दर्शको की भीड से सिनेमाघरों के संचालक और कर्मचारियों के चेहरे खिल उठे
1990 का जमाना याद आने लगा
अमरावती/ दि. 14– कोरोना काल ने सबकुछ चौपट कर रखा था. कोरोना नियंत्रण में आने के बाद भी सिनेमाघरों को 50 प्रतिशत से खोलने की अनुमति दी थी. कोरोना के डर से दर्शकों ने सिनेमाघरों की ओर से पीठ घुमा दी थी. कोरोना लगभग दो साल बाद खत्म होने से शत प्रतिशत क्षमता से सिनेमाघर खोलने की अनुमति दे दी है. जिससे सिनेमाघरों के अच्छे दिन देखने को मिल रहे है. जिसके कारण सिनेमाघरों की फिर से रौनक लौट आयी है. दर्शकों की हाऊ सफुल्ल भीड से सिनेमाघर संचालक और कर्मचारियों के चेहरे खिल गए है. 1990 का जमाना याद आने लगा है. कोरोना वायरस संक्रमण बढते ही सिनेमाघर और मल्टीप्लेक्स में फिल्मों का प्रदर्शन रोक दिया गया था. करीब दो साल तक नई फिल्में प्रदर्शित नहीं हो रही थी. बॉलीवुड ने भी नेटफ्लैक्स और हॉटस्टार का सहारा लिया. सिनेमाघर बंद रहने से कर्मचारियों के रोजगार पर बुरा असर पडा. पूर्ण क्षमता के साथ सिनेमा हॉल दोबारा शुरू किए गये. सिनेमाघर के लिए दो साल तक बेहद चुनौतीपूर्ण रहे. लंबे अरसे तक बेरोजगार रहनेवाले सिनेमाघर के कर्मचारियों के चेहरे खिल गए है. रविवार को दर्शको की अच्छी भीड देखने को मिली. फिल्म देखने का उत्साह दर्शकों में छाया हुआ था. दो साल बाद सिनेमाघरों का सन्नाटा टूटा वैसे भी गंगुबाई काठीयावाड, झुंड, पावनाखिंड, कश्मीर फाईल जैसी फिल्मों ने दर्शको को अपनी ओर आकर्षित किया है. इसके पूर्व रिलीज हुई पुष्पा ने दर्शको पर मोहिनी डाली. झुकेगा नहीं साला जैसे डायलॉग सिर चढकर बोलने लगे है. फिल्मों की ऐसी क्रेझ 1990 के दशक में देखने को मिलती थी.
* सह परिवार उठाया मनोरंजन का लाभ
विगत कुछ दिनों से दर्शक बेसब्री से सिनेमाघर खुलने का इंतजार कर रहे थे. टीवी ओर मोबाइल पर फिल्में देखकर उब गये थे. सिनेमा हाल के रूपहले पर्दे पर फिल्म देखने का मजा ही कुछ ओर है. रविवार को दर्शको ने सह परिवार सिनेमाघर जाकर फिल्म मनोरंजन का आनंद उठाया. सिनेमाघर और मल्टीप्लेक्स पर नजर आयी दर्शको की भीड ने भी शायद यह संदेश दिया कि अच्छी फिल्मों को देखनेवाले दर्शक अभी भी मौजूद है.