अमरावतीमहाराष्ट्र

विवि के अभ्यास मंडल अध्यक्ष पद का विवाद पहुंचा हाईकोर्ट

तत्कालीन प्रभारी कुलगुरु दिक्कत में, डॉ. प्रशांत गावंडे ने दायर की याचिका

अमरावती/दि.07– संत गाडगे बाबा अमरावती विद्यापीठ के वनस्पतीशास्त्र विषय के अभ्यास मंडल के अध्यक्ष पद का विवाद मुंबई उच्च न्यायालय के नागपुर खंडपीठ में पहुंच गया है. इस मामले में यदि विद्यापीठ द्वारा अपने स्तर पर सुनवाई करते हुए मामले का निपटारा नहीं किया जाता, तो 10 जून को अदालत द्वारा अपना अंतिम निर्णय दिया जाएगा, ऐसा हाईकोर्ट की ओर से स्पष्ट किया गया है. डॉ. प्रशांत गावंडे द्वारा दायर की गई इस याचिका के चलते विद्यापीठ के तत्कालीन कुलगुरु दिक्कत में फंसते नजर आ रहे है.
इस संदर्भ में प्राप्त जानकारी के मुताबिक सन 2023 में 10 सदस्य संख्या रहने वाले वनस्पतीशास्त्र विषय के अभ्यास मंडल के अध्यक्ष की चयन प्रक्रिया पूरी हुई. जिसमें अध्यक्ष पद हेतु डॉ. दिनेश खेडकर व डॉ. प्रशांत गावंडे को 5-5 वोट पडे. इसके चलते उपकुलसचिव विक्रांत मालवीय ने ईश्वर चिठ्ठी का निर्णय लिया और ईश्वर चिठ्ठी के जरिए डॉ. प्रशांत गावंडे का नाम बाहर आया. जिसके चलते यह माना गया कि, डॉ. दिनेश खेडकर अध्यक्ष पद की रेस से बाहर हो गये. परंतु विद्यापीठ के परिनियम अनुसार ईश्वर चिठ्ठी से जिस व्यक्ति का नाम बाहर आता है, उस व्यक्ति को स्पर्धा से बाहर करना होता है. परंतु उस समय डॉ. दिनेश खेडकर के नाम की चिट्ठी नहीं निकलने के बावजूद भी डॉ. गावंडे को अध्यक्ष नियुक्त किया गया. यह बात बाद में ध्यान में आने पर प्रा. दिनेश खेडकर के समर्थकों ने तत्कालीन प्रभारी कुलगुरु डॉ. प्रमोद येवले के पास शिकायत की और तब विद्यापीठ प्रशासन ने डॉ. गावंडे की बजाय डॉ. दिनेश खेडकर को अभ्यास मंडल का अध्यक्ष नियुक्त किया. इस फैसले के खिलाफ डॉ. प्रशांत गावंडे ने मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में याचिका दायर करते हुए तत्कालीन प्रभारी कुलगुरु डॉ. प्रमोद येवले व कुलसचिव डॉ. तुषार देशमुख को प्रतिवादी किया. इस दौरान विगत 2 मई को हाईकोर्ट ने तत्कालीन कुलगुरु डॉ. प्रमोद येवले के नाम बार-बार नोटीस जारी करने के बावजूद भी उनके लगातार अनुपस्थित रहने को लेकर अपनी नाराजगी जताई. साथ ही यह भी कहा कि, विद्यापीठ ने इस मामले में योग्य कार्रवाई करते हुए 13 मई को अदालत में प्रतिज्ञापत्र पेश करना चाहिए. जिसके चलते 13 मई को इस मामले को लेकर सुनवाई होगी और फिर अगले दो सप्ताह बाद यानि 10 जून को अदालत द्वारा इस मामले में अपना अंतिम निर्णय सुनाया जाएगा.

* कुलसचिव भी दिक्कत में फंसे
वनस्पतीशास्त्र अभ्यास मंडल के अध्यक्ष पद को लेकर यदि डॉ. दिनेश खेडकर के पक्ष में निर्णय दिया जाता है, तो नुटा द्वारा कुलसचिव पर आपत्ति उठाई जाएगी. वहीं यदि डॉ. गावंडे के पक्ष में फैसला दिया जाता है, तो शिक्षा मंच द्वारा कुलसचिव को जमकर आडे हाथ लिया जाएगा. ऐसे में इधर कुआं उधर खाई वाली स्थिति कुलसचिव के सामने है. चूंकि कुलगुरु अभी नवनियुक्त है. ऐसे में शिक्षक संगठनों के दबाव में आये बिना कुलगुरु ने ही इस मामले में सुनवाई करते हुए निर्णय लेना चाहिए, ऐसी अपेक्षा व्यक्त की जा रही है. विशेष उल्लेखनीय है कि, कुलसचिव का कार्यकाल 17 मई को खत्म होने जा रहा है, ऐसे में चुनाव के समय की गई टालमटोल का भूत आगे चलकर भी उनके पीछे पडे रहने की संभावना है.

* विद्या परिषद की राजनीति किसके लिए फायदेमंद?
डॉ. दिनेश खेडकर को विजयी घोषित करने पर विद्या परिषद से व्यवस्थापन परिषद पर 2 सदस्यों को नामित करने का रास्ता खुल जाएगा और व्यवस्थापन परिषद पर शिक्षा मंच के 2 सदस्य जाएंगे, क्योंकि एकेडमिक में शिक्षा मंच का प्राबल्य है. ऐसे में शिक्षा मंच द्वारा पूरा प्रयास किया जा रहा है कि, वनस्पतीशास्त्र अभ्यास मंडल के अध्यक्ष पद पर डॉ. दिनेश खेडकर की ही नियुक्ति हो, इसके लिए शिक्षा मंच द्वारा यह तर्क भी किया जा रहा है कि, ईश्वर चिट्ठी से डॉ. प्रशांत गावंडे का नाम बाहर निकला था. जिसके चलते विद्यापीठ के नियमानुसार डॉ. प्रशांत गावंडे अध्यक्ष पद की रेस से बाहर हो गये है और अध्यक्ष पद पर डॉ. दिनेश खेडकर का ही अधिकार बनता है.

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