मंत्री डॉ. देशमुख ने नागपुर शहर व जिले में चल रहे विकास कामों की विस्तृत सूची देने के साथ ही कहा कि, संवेदना शून्य हो चुके मौजूदा सत्तापक्ष ने आंखें खोलकर पश्चिम विदर्भ क्षेत्र में रहनेवाले लोगों के दुख, दर्द व तकलिफों पर ध्यान केंद्रीत करना चाहिए और अधिवेशन काल में पश्चिम विदर्भ क्षेत्र के लिए 50 हजार करोड रुपए के विशेष पैकज की घोषणा करनी चाहिए.

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